कंजूस आदमी एक पैसे के लिए वैसे ही उतावला होता है ,जितना कोई राज्यलोलुप राजा राज्य जीतनेके लिए -स्मिथ एक चीज दुनिया की सारी सेना से भी ताक़तवर है ,और वह है ,समयानुकूल विचार -विक्टर ह्यूगो
जो बाहर दिखता है ,वह भ्रम है, असत्य है और जो अंतर में दिखता है ,वह यथार्थ भी है और सत्य भी -सूक्ति यदि आप चाहते है कि कार्य अच्छे से हो ,तो स्वयं करें -नेपोलियन बोनापार्ट इस बात पर आँसू मत बहाओ कि सब ख़त्म हो गया ,इस बात पर मुस्कराओ की यह पूर्ण हो गया -स्यूस
बड़ा होकर मैं छोटा बच्चा बनना चाहूँगा –जोसेफ हेलर हम चीजों को वैसे नहीं देखते जैसी वह होती है ,बल्कि उस तरह से देखते है जैसे हम होते है -एनेस नीन लोभ पाप का घर है ,लोभ पाप की जन्म भूमि है और लोभ ही दोष ,क्रोध को जन्मदेनेवाली माता है। अतः पाप का कारण लोभ ही है – कवि बल्लव परिवार का मतलब ही सुख होता है किन्तु लोग अपने -अपने तरीके से उसे दुखी बना लेते है –टालस्टाय जब साम ,दाम दंड ,भेद विफल हो जाये तो लक्षमण रेखा पार करना अनुचित नहीं -सूक्ति विचारहीन लोग धर्मग्रंथों को वैसे ही रटतेहै ,जैसे पिंजरे में बंद तोता राम-राम रटता रहता है –स्वामी रामतीर्थ सोने की शुद्धता की परख अग्नि में होती है और मनुष्य की श्रेष्ठता संकट में -कालिदास बेल को ही पेड़ के तने के सहारे की ज़रुरत होती है ,वैसे ही कमज़ोर ही ताक़तवर का आश्रय ढूढता है -सूक्ति पेड़ की सार्थकता फल और छाया देने में है और धनी व ज्ञानी की सार्थकता परमार्थ में है -सूक्ति जिसका पिता धैर्य ,माता सुमति, पत्नी दया पुत्री करुणा ,सहायक धर्म हो और पुरुष सज्जन हो ,यही सांसारिक वैभव है -चाणक्य दुनिया में आज तक कोई इतना धनी नहीं हुआ ,जो बीते हुए पल को खरीद सकें –ऑस्कर वाइल्ड पिता जिसका धैर्य ,माता जिसकी क्षमा ,पुत्र जिसका सत्य ,भाई जिसका संयम ,शैया जिसकी धरती ,वस्त्र दिशाए और भोजन ज्ञानामृत हो ऐसे उत्तम परिवार वाले को भय कहाँ ?-भर्तृ हरि जिसके पास नहीं है ,उसे भी देने के लिए सूर्य धरती से जल लेता है– सूक्ति नाम में क्या रखा है ?गुलाब का नाम चाहे जो रख दो ,खुशबू ही देगा- सूक्ति भला करोगे तो तो उलट कर लाभ हो जायेगा -सुरेश सुमन जिसके ह्रदय में उत्साह है ,वे कठिन से कठिन स्थिति में भी हिम्मत नहीं हारते -वाल्मीकि स्वप्न में देखा कि जीवन सौन्दर्य है ,किन्तु जगाने पर पाया कि जीवन कर्तव्य है -एलेन हूपर मित्र बनाना आसान है किन्तु मित्रता निभाना कठिन है -संत रविदास भड़कीले कपड़ोंवाला आदमी केवल स्त्रियों और मूर्खों में आदर पता है -वाल्टर रैले कपड़ा तन ढकने के लिए होता है, तन सजाने के नहीं। वैसे ज्ञान और धन परमार्थ के लिए होता है ,व्यक्तिगत सुख के लिए नहीं -गांधीजी अपने पुराने कपडे भी अच्छे लगते है ,किन्तु मँगनी के नए कपडे लज़्ज़ित करते है -शेखसादी भोजन स्वयं को प्रसन्न करने के लिए और कपड़ा दूसरों को प्रसन्न करने के लिए ग्रहण करो-बेंजामिन फ्रैंकलिन कमज़ोरी की दवा चिंता करना नहीं बल्कि अन्तर्निहित शक्ति का चिन्तन करना है -स्वामी विवेकानंद गाय से दूध और बगीचे से फूल समय पर ही लिए जा सकते है ,उससे पूर्व नहीं। वैसे ही हर वस्तु पाने का समय होता है ,उससे पूर्व प्राप्त नहीं हो सकती -सूक्ति करुणा ज्वाला मुखी की तरह होती है। ऊपर से शांत और भीतर से आग। करुणा जब फूटती है तब क्रूर से क्रूर ह्रदय को भी पिघला देती है -सुदर्शन आंसू करुणा की बूँद है -लार्ड वायरन मनुष्य का कर्तव्य है ईश्वर की इच्छा के अनुसार चलना और ईश्वर शांति चाहता है -लियो टालस्टाय चन्द्रमा कलंक को अपने पास रखकर दूसरों को निर्मल चांदनी ही देता है -रवींद्रनाथ ठाकुर अधिक से अधिक लोगों को अधिक से अधिक लाभ पहुँचाने वाला कर्म ही सर्वश्रेष्ठ कर्म है –फ्रांसिल हचिसन
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