world tourism day in hindi
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सभी चित्र गूगल से साभार |
दो मेढक आपस में बातें कर रहे थे ,एक ने दूसरे से पूछा -दुनिया कितनी बड़ी है ?
दूसरे मेढक ने कुँए के चारो ओर चक्कर लगाकर कहा -इतनी बड़ी।
पहला मेढक बोला -नहीं ,दुनिया इससे कही ज्यादा बड़ी है
दूसरा मेढक बोला -हो ही नहीं सकता
दरअसल ये दोनों मेढक कभी अपने कुए से कभी बाहर निकले ही नहीं थे ,इसी भांति हम में से अधिकांश लोग जो कभी अपने राज्य या अपने देश से कभी बाहर नहीं निकले है ,उनके लिए वास्तव में दुनिया इतनी ही छोटी है ,लेकिन नहीं दुनिया बहुत बड़ी है- विविधताओं से भरी हुई। सब जगह की भौगोलिक और प्राकृतिक स्तिथियाँ भिन्न -भिन्न है। अलग -अलग रहन-सहन ,अलग-अलग खान -पान ,अलग-अलग रीति -रिवाज़ ,अलग सभ्यता -अलग संस्कृति और ये सब अलग -अलग एक साथ मिलते है तो इन्हें देखना वैसा ही सुखद लगता है ,जैसे सत -रंगें इंद्र -धनुष को देखना। इन स्थलों को देखकर ज़िन्दगी का स्वाद वैसे ही बदल जाता है ,जैसे खाने के बीच अचार या पापड से खाने का स्वाद बदल जाता है। एक जैसी नीरस ज़िन्दगी में एक ताज़गी का अहसास होता है। भाग-दौड़ की इस उबाऊ ,बोझिल और बोरियत भरी ज़िन्दगी को फिर से तरो -ताज़ा कर देते है ये पर्यटन स्थल।
कहीं पानी का समंदर है ,तो कहीं रेत का ,कही गगन चुम्बी पहाड़ है -कोई बर्फ की चादर ओढ़े हुए तो कोई हरियाली की ,कही अठखेलियां करती नदियां है तो कहीं जल -प्रपात ,
तो कही मुँह पर अँगुली रखकर शांत बैठी झील। हम खड़े रहते है और ये नदियां और झरने अपने साथ ना मालूम कहाँ -कहाँ घूमा लाते है और शांत झील ह्रदय में एक साथ कई तरंगे पैदा कर जाती है और हम ख्यालों में खोये दूर तक लहरों को जाते हुए देखने लगते है।
कही इतने घने जंगल है कि सूर्यदेव भी अपनी किरणे वहाँ तक पहुंचा पाने में स्वयं को असमर्थ मान लेते है। वे पशु -पक्षी जिन्हें सिर्फ किताबों में चित्र रूप में देखा था ,उन्हें सजीव रूप में देखने का अवसर मिलता है।
पर्यटन हमें प्रकृति का सानिध्य प्राप्त करने का अवसर प्रदान करता है। प्रकृति का कोई सानी नहीं ,आत्म-शांति की राम -बाण औषधि है प्रकृति।
इसके अतिरिक्त हर देश की अपनी ऐतिहासिक एवं पुरातात्विक विशेषता होती है ,ऐसी विशेषता जो अपने तरह की एकमात्र और अनोखी होती है ,वैसा या वैसी विशेषता अन्यत्र देखने को नहीं मिल सकती। उस विशेषता को रू-ब – रू देखने की चाह हमें खीचकर उसके पास जाने के बाध्य कर देती है। इस चाह में कोई अलंघनीय समुद्र को भी पार कर जाता है तो कोई उडकर पहुँच जाता है। ऐसा करते हुए मनुष्य धर्म ,जाति ,भाषा और रंग का भेद भी भूल जाते है।
प्रकृति ने अपने इस अलौकिक स्वरुप को किसी एक स्थान पर केन्द्रित न कर सर्वत्र बिखेर दिया है। शायद यह प्रकृति की सोची -समझी योजना हो कि मेरे विभिन्न रूपके दर्शन करने के लिए लोग एक स्थान से दूसरे स्थान पर जायेगे और भिन्न-भिन्न सभ्यता-संस्कृति के लोग एक दूसरे की सभ्यता-संस्कृति से परिचित हो सकेंगे ,एक दूसरे के संपर्क में आएंगे और अंतर्बोध कर सकेंगे कि हम सब एक है ,एक ही परमात्मा की संतान है।
इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए २७ सितंबर को पूरे विश्व में पर्यटन दिवस के रूप मे मनाया जाता है क्योकि इसी तारीख को संयुक्त राष्ट्र संघ ने इस दिन को विश्व पर्यटन दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की थी। विश्व पर्यटन संगठन द्वारा हर वर्ष एक नया उद्देश्य निर्धारित किया जाता है। इसका उद्देश्य देशों के बीच अबाध संपर्क के अवसर बढ़ाने के अतिरिक्त ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण और आर्थिक विकास के अवसर प्रदान करना होता है। यूरोपीय देश ,तटीय अफ़्रीकी देश ,पूर्वी एशियाई देश ,कनाडा ,आस्ट्रेलिया ,सिंगापुर की अर्थव्यवस्था में पर्यटन की अहम् भूमिका है। पर्यटन से रोज़गार के अवसर प्राप्त होते है ,जिससे कई लोगों को आजीविका प्राप्त होती है। पर्यटन से प्राप्त आय से उस देश की सरकार को प्रकृतिक एवं ऐतिहासिक धरोहरों -विरासतों के संरक्षण में सहायता प्राप्त होती है।
लन्दन ,बैकांक ,पेरिस ,सिंगापूर ,दुबई ,रोम ,सियोल ,डबलिन ,बहरीन ,शंघाई और टोरंटो विश्व के ऐसे शहर है ,जहाँ सबसे अधिक पर्यटक इन शहरोंको देखने जाते है।
दुनिया के प्रमुख पर्यटन स्थल है -टाइम्स स्क्वायर ,नेशनल मॉल और मेमोरियल पार्क ,वाल्ट डिज़नी वर्ल्ड ,ट्राफलगर स्क्वायर ,डिज़नी लैंड ,नियाग्रा फाल्स ,फिशरमैन व्हार्फ ,गोल्डन गेट ,टोक्यो डिज़नी लैंड ,टोक्यो डिज़नी सी ,डिज़नी लैंड पेरिस ,चीन की सबसे लंबी दीवार ,एफिल टावर ,ग्रांड कैन्यन ,स्टेचू ऑफ़ लिबर्टी ,वेटिकन सिटी ,गीज़ा पैरामिड्स और ताज महल। ये वे पर्यटन स्थल है जहाँ दुनिया के सर्वाधिक पर्यटक इन्हें देखने पहुंचते है।
यदि मनुष्य के पास अतिरिक्त पैसा और वक़्त हो तो दुनिया की सैर करने जैसा दूसरा कोई बढ़िया इन्वेस्टमेंट नहीं।
और भी बहुत कुछ है देखने के लिए
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देखते जाइये … अभी भी बहुत कुछ है दुनिया देखने लायक
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