Hindi Hindustani
Important Days

malala day-12july inspiration article in hindi

July 12, 2016
Spread the love

malala day-12july inspiration article in hindi

Hindi Hindustani

malala day-12july inspiration article in hindi

malala day-12july inspiration article in hindi

Hindi Hindustani

 

मलाला दिवस – १२ जुलाई  

दुनिया में दो तरह के लोग होते है ,कुछ अच्छे , तो कुछ बुरे। दुनिया में सारे लोग बुरे है ,ऐसा भी नहीं है ,दुनिया के सारे लोग अच्छे है ,ऐसा भी नहीं है। यह सच आज का नहीं युगों से चला आ रहा है। ज़िन्दगी जीने के दो तरीके है -एक  आत्म-सम्मान को गठरी बांधकर एक और रखकर  गुलाम बनकर जीना ,दूसरा है -आत्म-सम्मान के साथ संघर्षपूर्ण ज़िन्दगी जीना। एक की ज़िन्दगी का मक़सद होता है अपने और अपनों के लिए जीना ,दूसरे की ज़िन्दगी का मक़सद होता है दूसरों के लिए जीना। दुनिया में ऐसे लोग कौन -कौन है ?तो आज के यानि १२ जुलाई के दिन एक नाम नाम जहन में उभरकर आता है -एक मासूम सी बेटी का ,जिसे दुनिया और दुनिया के लोग मलाला के नाम से जानती है। जिसने अज्ञानता के अंधेरे को मिटने के संकल्प को अपनी ज़िन्दगी का मक़सद बना लिया। मक़सद को हासिल करने के लिए वह जिस रास्ते पर निकली वह रास्ता इतना आसान नहीं था ,कदम- कदम पर मौत निशाना सांधे खड़ी थी। लेकिन जिसने ज़िन्दगी से नहीं मौत से प्यार करना सीख  लिया हो ,वह भला मौत से कहाँ डरने वाली  ? इरादों में यदि मज़बूती हो तो प्रतिकूल स्तिथियों को भी अनुकूल बनाया जा सकता है। तेरह  साल की इस छोटी सी बच्ची ने यह सच साबित कर दिखाया।
ज्ञानी कहते है कि  आदमी जैसा सोचता है ,विचार करता है ,वह वैसा ही हो जाता है। मलाला ने ज्ञानियों  के इस तथ्य को  भी अक्षरशःयथार्थ रूप में परिणीत कर दिया।मलाला ने कहा था कि  शिक्षा न पूरब होती है और न
पश्चिम। शिक्षा सिर्फ शिक्षा होती है। शिक्षा पाना हर मनुष्य का अधिकार है। मैं  शिक्षा प्राप्त करके रहूंगी -चाहे घर में ,स्कूल में या और कहीं। एक किताब ,एक कलम ,एक बच्चा और एक शिक्षक दुनिया बदल सकते है। अगर आप खड़े होकर गलत के खिलाफ बोलेगें नहीं तो गलत को और ज्यादा ताक़तवर बना दोंगे। जब पूरी दुनिया सच्चाई के मुददे पर खामोश  हो ,तब सच्चाई के लिए उठी एक आवाज़ भी ताक़तवर बन जाती है। मैं  कहती हूँ कि  मैं डर से  ज्यादा ताक़तवर  हूँ। मैं  किसी से नहीं डरती। मैं  बस एक चीज चाहती हूँ और वह है – सभी बच्चों के लिए शिक्षा।जो ताक़त शिक्षा में है , बन्दूक में नहीं।मैं अपना चेहरा इसलिए नहीं ढकती  क्योंकि  मैं  अपनी पहचान दिखना चाहती।दिखना चाहती हूँ-इरादों में दम  होता है  । कुछ लोग औरों से कुछ करने के लिए कहते है। लेकिन मैं  क्यों किसी का इंतज़ार करूँ ?क्यों मैं खुद एक कदम आगे बढू ? आज का बच्चा जो कल का कर्णधार है ,अगर आप उसे शिक्षा से  वंचित रखते है तो इसका मतलब है हम देश को बर्बाद कर रहे है।
इसी सोच ने …इन्ही विचारों ने मात्र सतरह साल की  बच्ची को सबसे  कम  उम्र की विश्व का  सबसे ऊँचा   सम्मान  नॉबेल पुरस्कार से सम्मानित होने का सम्मान दिलाया।  ,दुनिया का सम्मान पाया ,दुनिया से सम्मान पाया और उससे भी बढ़कर शिक्षा को सम्मान दिलाया।
जिस मलाला का आज का पूरा विश्व जन्म-दिन मना रहा है ,उस मलाला के उस साहसिक ,वीरता और चुनौती पूर्ण काम को भी याद कर ले ,जिसके कारण पूरा विश्व मलाला का आज जन्म-दिन मना रहा है।

बात उन दिनों की है जब मिंगोरा पर तालिबान का कब्ज़ा हो गया था तालिबान ने लड़कियों के न  पढ़ने पर फरमान  जारी  कर दिया था। यहाँ  तक कि टेलीविजन देखने ,संगीत सुनने और  खुले में खेलने पर भी प्रतिबन्ध लगा दिया गया था। तब मलाला ने बच्चों के अधिकारों और लोगों में  जागरूकता लाने  के लिए लड़ने का निश्चय किया।
वह  तेरह वर्ष की आयु से ही  गुल -मकई ,छद्म नाम से तहरीक -ए – तालिबान शासन के अत्याचारों के बारे में
बीबीसी के माध्यम से ब्लॉगिंग  करने लगी।  तहरीक -ए – तालिबान शासन के अत्याचारों से दुनिया वाकिफ हुई। मलाला  को धमकियाँ मिलने लगी। मलाला डरी नहीं। उसने स्कूल जाना और  लिखना जारी रखा।
एक दिन जब वह स्कूल  लौट रही थी ,उस पर हमला हुआ। हमले में बुरी तरह घायल हुई। इलाज के इंग्लैंड भेजा गया  .डॉक्टरों के अथक प्रयासों से जान बच गयी। उसके अच्छे काम के सामने मौत भी हार गयी।  छोटे  कद की इस बच्ची का ऊँचा काम दुनिया ने देखा। मलाला ने बच्चों के अधिकारों और शिक्षा  की अलख फ़ैलाने का काम जारी रखा।मलाला ने कहा कि  मेरी कहानी दुनिया भर के हज़ारों बच्चों की कहानी है। मुझे आशा है ,मेरी कहानी औरों को भी अपने अधिकारों के लिए लड़ने की प्रेरणा देंगी। शिक्षा ही सारी  समस्याओं का समाधान है।
कट्टरवादियों ने सोचा वे मेरा लक्ष्य बदल देंगे और मेरी महत्वाकांक्षा को दबा देंगे ,लेकिन उल्टा हुआ- कमज़ोरी ,निराशा ,और डर  की मौत हो गयी। शक्ति,सामर्थ्य और  सहस का जन्म हो गया। मैं  उस लड़की के रूप में याद किया जाना नहीं चाहती जिसे गोली मार दी गयी थी। मैं  उस लकड़ी के रूप में याद किया जाना पसंद करूंगी जो  अधिकारों का हनन करने वालों के खिलाफ खड़ी  हुई थी।  मई पहले ही मौत देख चुकी हूँ ,और मैं  जानती हूँ कि  मौत मुझे मेरे शिक्षा के मक़सद में मदद कर रही है। मौत मुझे मारना नहीं चाहती।मलाला का यह कथन किसी भी सहृदय को छू  लेने के लिएपर्याप्त है की जब मैंने भगवान् से एक -दो इंच की ऊंचाई मांगी तो भगवान् ने मुझे आकाश जितना ऊँचा बना  दिया ,इतना ऊँचा कि  मैं  खुद को माप नहीं सकती। लोगों तक पहुँचने  की यह ऊंचाई देकर ,उन्होंने मुझे बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी भी दे दी। दुनिया ने मलाला के काम सराहा  और नाम को पहचाना।
 बच्चों के अधिकारों और शिक्षा  की अलख फ़ैलाने के काम  के लिए दुनिया कई देशों ने मलाला को अंतर -राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया।
१० दिसंबर १९१४ को नार्वे  में आयोजित कार्यक्रम में बच्चों के अधिकारों और शिक्षा के उत्कृष्ट कार्य के लिए
भारतीय शिक्षाविद कैलास  सत्यार्थी के साथ मलाला को  संयुक्त रूप से नोबेल पुरस्कार दिया गया।
ऐसी बेटी को उसके जन्म-दिन पर कोटि -कोटि बधाई। 

No Comments

    Leave a Reply

    error: Content is protected !!
    error: Alert: Content is protected !!