How to live happily with family?
How to live happily with family?
नींद खुलने के साथ ही हडबडाहट……सब कुछ जल्दी -जल्दी ….नित्य क्रिया से लेकर ….नाश्ते तक .
भाग -दौड़ …..भाग दौड़ ….व्यस्तता …व्यस्तता ….व्यस्तता ……समय कम और काम ज्यादा …
इन सब के बीच कुछ खो गया …..पीछे छूट गया …..कब …कैसे …..कहाँ …क्यों ….कुछ पता नहीं …बस ,एक एहसास है …..ज़िन्दगी में वह ख़ुशी नहीं ,जो होनी चाहिए ….वह खुशियाँ तलाशता है .अपने भीतर नहीं ,बाहर
हर मनुष्य हमेशा खुश रहना चाहता है लेकिन वह तब खुश रह सकता है जब उसके वह परिजन भी खुश हो जिनके साथ वह रहता है .यदि परिवार का एक सदस्य भी दुखी ,परेशान और समस्या से घिरा हुआ हो तो वह कभी खुद भी खुश नहीं रह सकता .याद रखें ,परिवार के सदस्य शरीर के अंग की तरह है ,एक अंग को भी तकलीफ होती है ,तो पूरे शरीर को महसूस होता है .विभिन्न कारकों के संयोजन से परिवार खुश रहता है जो पारिवारिक गतिशीलता में सकारात्मक योगदान देता है।
यदि आप हर समय अथवा ज्यादातर समय अपने व्यक्तिगत कार्यों में व्यस्त रहते है .आप उन्हें अपने साथ शामिल होने ,उनके साथ हंसने-बोलने का अवसर नहीं देते है ,तो धीरे-धीरे यह आपका और परिजनों का अपनी-अपनी परिधि में रहना स्वभाव बन जायेगा .आपके और परिजनों के बीच भावनात्मक दूरी बढती चली जाएगी .आपके परिजन आपके इस व्यवहार और स्वभाव के अभ्यस्त हो जायेंगे .आपके परिजन आपसे न तो इस बात की आपसे शिकायत करेंगे और न इस बारे में कुछ कहेगे .
जब कभी आप एकाकी होंगे ,आप ऐसा अनुभव करेगे कि आपके परिजनों को आपकी चिंता नहीं ,आपसे कोई लगाव नहीं .इस स्थिति के लिए ज़िम्मेदार कौन है ,इस सम्बन्ध में आपका ध्यान अपनी गलती की ओर नहीं जायेगा बल्कि आप परिजनों को हो दोषी मानने लगेगे .इस तरह की स्थिति न बने इसके लिए आवश्यक है कि आप अपने व्यक्तिगत कार्यों को इस प्रकार संतुलित करें कि अपनी व्यस्तता में से कुछ समय निकालकर अपने परिजनों के साथ समय व्यतीत करें .
अपने परिजनों से लगातार संवाद बनाये रखना एक सेतु का कार्य करता है .परिजनों से संवाद करते रहने से एक दूसरे दुःख –दर्द ,समस्या ,परेशानी साँझा होते है .दुःख बँट जाता है ,परेशानी अथवा समस्या का समाधान निकल आता है .अपने परिजनों से खुलकर और ईमानदारी से संवाद करना, अपने विचारों और भावनाओं को साझा करना एक स्वस्थ परिवार की गतिशीलता की कुंजी है ।
परिजनों के साथ आत्मीयता बढाने के लिए आपको कोई अतिरिक्त प्रयास नहीं करना होता ,बस ,आपको छोटे –छोटे अवसरों को महत्वपूर्ण बनाने की कला विकसित करना आना चाहिए .जैसे –आपके परिजन प्रत्यक्ष –अप्रत्यक्ष रूप से आपकी सहायता करते है ,आपके कठिन कार्य को सहज बनाते है ,परेशानी अथवा समस्या आने पर आपका मनोबल बढ़ाते है ,आप अकेले है ,ऐसा महसूस नहीं होने देते , तब आप अपने परिवार के सदस्यों के लिए आभार और प्रशंसा व्यक्त करें। उन्हें धन्यवाद दें ,गले लगाये या उनके प्रयासों की तारीफ करें .
एक कहावत है –जहाँ बर्तन होंगें ,तो वें टकरायेंगे भी .यह कहावत परिवार पर भी चरितार्थ होती है .हो सकता है कि आप या आपके परिजनों को एक दूसरे की आदत पसंद न हो ,एक –दूसरे के फैसले या विचारों में मतभेद हो ,जिससे नाराजगी हो सकती है .परिवार में यह सब होना स्वाभाविक है .ऐसे अवसरों पर आपको संयमित होने की आवश्यकता होती है .अपने परिजनों से न द्वेष रखें और न नाराजगी .क्षमा एक ऐसा मंत्र है जो स्थिति को भयावह होने से बचा जा सकता है . द्वेष और नाराजगी रखने से परिवार में तनाव पैदा हो सकता है। क्षमा का अभ्यास करें और उन सभी नकारात्मक भावनाओं को निकाल दें ,जो रिश्ते में बाधा बन सकती हैं।
हर मनुष्य के लिए उसका परिवार समर्थन और प्रोत्साहन का स्रोत होता है . परिजन एक दूसरे के सपनों, आकांक्षाओं और लक्ष्यों के लिए समर्थन प्रकट करें ,नैतिक प्रोत्साहन दें , चुनौतीपूर्ण समय के दौरान एक-दूसरे के लिए एक साथ खड़े रहें।
परिवार से मान-सम्मान और प्रेम पाने का सबसे उत्तम उपाय यही है कि सभी परिजन परस्पर एक –दूसरे की भावनाओं का सम्मान करें .ऐसा करने से घर-परिवार का वातावरण साकारात्मक तो होगा ही ,साथ ही घर का हर सदस्य खुश नज़र आएगा .जिस ख़ुशी की तलाश आप बाहर कर रहे थे ,वह घर में ही मिल जाएगी .
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