Hindi Hindustani
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panchtantra kahaniyon ka saar tatva

March 6, 2020
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panchtantra kahaniyon ka saar tatva

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धूर्त और छल से बड़े -बड़े बुद्धिमान और प्रकांड पंडित भी

बच नहीं सकते।

पंचतंत्र की कहानियों का सार तत्व

 

एक बार टूट कर जुडी हुई  प्रीति  कभी स्थिर नहीं रह सकती।

जो शरणागत जीव पर दया नहीं करते ,उन पर देव भी दया नहीं करते।

Hindi Hindustani यदि शरणागत शत्रु भी तो भी अतिथि के समान सत्कार करना चाहिए ,प्राण देकर भी शरणागत की रक्षा की   जानी चाहिए। 

शत्रुता दो तरह की होती है -एक सहज और दूसरी कृत्रिम। जो शत्रुता किसी कारण  से हो वह कृत्रिम होता है और प्रयासों से उसका निस्तारण भी हो जाता है। स्वाभाविक शत्रुता निष्कारण  होती ,उसका अंत हो ही नहीं हो सकता।

कोई भी काम अकारण नहीं होता। कूटे हुए तिलों को यदि कोई बिना कूटे तिलों के भाव बेचने लगे तो  उसका भी कारण  होगा ,हर काम के कारण  को जानो ,क्योकि अकारण कुछ भी नहीं हो सकता। 

धन के बिना मनुष्य की स्थिति  दंतहीन सांप की तरह हो जाती है। 

Hindi Hindustaniयुवास्था और धन का उपयोग क्षणिक ही होता है। पहले धन के अर्जन में दुःख है ,फिर उसके संरक्षण में। जितने कष्टों से मनुष्य धन का संचय करता है ,उससे शतांश कष्ट से भी यदि धर्म का संचय करें तो उसे मोक्ष मिल जाये। 

भाग्य में न हो तो हाथ में  आये धन का भी उपभोग नहीं हो सकता। 

जो निश्चित को छोड़कर अनिश्चित  के पीछे भटकता है ,उसका निश्चित धन भी नष्ट हो जाता है। अनिश्चित लाभ की आशा में निश्चित वस्तु का परित्याग कभी अच्छा नहीं होता।

संचय रहित उपयुक्त धन  गुप्त धन से कहीं ज्यादा श्रेष्ठ   है। जिस धन का दान में  या सत्कर्मों  मे व्यय कर दिया जाये ,वह धन संचित धन की अपेक्षा बहुत अच्छा होता है। 

Hindi Hindustaniमित्रता  में बड़ी शक्ति होती है। मित्र संग्रह करना जीव की सफलता में बड़ा सहायक  है। विवेकी व्यक्ति को सदा मित्र प्राप्ति में प्रयत्न शील रहना चाहिए।

धूर्त और छल से बड़े -बड़े बुद्धिमान और प्रकांड पंडित भी बच नहीं सकते।

 

 

 

 

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