Hindi Hindustani
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hindi poem –

May 23, 2016
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hindi poem –

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hindi poem – जीवन के अकेलेपन में

hindi poem -जीवन के अकेलेपन में

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तुम कैसे चले आये
मेरे  जीवन विहार में
इस प्रेम विहीन

रात की अथाह  नीरवता में
मैं  अपने भीतर खोया था
बाहर की आवाज़ों की उपेक्षा करता हुआ
मैं आकंठ डूबा था
अपनी घृणा की गहरी झील में
फिर क्यों प्रकाश भर गए    
मेरे जीवन के अकेलेपन में
 
एक मधुर सी आवाज़
एक अंतर्ज्योति
बस
मेरा संपूर्ण जीवन
भीतर ही भीतर
द्रवित हो गया
मधुर सी आवाज़
संगीत बन गयी
अंतर्ज्योति
अंतरतम को निगल गयी
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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