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September 6, 2016
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 वैश्विक क्षमा  दिवस पर विशेष 

७ जुलाई

 

global forgiveness day

 वैश्विक क्षमा  दिवस पर विशेष 

मनुष्य  एक सामाजिक प्राणी है ,समूह में रहता है ,परिचित -अपरिचित व्यक्तियों के संपर्क में आता है ,स्वाभाविक है जाने -अनजाने में कभी हमसे किसी अन्य को  और कभी किसी अन्य से हमारे आत्म-सम्मान को ठेस पहुँच जाती है। ठेस से टीस  और टीस से पीड़ा होती है और पीड़ा से क्रोध -घृणा -ईर्ष्या -द्वेष जैसे बैर -भाव उत्पन्न होते है। क्रोध -घृणा -ईर्ष्या -द्वेष जैसे बैर-भाव हमारी खुशियों के हरे-हरे पत्तों को सुखाने लगते है।
इस शत्रु -भाव से स्वयं को कैसे मुक्त किया जा सकता है ?
इसका सीधा -सरल उपाय है –क्षमा
Hindi Hindustaniक्षमा अपने भीतर कई सारे गुण  छुपाये हुए है। विद्वानों ने क्षमा की महत्ता को अपने -अपने दृष्टिकोण से प्रतिपादित किया है।
क्षमा के सम्बन्ध में विद्वान कहते है कि  यदि आप अपने व्यक्तित्व को चमकाना  चाहते हो तो अपने भीतर दूसरों की गलतियों को क्षमा कर देने का गुण विकसित करना होगा। भले ही आप निर्दोष थे ,उसने आपको अपने से छोटा या  ,तुच्छ  समझकर अपमान किया हो ,आपकी महानता इसमे है कि  आप उसे क्षमा कर दे। यदि  तुमने  क्षमा   के गुण  को  अपना  लिया  तो आप उस  संभावना  को समाप्त  कर देते हो   जो आगे चल कर  भविष्य  मैं किसी के लिए  तकलीफ  का कारण बन  सकती  थी।  उस तकलीफ से बचने  वाले आप भी हो सकते  हो  और कोई अन्य भी  . दूसरो  को  क्षमा   करके हम अपने  भविष्य को तो अच्छा बनायेगे ही साथ ही अतीत के उन  काले  धब्बो  को भी मिटा देगे जो हमें उस बुरे अनुभव को याद दिला कर भरे हुए जख्मोँ को ताज़ा कर सकते है
।  क्षमा  करके हम किसी  और पर नहीं  बल्कि  स्वयं  अपने ऊपर उपकार  करते है। हन्नाह  मोरे  ने क्षमाशीलता  के बारे मे  एक खूबसूरत  पंक्ति  लिखी  है-  क्षमा शीलता आपके ह्रदय का अर्थ  प्रबंधन है क्षमा क्रोध से होने वाले खर्चे से बचाता है ,घृणा के मूल्य को कम करता है ,और उत्साह की फ़िज़ूल खर्ची से बचाता है। कितना सटीक कथन है यह। बहुत ही  संवेदनशील  कार्य  है,  दूसरो  को क्षमा  करना,  दूसरो  को क्षमा   करके आप  अपने व्यतित्व मे  संवेदनशीलता  का एक और गुण  जोड़  लेते है । वह व्यक्ति  जिसने कभी आपको ठेस  पहुँचाई  थी , वह कभी  याद  आ जाए  या दिख जाये आप उससे तुरंत क्षमा कर दे।  यह क्षमाशीलता  के अभ्यास  का एक अच्छा अवसर होगा.. आपके  लिए अच्छे  काम की  अच्छी  शुरुआत  का.. क्योकि  सिर्फ भूलना ही   क्षमा  नहीं है , सच्ची  क्षमा उस बुरे  अनुभवो  को  दिल  से निकलने मे  है।  आगे चल कर यदि  आप अपनी  गलती  के लिए  क्षमा  मांगते  है तो इसका   तात्पर्य  यह  नहीं  कि  आप  दोषी  थे  और  जिससे  क्षमा  मांगी   गई   वह  सही था।  आपका  क्षमा  मांगना  इस  बात का  परिचायक  है कि  आपके लिए अपने अहम  से ज्यादा  महत्वपूर्ण  है- संबंध को टूटने  से  बचाए  रखना – क्षमा  मांगना  बहुत थोड़ा  नुकसान  है , किन्तु  संबंध  टूटना  बहुत बड़ा  नुक्सान है  और बड़े नुकसान   से बचने के लिए  छोटा  नुकसान  सहन  कर लेना समझदारी  है, मूर्खता  नहीं।  यदि  हम  अपने  अहम  के कारण   किसी  को उसके दोषो  के लिए क्षमा नहीं करते है  , तो  हम भविष्य के सारे दरवाजे बंद कर लेते है। क्षमा ही तो एक ऐसा सेतु है ,जो सारे गिले -शिकवे भूल कर हमें फिर मिला सकता है।

Hindi Hindustaniयदि कोई अपने प्रतिशोध का बदला लेकर यह कहे कि  मैंने उसे क्षमा कर दिया तो यह उसकी  महानता नहीं बल्कि अपने आपको महान दिखने का ढोंग है। ऐसे लोगों को यह कथन स्मरण कर लेना चाहिए –
जो लोग बुराई का बदला लेते है ,बुद्धिमान उनका सम्मान नहीं करते किन्तु जो अपने शत्रुओं को क्षमा कर देते है वे स्वर्ग के अधिकारी होते है 
thomas szasz का कथन भी बिलकुल सटीक है –
बेवक़ूफ़ व्यक्ति ना क्षमा करता है और ना भूलता है ,बुद्धिमान व्यक्ति क्षमा तो कर देता है लेकिन भूलता नहीं है किन्तु अच्छे व्यक्ति क्षमा भी कर देते है और भूल भी जाते है। 
क्षमा मांगकर अथवा क्षमा देकर हम अतीत के काले धब्बे को शायद न मिटा सके किन्तु भविष्य में होनेवाली किसी अप्रिय स्तिथि को अवश्य रोक सकते है ,यहनिश्चित है।
क्षमा दंड से भी बड़ी चीज है। दंड मनुष्य देता है किन्तु क्षमा प्राप्त होती है देवताओं से। दंड में उल्लास तो हो सकता है किन्तु शांति नहीं। क्षमा में शांति और आनंद दोनों है। 
क्षमा कर देने के बाद ज़िम्मेदारी हमारे कंधे से उतरकर उसके कंधे पर जा बैठती है ,जिसे हमने क्षमा किया है। अनावश्यक बोझ से मुक्त होने का इससे अच्छा दूसरा विकल्प नहीं है।
क्षमा मनुष्य का गुण  है पशुओं का नहीं ,गलती मानवीय स्वाभाव है और क्षमा ईश्वरीय। जो लोग दूसरों को क्षमा नहीं कर सकते ,ऐसे लोगों के लिए स्टेफनी ने कहा है –
किसी को क्षमा करने से इनकार करना खुद ज़हर पीकर दूसरे के मरने का इंतज़ार करने जैसा है। 
बेरन ने कहा है –
क्षमा मनुष्य का सर्वश्रेष्ठ तथा सर्वोच्च गुण है ,क्षमा दंड देने के समान है 

 क्षमा  के संबंध   मे  असमंजस  स्थिति  तब बनती  है ,जब हम  किसी  अपरिचित  को तो सहजता से क्षमा कर देते  है,या क्षमा मांग लेते है   किन्तु  अपने करीबी  की गलती को क्षमा  करने के लिए   इतनी  जल्दी तैयार  नहीं होंगे ।  यही से आपके बड़प्पन  की  परीक्षा  प्रारम्भ  होती है -हो सकता है आपका अहम्  आपको प्रति-पक्षी से क्षमा माँगने या  क्षमा करने  की  अनुमति  न  दे। आपके  अहम्  के पास  सशक्त तर्क होंगे, आपका  अहम्  आपको क्षमा करने या क्षमा माँगने से रोकेगा और यदि आपने अपने अहम् के कारण  न क्षमा किया और न क्षमा मांगी तो समझ लीजिये आपने अपना रिश्ता खो दिया। अपनो को खो देना आसान है लेकिन अपनों को पाना मुश्किल है। हिसाब लगाकर देख लीजिये ,अपनों को खोना  घाटे का सौदा साबित होगा। क्षमा टूटे हुए को जोड़ने का सबसे अच्छा उपाय है। दूसरों को क्षमा करके हम अवर्चनीय -अवर्णनीय आन्दानुभूति प्राप्त करते है। आप अपने आप पर विश्वास नहीं कर पाएंगे कि  क्या मैं ऐसा कर सका ? क्षमा निस्संदेह साहसिक कार्य है और क्षमा करनेवाला साहसी है।
यदि किसी ने हमें जाने अनजाने में ठेस पहुँचाई है तो क्या हम भी प्रतिशोध की भावना  से उसे  ठेस पहुँचाये ?नहीं ,आप कदापि ऐसा ना करें। फूल को आप चाहे हाथों से मसले  या पैरों से कुचले ,वह दुर्गन्ध नहीं सुगंध ही देंगा।आप भी अपने में फूल सा गुण विकसित करें।
क्षमाशीलता का गुण आपके व्यक्तित्व में सोने पे सुहागा की कहावत चरितार्थ करेगा। क्षमा प्रेम का ही दूसरा रूप है सेठ गोविन्द दास ने क्षमा के सम्बन्ध में  कितनी सुन्दर बात कही है –क्षमा में जो महत्ता है ,वह क्रोध और प्रतिकार में कहाँ ?प्रतिहिंसा ,हिंसा पर ही आघात कर सकती है ,उदारता पर नहीं। 

इस क्षमा दिवस पर ,मै भी व्यक्तिगत रूप से अपने सभी पाठकों से करबध्द  क्षमा चाहूँगा यदि मेरे पूर्व प्रकाशित किसी लेख से आपके ह्रदय को ठेस पहुँची हो  या भावना आहत हुई हो .

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