How to be happy even with less money
कम पैसों में भी सुखी कैसे रहा जाये ?
How to be happy even with less money
How to be happy even
with less money
कम पैसों में भी सुखी कैसे रहा जाये ?
आज के समाज में, पैसा हमारे जीवन में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। आम आदमी की धारणा है कि इस दुनिया मे पैसा ही सब कुछ है क्योकि पैसा ही हमारे दैनिक जीवन , इच्छाओं, महत्वाकांशा , हमारे जीने के तरीके, और सामाजिक प्रतिष्ठा को प्रभावित करता है। आम धारणा यह है कि धन से ही बेहतर जीवन जिया जा सकता है और खुशियाँ पाई जा सकती है । लोगों की यह सोच पूरी तरह से सच नहीं कही जा सकती है। पैसा कुछ है , लेकिन सब कुछ नहीं है । पैसा अस्थायी खुशी तो प्रदान कर सकता है, किन्तु दीर्घकालिक संतुष्टि की गारंटी नहीं दे सकता है। मनुष्य चाहे तो कम पैसे में भी खुश रह सकता है ।
चीजों के बजाय अनुभवों पर ध्यान दें
अधिकांश लोगों का मानना है कि आधुनिक भौतिक वस्तुए ,यतः – कार, एयर कंडीशनर ,फ्रीज़ ,वाशिंग मशीन ,अत्याधुनिक टेलीविजन जैसी चीजें खरीदना खुशी प्रदान करता है , लेकिन हमें यह भी ज्ञात होना चाहिए कि भौतिक संपत्ति केवल अस्थायी आनंद प्रदान करती है। इसके बजाय, उन अनुभवों और अनुभूतियों को ध्यान में रखकर विचार करें कि वह कौन –कौन से चीजें है जो आपकी अपूर्णता को पूर्ण कर ख़ुशी प्रदान कर सकती है । यद्यपि यह भिन्न –भिन्न लोगों की भिन्न-भिन्न सोच-विचार और दृष्टि पर निर्भर करता है कि उन्हें कौनसी चीज ख़ुशी दे सकती है .महँगें भौतिक साधन की तुलना में अनुभूतियों द्वारा उत्पन्न भावनाएं एक नई खरीद के उत्साह से अधिक समय तक प्रसन्नता का अनुभव कराती हैं
सरलता और सहजता से उपलब्ध चीजों में खुशी खोजें
अक्सर, हम जीवन में छोटी चीजों को अनदेखा करते हैं जो हमें खुशी ला सकते हैं। परिवार और दोस्तों के साथ समय बिताना, किताब पढ़ना, या प्रकृति में सैर करना जैसे सरल सुख बहुत सारे पैसे खर्च किए बिना खुशी प्रदान कर सकते हैं।
अक्सर, हम मे से अधिकांश जीवन में छोटी –छोटी छोटी चीजों नज़र अंदाज़ कर देते है जो हमें खुशी ला सकते हैं। परिवार और मित्रों के साथ समय व्यतीत करना ,पुस्तकें पढ़ना, या पर्यटल स्थल की सैर करना ,बागवानी करना ,इन सब मेभी खुशियाँ छुपी हुई है ,जो हमे पैसे खर्च किए बिना खुशी प्रदान कर सकते हैं।
ईश्वर के प्रति कृतज्ञता का भाव रखें –
आपके पास जो कुछ भी है उसके लिए ईश्वर के प्रति आभारी होने का भाव मन में रखें ।आप अपने से ज्यादा समृद्ध को देखकर दुखी न हो बल्कि उन लोगों को देखे जिनके पास वह भी नहीं है जो आपके पास है ,आपको संतोष का अनुभव होगा .यह न कहे –थोडा है थोड़े की और ज़रुरत है बल्कि यह कहे थोडा है लेकिन बहुत है .
आपके पास जो कमी है, उसके बजाय आपके पास जो कुछ भी है, उस पर ध्यान केंद्रित करने से आपको पहले से मौजूद चीजों की सराहना करने और अपने जीवन में खुशी लाने में मदद मिल सकती है। अपने जीवन में अच्छी चीजों पर विचार करने और उनके लिए आभार व्यक्त करने के लिए प्रत्येक दिन कुछ समय निकाले ।
अपनी आय और साधनों का अधिकतम उपयोग करें
अपनी आय से अधिक खर्च करना आर्थिक परेशानी और मानसिक तनाव का कारण बन सकता है अपने खर्चों के प्रति सजग रहें और एक ऐसा बजट बनाएं जो आपकी आय के अनुसार हो। अनावश्यक खर्चों से बचें और उन चीजों पर खर्च करने को प्राथमिकता दें जो आपको वास्तविक खुशी प्रदान कर सकती है ।
अपने मनुष्य होने की उपयोगिता प्रमाणित करें –
हमे ईश्वर प्रदत्त मानव जीवन प्राप्त हुआ ,इस धरती ने हमे हवा,पानी भोजन प्रदान कर इस जीवन को पोषित किया । समाज के अलग –अलग लोगों की सहायता की लेकर जीवन को आसान बनाया ,ज्ञानी और अनुभवी लोगों से अपने ज्ञान और जानकारी का विस्तार किया ,हमे योग्य बनाने मे सहायता की । यह सब उपकार है हम पर ।अब हमारा भी नैतिक दायित्व है कि जो कुछ भी हमने लिया है ,उसे लौटाए भी .लौटने का तात्पर्य धन द्वारा मूल्य चुकाना नहीं है ,बल्कि सामाजिक कार्य के लिए समय देना अथवा अपने कौशल से ज़रूरतमन्द की सहायता करना भी हो सकता है ।ऐसा करके आपको जो खुशी मिलेगी ,उसे धन चुका कर भी प्राप्त नहीं किया जा सकता ।
अपने रिश्तों पर ध्यान दें
अपने परिजनों के साथ समय बिताना भी एक अलग प्रकार की खुशी देता है ।अपने सम्बन्धों मे प्यार भरे ,अपनेपन की भावना को मज़बूत बनाए ।सम्बन्धों मे प्यार भरने और अपनेपन को मज़बूत बनाने के लिए धन की आवशयकता नहीं पड़ती ,सिर्फ थोड़ा समय देना होता है ।अपनों के साथ बिताए गए पलों से जो आनंद की अनुभूति होगी ,ऐसी अनुभूति भौतिक साधनों से प्राप्त नहीं हो सकती ।
याद रखे , पैसा खुशी के लिए अनिवार्य शर्त नहीं है। अपने आस-पास की छोटी चीजों में खुशी खोजने, कृतज्ञता का अभ्यास करने, अपने साधनों के भीतर रहने, वापस देने और रिश्तों को प्राथमिकता देने से, आप कम पैसे के साथ एक पूर्ण और खुशहाल जीवन पा सकते हैं। खुशिया मूल्य चुका कर खरीदी नहीं जा सकती ।खुशियों को बनाना पड़ता है ….खुशियाँ पैदा करनी पड़ती है …..खुशियों को उगाना पड़ता है ।
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