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mukesh-saranga teri yaad mein

July 22, 2017
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मुकेश -जन्मतिथि पर विशेष 

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२२ जुलाई -१९२३ 

मुकेश जैसे मुझसे कह रहे है –
मैं  पल दो पल का शायर था पल दो पल की कहानी थी 

mukesh-saranga teri yaad mein

कभी -कभी मेरे दिल में ख्याल आता है 
कि  क्यों बैलोस आवाज़ का जादूगर मुकेश जैसा गायक संगीत प्रेमियों  को फिर क्यों नहीं मिला ?

दुनिया बनने वाले क्या तेरे दिल में समायी 
कि  तूने फिर मुकेश जैसा गायक पैदा क्यों  नहीं किया

मुकेश के बिना हर संगीत प्रेमी कह  रहा है
ज़िंदा हूँ इस तरह से ………….

इसी मुकेश ने कभी अपने प्रशंसकों  से कहा था –
मैंने तेरे लिए ही सात रंग के सपने चुने ………….

आज भी मुकेश की वह आवाज़ मेरे कानों में गूंज रही है ,जो गा -गा कर कह रहा है –
मेरा जूता है जापानी ,फिर भी दिल है हिन्दुतानी 
इतने सालों बाद भी  हिंदुस्तानी गायक मुकेश की यादों को भुला नहीं पाया
यह मेरा दीवानापन है ,या .…….

फिर भी मुकेश ने मेरी बात ना  सुनी  तो मुझे कहना पड़ेगा –
दोस्त -दोस्त ना रहा 

आज २२ जुलाई को मैं  फिर मुकेश को आवाज़ देता हुए कह रहा हूँ –
ओ जाने वाले हो सके तो लौट के आना 

फिर मुकेश ने मुझे ढांढस  देते हुए कहा कि  बहुत साल पहले  मैंने कहा था ना कि –
एक दिन बिक जायेगा माटी के मोल ,जग में रह जाएंगे प्यारे तेरे बोल 

आज भी जब मुकेश की याद आती है ,लबों से ये ही निकलता है
जाने कहाँ गए वो दिन ,कहते थे तेरी याद में

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मुकेश के कुछ  बेहद लोकप्रिय गीत 

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आंसू भरी है ये जीवन की राहे  …. 

दिल जलता  है तो जलने दे  …  

प्यार हुआ ,इकरार हुआ हाँ दीवाना हूँ मैं  …. 

हम छोड़ चले है महफ़िल को  ….. 

हम तो  तेरे आशिक़ है सदियों पुराने …. 

हमने अपना सब कुछ खोया प्यार तेरा पाने को …. 

हर दिल जो प्यार करेगा …. 

होंठों  पे सच्चाई रहती है …. 

हम तुझसे मोहब्बत करके सनम …. 

चांदी की दीवार ना तोड़ी ,प्यार भरा दिल तोड़ दिया … 

 इचक दाना बीचक दाना …  
 

जाना तुम्हारे प्यार में। …. 

ढम ढम ढिगा -ढिगा ….. 

मेरा प्यार भी तू है …. 

मेरे मन की गंगा और तेरे मन की जमुना का .. 

कई बार यूं  भी देखा है  …. 

बस यही अपराध मै  हर बार करता हूँ  …. 

मुकेश के बारे कुछ अन्य जानकारी 

मुकेश के सभी प्रशसकों को चाहिए कि  वे मोती लाल के प्रति आभार व्यक्त करे क्योकि वे ऐसे शख्स थे ,जिनकी वजह से हुनके प्रशंसकों को मुकेश जैसा गायक मिल सका। 
मुकेश ने फिल्मों में अपनी शुरूआत नायक के तौर पर की ,फिल्म थी निर्दोष(१९४१ )। 
१९४५- में बनी फिल्म  पहली नज़र में गाया गीत   दिल जलाता है तो जलने दे  इस गाने में  के एल सहगल का प्रभाव ज्यादा और मुकेश की पहचान  कम  

आवाज़-दिलीप कुमार/राज कपूर /मनोज कुमार /
मुकेश को-राज कपूर की आवाज़ के रूप में  पहचान मिली 
फिल्म निर्माता के रूप में भाग्य आज़माया- फ़िल्में थी  -मल्हार( १९५१) /अनुराग-(१९५६ )लेकिन घाटे का सौदा साबित हुई 
-नायक के रूप माशूका और अनुराग फिल्मों में   अभिनय किया लेकिन  दोनों फ़िल्में  फ्लॉप रही 
१९५० के अंत में शीर्ष गायक बन गए 
आवाज़ को पहचान देने वाली फिल्मे थी  -मधुमती/अनाडी /यहूदी 

 में प्रदर्शित राज कपूर की फिल्म अनाडी में गए गीत  सब कुछ सीखा  हमने ना सीखी होशियारी के पहला  फिल्म फेयर अवार्ड- १९५९
दूसरा फिल्म फेयर अवार्ड – १९७० 
तीसरा फिल्म फेयर अवार्ड-१९७२ 
चौथा फिल्म फेयर अवार्ड-१९७६
१९७४ में प्रदर्शित  रजनी गंधा फिल्म  में गए गीत- कई बार यू  भी देखा है    राष्ट्रीय  पुरस्कार मिला 

जन्म-२२ जुलाई १९२३ 

 मृत्यु २७ अगस्त १९७८ 

वास्तविक नाम -मुकेश चन्द्र माथुर 

पिता- जोरावर चन्द्र माथुर 
जन्म -दिल्ली 

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