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chanakya neeti-11

December 18, 2016
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चाणक्य नीति -११ 

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चाणक्य नीति -११ 



Hindi Hindustaniमहत्व इस बात का नहीं कि  आकार में कौन कितना बड़ा है ,महत्व उसकी अन्तर्निहित शक्ति का होता है। हाथी आकार में बड़ा होता है और अंकुश बहुत छोटा किन्तु मामूली अंकुश से विशालकाय हाथी वश में हो जाता है। अँधेरा घना  होता है  और दीपक बहुत छोटा किन्तु मामूली सा दीपक अँधेरे को मिटा देता है। पहाड़  विशाल होता है और  बिजली बहुत मामूली लेकिन मामूली सी लगनेवाली  बिजली पहाड़ में भी दरार पैदा कर देती है। मनुष्य जीवन में भी महत्त्व बुद्धि का होता है ,उसके विशालकाय शरीर का नहीं। 



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Hindi Hindustaniमनुष्य ये चार गुण जन्म जात लेकर पैदा होता है -उदारता  ,मृदुवाणी  ,धैर्य  और विवेकशीलता। ये चारों स्वाभाविक गुण  है ,जो अभ्यास से प्राप्त नहीं होते। ये चारों मनुष्य कुल के संस्कारों के परिचायक है। 


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Hindi Hindustaniगृह  आसक्ति में फँसे  को विद्या प्राप्त नहीं होगी ,मांसाहारी के ह्रदय में दया भाव नहीं होगा ,धन लोलुप में सत्यता का गुण  नहीं होगा और  कामासक्त मनुष्य में पवित्रता नहीं होगी,यह सत्य है।


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Hindi Hindustaniनीम का स्वाभाविक  गुण  कड़वा होता है ,यदि नीम के पेड़ को मीठा बनाने के लिए उसकी जड़ों को दूध और घी से सींचा  जाये तो नीम का पेड़ अपने कड़वेपन का अवगुण  छोड़कर मिठास का गुण  ग्रहण नहीं करेगा ,वैसे ही दुष्ट लोगों को कितना ही सुधारने की कोशिश की जाये ,वह अपनी दुष्टता का त्याग नहीं करेगा। 

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Hindi Hindustaniकुत्सित विचारों वाला अपने अन्तःकरण की शुद्धि के लिए कितने ही तीर्थ स्थानों पर जाकर पवित्र जल से कितनी ही बार स्नान कर ले ,उसके अन्तःकरण की शुद्धि नहीं हो सकती , ठीक वैसे ही जैसे मदिरा पात्र को अग्नि में कितना  ही  तपाया जाए ,पवित्र नहीं होगा। बाह्याडम्बर से अन्तःकरण की शुद्धि नहीं हो सकती है। 


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Hindi Hindustaniअज्ञानियों के लिए श्रेष्ठता  का कोई मूल्य नहीं ,उनके लिए तो श्रेष्ठ बातें और श्रेष्ठ वस्तुएं सब व्यर्थ है ,जैसे भीलनी जाति की आदिवासी स्त्री हाथी  के मस्तक के मोती गजमुक्ता को छोड़कर घुघुंची की ही माला धारण करेगी ,इसमे कोई विस्मय नहीं। 




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विद्या प्राप्ति के इच्छुक को चाहिए कि  वह इन आठ बातों का सर्वथा त्याग कर दे -काम ,क्रोध ,लोभ ,मधुर पदार्थ ,शृंगार ,निर्रथक खेल ,अति निद्रा और ऐंद्रिक सुख के लिए किया जानेवाला परिश्रम।  


 

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Hindi Hindustaniधन सम्पन्न  ,समर्थ , और सक्षम को चाहिए कि  अतिरिक्त धन का संचय ना कर उस धन का उपयोग दान -पुण्य के कार्यों में करें  ,इससे उसे यश और पुण्य  की प्राप्ति होगी अन्यथा मृत्योपरांत उसके धन का उपयोग अनधिकारी ही करेगे। शहद का छत्ते में ही व्यर्थ नष्ट होने पर मधुमक्खियाँ  भी पाँव घिस घिसकर  पश्चाताप करती है कि  हमारे द्वारा संचित शहद किसी के काम ना आया। 


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Hindi Hindustaniचाणक्य का मानना था कि  ब्राह्मण कुल में पैदा हो जाने से कोई ब्राह्मण नहीं हो जाता। ब्राह्मण कोई जाति नहीं ,अपितु धर्म और कर्तव्य के निर्वाह का नाम है। यद्यपि समय के साथ -साथ स्तिथियाँ बदल गयी है किन्तु यदि कोई स्वयं को ब्राह्मण कहता है तो उसके लिए कुछ स्तिथियाँ आज भी प्रासंगिक है और अपेक्षित भी। चाणक्य कहते है कि  –

Hindi Hindustaniवह ब्राह्मण जो सांसारिक कर्म में रत रहता है ,पशु-पालन करता है ,व्यवसाय या कृषि करता है ,वह ब्राह्मण होकर भी वैश्य ही है। 

Hindi Hindustani वह ब्राह्मण नहीं शुद्र है जो मदिरा ,माँस ,तैल  ,शहद ,घृत नीली कुसुम (नील ) ,वृक्ष की लाख का विक्रय कर अपनी आजीविका चलता है। 

Hindi Hindustaniउसे ब्राह्मण नहीं बिलार कहा जाना चाहिए जो निज स्वार्थ के लिए दूसरे का काम बिगाडता  है ,दम्भी हो ,स्वार्थ सिद्धि में लगा रहता हो ,छल करता हो ,दूसरों से द्वेष रखता हो ,सम्मुख तो मीठी वाणी बोलता हो किन्तु अन्तःकरण में कुत्सित भाव रखता हो। 

Hindi Hindustaniउस ब्राह्मण को मलेच्छ समझना चाहिए जो कुआँ ,बावड़ी ,तलाव ,बगीचे और देवालय को विध्वंस करता हो। 

 

 

Hindi Hindustaniवह ब्राह्मण नहीं चांडाल है जो  देवालय और गुरु सम्पति का हरण करता हो ,पर स्त्री संग समागम करता हो ,,जो क्षुधा तृप्ति के लिए कुछ भी भक्षण कर जाता हो। 

 
 

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