ganesh chaturthi – pooja vidhan in hindi
गणेश चतुर्थी -पूजा विधि
बात चाहे मनोरथ पूर्ण होने की हो अथवा कार्य निर्विघ्न सफल होने की अथवा किसी भी भांति का संकट दूर करने की हो ,समस्त विघ्न -बाधाओं का निवारण करते है -विघ्नविनाशक और सिद्धि प्रदायक श्री गणेश
भगवान अपने भक्तों की भावना देखते है ,उनकी विद्वता या पांडित्य नहीं .इस गणेश चतुर्थी पर आप अपने परिवार सहित अपने घर पर ही स्वयं
श्री गणेश का षङोपचार पूजन कर सकते है .इस POST में संस्कृत के जटिल-कठिन श्लोक -मन्त्र रहित दैनिक बोलचाल की भाषा में पूजन विधि प्रकाशित की जा रही है ,जिसमे वही भाव निहित है ,जो संस्कृत मन्त्र और श्लोक में है ,सिर्फ भाषांतर हुआ है ,भाव नहीं .स्वयं पूजन कर आपको वैसा ही अनुभव होगा जैसा पंडित-पुजारी द्वारा पूजन करने से होता है ,स्वयं पूजन करने से आपको ज्यादा संतुष्टि और प्रसन्नता का अनुभव होगा , … तो आओ ,इस गणेश चतुर्थी पर स्वयं पूजन करें
गणेशजी को विघ्नहर्ता ,शत्रु हन्ता ,रिध्दि-सिध्दि के दाता ,और बुध्दि प्रदायक देव माना जाता है .देवताओं में प्रथम पूज्य श्री गणेश ने अपने बुध्दि कौशल से माता-पिता की परिक्रमा समस्त लोक की परिक्रमा समान मनवाकर अग्रपूज्य के पदाधिकारी बनें . वेद व्यास की मुख वाणी से निसृत वाक्यो को अविरल गति से लिपिबद्ध करनेवाले श्री गणेश ही थे .यह श्री गणेश के धैर्य ,कार्यकुशलता व कार्यके प्रति समर्पण और परायणता का द्ध्योतक है .।संसार के संहारक शिव जिनके पिता है और शक्ति की देवी पार्वती जिनकी माता है .माता-पिता के गुणोंसे परिपूर्ण है हसरी गणेश । इनके स्तोत्र तो वैदिक रूप से स्वयं सिध्द है ,जीवन की कोई भी किसी भी तरह की समस्या हो श्री गणेश के वैदिक स्तोत्र उनका निवारण है ।
धूमधाम से मनाया जानेवाला बहुप्रतीक्षित त्यौहार- गणेश चतुर्दशी ,जो 13 सितम्बर को भाद्र पद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को मनाया जायेगा। शास्त्रानुसार इस दिन को प्रथम पूज्य -वंदनीय पदाधिकारी माने-जानेवाले गणपति देव का अवतरण दिवस माना जाता है।
यह त्यौहार स्थापना तिथि चतुर्थी से लेकर विसर्जन तिथि चतुर्दशी तक अर्थात दस दिन तक मनाया जाता है। जिस धूमधाम से चतुर्थी पर गणेश प्रतिमा स्थापित होती है ,उसी धूमधाम से अनंत चतुर्दशी पर विसर्जित कर दी जाती है।
इस गणेश चतुर्थी पर अपने घर ही पर विधि-विधान से विनायक स्थापना कर हर मनोरथ पूर्ण करनेवाले श्री गणेश को प्रसन्न करें –
गणेश पूजन से सम्बंधित ध्यान रखने योग्य बातें –
- गणेश पूजन में तुलसी पत्र और दुर्गा पूजन में दूर्वा का प्रयोग निषिध्द माना गया है ,अतएवं गणेश पूजन में तुलसी पत्र का प्रयोग ना करें
- भाद्र पद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के चन्द्र दर्शन को अनिष्ठकारी बताया गया है अतएवं भाद्र पद मास की शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के चन्द्र दर्शन ना करें .शास्त्रानुसार इस तिथि को चन्द्र दर्शन से कलंक लगता है .
- गणेश जी को मोदक के लड्डू विशेष प्रिय है ,अतःनैवेद्य में मोदक का भोग अवश्य लगाये
- लाल रंग गणेश जी को विशेष प्रिय माना गया है ,अतःपूजन में लाल रंग के फूल और लाल रंग के वस्त्र पहन कर पूजन करना श्रेष्ठ माना गया है .
- गं गणेशजी का बीज मन्त्र है .किन्ही कारणों से विधि-विधान से पूजन ना कर पाने की पूर्ति ॐ गंगणपतये नम:का उच्चारण करते हुए एक माला का जाप करने से हो जाती है ,ऐसी मान्यता है .
- गणेशजी की एक ही परिक्रमा का विधान है
गणेश पूजन की ( अ ) संस्कृत श्लोक के हिन्दी भावार्थ रूप मे और ( ब ) मूल संस्कृत के मंत्र -श्लोक की सरल व संक्षिप्त विधि । दोनों विधियाँ दी गई है .आप अपनी सुविधानुसार किसी एक विधि द्वारा गणेश पूजन का लाभ और आनंद ले सकते है
गणेश पूजन ( अ ) संस्कृत श्लोक के हिन्दी भावार्थ रूप मे
गंगाजल , घी वस्त्र , चन्दन , दूर्वा ,पान, रोली , सुपारी जल ,इत्र ,मौली , ,दीपक , धूप ,ऋतु फल,नैवेद्य के
नैवेद्य के रूप में मोदक के लड्डू ,नारियल ,
चौकी ,लाल वस्त्र (आसन पर बिछाने के लिए )
गणेशजी की प्रतिमा
इन मन्त्रों का उच्चारण करते हुए जल से ३ बार आचमन करे
ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु ,ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु ,ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु ,
ध्यान –
सर्वप्रथम मन ही मन गणेशजी के रूप का ध्यान करें ,उस ध्यान मे श्री गणेश जी का जो भाव रूप चित्र उभरे ,उसे संबोधित करते हुए कहे-हे गणपति ,मै आपको प्रणाम करता हूँ
1-आहावन /स्थापन –
हे महागण अधिपति ,आपको नमन ,मै आपका स्थापन हेतु आहावन करता हूँ ,आप सिद्धि बुद्धि सहित पधारे तथा यहाँ प्रतिष्ठित होए
2-आसन-
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,आसन ग्रहण करें
3-पाद्य
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपके चरणों का प्रक्षालन करने हेतु जल समर्पित करता हूँ ,स्वीकार करें
4-अर्घ्य
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको गंध मिश्रित अर्घ्य जल समर्पित करता हूँ
5-आचमन
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको आचमन के लिए जल समर्पित करता हूँ
6-स्नान
सामान्य जल से स्नान कराते हुए कहे –
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको पाप हारिणी गंगा के जल से स्नान करवाता हूँ ,
पंचामृत से स्नान
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको दही,दूध ,शक्कर ,घी और शहद मिश्रित पंचामृत से स्नान करवाता हूँ
शुद्धोदक स्नान –
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको गंगा ,यमुना ,सरस्वती ,नर्मदा ,गोदावरी आदि पवित्र नदियों के जल से स्नान करवाता हूँ
7-वस्त्र
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको शीत,वायु ,उष्ण से रक्षार्थ व लज्जा रक्षक वस्त्र व उप वस्त्र समर्पित करता हूँ
8-यज्ञोपवीत (जनेऊ )
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको यज्ञोपवीत समर्पित करता हूँ ,स्वीकार करें
9-गंध /प्रिय पदार्थ
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको चन्दन समर्पित करता हूँ
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको सौभाग्यऔर सुखवर्धक सिंदूर समर्पित करता हूँ
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको आपकी अति प्रिय दूर्वा समर्पित करता हूँ
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको अक्षत समर्पित करता हूँ
10-पुष्प
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,आपको नमन,मै आपको पुष्प एवं पुष्प माला समर्पित करता हूँ
11-धूप
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,आपको नमन,मै आपको शुध्द गंध रूप वनस्पति रस से निर्मित धूप समर्पित करता हूँ
12 -दीप
दीप दर्शन कराते हुए कहे –
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको अंधकार का नाश करनेवाला पवित्र ज्योति स्वरूप दीप दर्शित करता हूँ
( दीप दिखने के बाद हाथ धोले लें )
13-नैवेद्य
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको नैवेद्य रूप मे दुग्ध ,घृत और शर्करा युक्त भक्ष्य व भोज्य आहार समर्पित कर रहा हूँ ,स्वीकार करें
( तत्पश्चात मुख शुद्धि और हस्त प्रक्षालन हेतु जल छोड़े )
14- ताम्बूल
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको मुख वासार्थ लवंग ,इलायची और सुपारी युक्त ताम्बूल समर्पित कर रहा हूँ ,स्वीकार करें
नारियल एवं दक्षिणा समर्पण
यथा शक्ति धातु के सिक्के अथवा मुद्रा तथा एक नारियल हाथ मे लेकर कहे –
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै यह आपको दक्षिणा रूप मे समर्पित कर रहा हूँ ,स्वीकार करें
15-प्रदक्षिणा
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,(मन ही मन प्रार्थना करें कि-)ज्ञात अथवा अज्ञात रूप से जो पाप हुआ है ,वह पद -पद पर परिक्रमा कराते हुए नष्ट हो जाए
16-पुष्पांजलि
हाथ मे पुष्प लेकर
हे महागण अधिपति ,आपको नमन,मै आपको लगनेवाले पुष्प समर्पित कर रहा हूँ ,स्वीकार करें
( ऐसा कहते हुए हाथों के पुष्प प्रतिमा के समक्ष छोड़ दे ) _
आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती ,पिता महादेवा
जय गणेश ….
एक दन्त ,दयावंत ,चार भुजाधारी
मस्तक सिन्दूर सोहे ,मूसे की सवारी
जय गणेश ….
अंधनको आँख देत,कोढीयन को काया
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया
जय गणेश ….
हार चढ़े,फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लडुवन का भोग लगे ,संत करें सेवा
जय गणेश ….
दीननकी लाज राखो शम्भू सुतवारी
कामनाको पूरी करो जग बलिहारी
जय गणेश ….
पूजा चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर
विधि -विधान से पूजा कर्म में भूल वश त्रुटि ना रह जाये ,इस हेतु पूजन प्रारम्भ करने से पूर्व निम्नलिखित पूजन सामग्री पूजा स्थल पर एक जगह एकत्र कर ले –
नैवेद्य के रूप में मोदक के लड्डू ,नारियल , चौकी ,लाल वस्त्र (आसन पर बिछाने के लिए )
गणेशजी की प्रतिमा
इन मन्त्रों का उच्चारण करते हुए जल से ३ बार आचमन करे
ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु ,ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु ,ॐ पुण्डरीकाक्ष पुनातु ,
आहावन /स्थापन –
ॐ सिध्दि बुध्दि सहिताय श्री महागणाधिपतये नम:
पंचामृत स्नान (दही,दूध ,शक्कर ,घी ,शहद )
शुध्दोक स्नान
यज्ञोपवीत (जनेऊ )समर्पण
धूप
दीप
ॐ सिध्दि बुध्दि सहिताय श्री महागणाधिपतये नम:
नैवेद्य
पान पर लौंग ,इलायची रख चढ़ाये
नारियल चढ़ाये
कुछ रुपये चढ़ाये
(अपने स्थान पर खड़े हो जाये )
आरती
जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा
माता जाकी पार्वती ,पिता महादेवा
जय गणेश ….
एक दन्त ,दयावंत ,चार भुजाधारी
मस्तक सिन्दूर सोहे ,मूसे की सवारी
अंधनको आँख देत,कोढीयन को काया
बाँझन को पुत्र देत,निर्धन को माया
जय गणेश ….
हार चढ़े,फूल चढ़े और चढ़े मेवा
लडुवन का भोग लगे ,संत करें सेवा
जय गणेश ….
दीननकी लाज राखो शम्भू सुतवारी
कामनाको पूरी करो जग बलिहारी
पुष्पांजलि
( कुछ पुष्प हाथ में लेकर प्रतिमा के समक्ष छोड़ दें )
एक परिक्रमा करें
पूजा चैव न जानामि क्षमस्व परमेश्वर
निवेदन -यद्यपि वर्तनी शुद्धि का विशेष ध्यान रखा गया है ,फिर भी अज्ञानता वश त्रुटि रह गई हो तो क्षमा करें और त्रुटि सुधार हेतु सूचित करे ,
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