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September 24, 2022
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संपूर्ण क्रांति  . जयप्रकाश नारायण

3. संपूर्ण क्रांति  . जयप्रकाश नारायण

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न .उत्तर

प्रश्न 1. आन्दोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण के क्या विचार थे, आन्दोलन का नेतृत्व किस शर्त पर करते हैं?

उत्तर. आन्दोलन के नेतृत्व के संबंध में जयप्रकाश नारायण का यह विचार था कि वें सबकी सलाह लेंगे , उन सबकी बात बात पर  ज्यादा से  ज्यादा  बहस करूंगा, समझूगा , उनकी  बात स्वीकार करूँगा, लेकिन अंतिम  फैसला मेरा होगा। इस फैसले को सभी को स्वीकारना होगा। इसी शर्त पर मै आन्दोलन का नेतृत्व करूँगा .जयप्रकाश नारायण का मानना था कि किसी भी क्रांति का महत्त्व तभी है जब वह  क्रान्ति सफल हो अन्यथा क्रांति का  कोई मतलब नहीं  है । निष्कर्ष पर पहुंचे बिना  आपस की बहसों में हम बिखर जाएंगे और क्रांति का कोई  नतीजा नहीं  निकलेगा .

प्रश्न 2. जयप्रकाश नारायण के छात्र जीवन और अमेरिका प्रवास का परिचय दें। इस अवधि की कौन-कौन सी बातें आपको प्रभावित करती हैं?

उत्तर. जयप्रकाश नारायण की  प्रारम्भिक शिक्षा घर पर ही हुई थी । 1921 पटना कॉलेज में जब वे आई. एस. सी. के छात्र थे, उसी समय वे गाँधीजी के असहयोग आन्दोलन का  आह्वान किया और जय प्रकाश  असहयोग आन्दोलन से जुड़ गए . असहयोग के  डेढ़ वर्ष ही जयप्रकाश नारायण को  प्रयोगशाला में कुछ करने और सीखने के उद्देश्य से फूलदेव सहाय वर्मा के पास भेज दिया गया कि । उन्होंने  हिन्दू विश्वविद्यालय में दाखिला इसलिए नहीं लिया क्योंकि विश्वविद्यालय को सरकारी मदद मिलती थी। उन्होंने बिहार विद्यापीठ से परीक्षा उत्तीर्ण की । स्वामी सत्यदेव के भाषण से प्रभावित होकर अमेरिका गये। वें किसी  धनी परिवार से नहीं थे  परन्तु उन्होंने सुना था कि कोई भी अमेरिका में मजदूरी करके पढ़ सकता है।

उनकी  इच्छा  आगेपढ़ने  पढ़ना की थी । अमेरिका में अपने अध्ययन के दौरान जयप्रकाश नारायण ने  के बागानों में, लोहे के कारखानों में काम किया। छुट्टियों में काम कर इतना अर्जित कर लेते  थे कि दो-चार विद्यार्थी सस्ते में खा-पी सकते थे। एक छोटी सी कोठरी में अन्य लोगों के साथ   मिलकर रहते थे। रविवार की छुट्टी नहीं करते थे  बल्कि एक घंटा रेस्तरां – होटल में बर्तन धोने और वेटर का काम किया।  अन्य लोगों के साथ एक ही रजाई में सोकर रातें गुजारी । जब बी. ए. पास कर पर  स्कॉलरशिप मिल गई, तीन महीने के बाद असिस्टेंट हो गये और डिपार्टमेंट के ट्यूटोरियल  में क्लास लेने लगे। अमेरिका में रहते हुए जयप्रकाश नारायण के कैलिफोर्निया बर्कले, विलिकंसन मेडिसन आदि कई विश्वविद्यालयों में अध्ययन किया।

प्रश्न 3. जयप्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में क्यों नहीं शामिल हुए?

उत्तर. जब  जयप्रकाश नारायण अमेरिका से लौटे उस समय देश गुलाम था . जयप्रकाश नारायण  लेनिन से अत्यधिक प्रभावित थे .उनके अनुसार कम्युनिस्ट को आजादी की लड़ाई से अपने को अलग नहीं रखना चाहिए। क्योंकि लड़ाई का नेतृत्व ‘बुजुओ वर्ग’ के और  पूँजीपतियों के हाथ में होता है। अपने को आइसोलेट नहीं रहना चाहिए। जयप्रकाश नारायण गुलामी से मुक्ति के लिए जयप्रकाश ने लेनिन से सीखा था कि जो गुलाम देश है, वहाँ के जो कम्युनिस्ट हैं उनको हरगिज वहाँ की आजादी की लड़ाई से अपने को अलग नहीं रखना चाहिए। क्योंकि लड़ाई का नेतृत्व ‘बुजुओ वर्ग’ के हाथ में होता है, पूँजीपतियों के हाथ में होता है। अतः कम्युनिस्टों को अलग नहीं रहना चाहिए। अपने को आइसोलेट नहीं रहना चाहिए। जयप्रकाश  नारायण गाँधी से भी प्रभावित थे ,उस समय गांधीजी देश की आजादी के लिए आन्दोलन कर रहे थे .जयप्रकाश नारायण भी देश की आज़ादी चाहते थे .देश को स्वतंत्रता दिलाने में अपना सहयोग देने के उद्देश्य से जय प्रकाश नारायण कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल होने की बजाय  कांग्रेस में शामिल हो गए.

प्रश्न 4. पाठ के आधार पर प्रसंग स्पष्ट करें

(क) अगर कोई डिमॉक्रेसी का दुश्मन है, तो वे लोग दुश्मन हैं जो जनता के शान्तिमय कार्यक्रमों में बाधा डालते हैं उनकी गिरफ्तारियाँ करते हैं, उन पर लाठी चलाते हैं, गोलियाँ चलाते हैं।

(ख) व्यक्ति से नहीं हमें तो नीतियों से झगड़ा है, सिद्धान्तों से झगड़ा है, कार्यों से झगड़ा है।

उत्तर.

व्याख्या.

(क) प्रस्तुत पंक्तियाँ महान समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ शीर्षक भाषण से ली गई है। इन पंक्तियों में जयप्रकाश नारायण ने लोकतंत्र के दुश्मनों का वर्णन किया है।

 जयप्रकाश तत्कालीन सरकार की नीतियों की आलोचना करते हुए यह बातें कहते हैं। प्रसंग यह है कि एक पुलिस के उच्चाधिकारी ने कहा कि नाम लेना यहाँ ठीक नहीं होगा कि मैंने दीक्षितजी के मुँह से सुना है कि ‘जयप्रकाश नारायण’ नहीं होते तो बिहार जल गया होता। तब जयप्रकाश नारायण यह सोचते हैं कि यह सारा जयप्रकाश के लिए क्यों होता है? उनके नेतृत्व में यह प्रदर्शन और यह सभा होनेवाली है, क्यों लोगों को रोकते हैं आप? जनता से घबराते हैं आप? जनता के आप प्रतिनिधि हैं? किसकी तरफ से शासन करने बैठे हैं आप? आपकी हिम्मत की पटना आने से लोगों को रोक लें आप? यहाँ लोकतंत्र है और लोकतंत्र में किसी भी व्यक्ति को शान्तिपूर्ण सभा करने का अधिकार है। यदि सरकार यह सब करने से रोकती है तो वह सरकार के निकम्मेपन और नीचता का प्रतीक है।

(ख) प्रस्तुत वाक्य जयप्रकाश, नारायण के भाषण ‘सम्पूर्ण क्रान्ति’ से लिया गया है। आन्दोलन के समय जयप्रकाश नारायण के कुछ ऐसे मित्र थे जो चाहते थे कि जेपी और इन्दिराजी में मेल.मिलाप हो जाए।

 इसी प्रसंग में जेपी ने कहा है कि उनका किसी व्यक्ति से झगड़ा नहीं है। चाहे वह इन्दिराजी हो या या कोई और उन्हें तो नीतियों से झगड़ा है, सिद्धान्तों से झगड़ा है, कार्यों से झगड़ा है। जो कार्य गलत होंगे जो नीति गलत होगी, जो सिद्धान्त गलत होंगेदृचाहे वह कोई भी करेदृवे विरोध करेंगे।

प्रश्न 5. बापू और नेहरू की किस विशेषता का उल्लेख जेपी ने अपने भाषण में किया है?

उत्तर. जय प्रकाश नारायण ने  अपने भाषण में बापू एवं नेहरूजी का उल्लेख किया है। जयप्रकाश नारायण ने गांधीजी के बारे में बतलाया कि  हामारे द्वारा गांधीजी की  बात न  मानने पर भी गंध्जी ने कभी इस बात का बुरा नहीं माना . जयप्रकाश नारायण ने इस बात को गांधीजी की महानता बतलाया । जय प्रकाश नारायणजवाहर लाल नेहरू के बारे में  कहते हैं कि जवाहरलाल मुझे मानते बहुत थे, मैंभी  उनका बड़ा आदर और प्रेम करता था .किन्तु जहाँ कहीं भीउनके साथ  वैचारिक भेद होते थे  ,उनके उन विचारो का विरोध भी करते थे आलोचना भी करते थे , लेकिन हमारी आलोचना का  वे बुरा नही मानते थे। उनके साथ  कोई वैय्तिक मतभेद नहीं था ,जो मतभेद होता था वह नीतियों को लेकर हुआ करता था .

प्रश्न 6. भ्रष्टाचार की जड़ क्या है? क्या आप जेपी से सहमत हैं? इसे दूर करने के लिए क्या सुझाव देंगे?

उत्तर . सरकार की गलत नीतियाँ  ही भ्रष्टाचार की जड़ हैं। शासन –प्रशासन की  गलत नीतियों के कारण  ही देश भर में भूख , महँगाई और अन्याय है . भ्रष्टाचार इस हद फ़ैल चूका है कि बिना रिश्वत दिए कोई काम नहीं निकलता है भ्रष्टाचार हर प्रकार के अन्याय का बड़ा कारण भ्रष्टाचार ही है  । भ्रष्टाचारके कारण योग्यता को अवसर नहीं मिल पा रहा है इसे दूर करने के लिए लोक कल्याणकारी समाजवादी नीतियाँ बना देने मात्र से कोई परिवर्तन नहीं होगा .भ्रष्टाचार को मिटा कर ही लोक कल्याणकारी योजनाओं का लाभ देश की जनता को मिल सकेगा .

प्रश्न 7. दलविहीन लोकतंत्र और साम्यवाद में कैसा संबंध है?

सर्वोदय विचार का मुख्य सिद्धांत है दलविहीन लोकतंत्र इसके अंतर्गत  ग्राम सभाओं के आधार पर दल-विहीन प्रतिनिधित्व स्थापित करने की विचारधारा का समर्थन किया  है . दल-विहीन लोकतंत्र मार्क्सवाद और  लेनिन वाद के मूल उद्देश्यों में से एक  हैं मार्क्सवाद का मानना है कि  जैसे-जैसे समाज साम्यवाद की ओर बढ़ता जाएगा ,वैसे-वैसे राज्य का क्षय  होता चला जाएगा ,और  एक स्टेटलेस सोसाइटी कायम हो जाएगी  .वह समाज न सिर्फ  लोकतांत्रिक होगा बल्कि उसी समाज में  लोकतंत्र के  नेतृत्व का वास्तविक  स्वरूप प्रकट होगा और ऐसा  लोकतंत्र निश्चय ही दल -विहीन होगा.साम्यवाद, सामाजिक-राजनीतिक दर्शन के अंतर्गत एक ऐसी विचारधारा के रूप में वर्णित है, जिसमें संरचनात्मक स्तर पर एक समतामूलक वर्गविहीन समाज की स्थापना की जाएगी।

प्रश्न 8. संघर्ष समितियों से जयप्रकाश नारायण की क्या अपेक्षाएँ हैं?

उत्तर. जयप्रकाश नारायण संघर्ष समितियों से अपेक्षा  रखते थे कि संघर्ष समितियाँ मिलकर चुनाव में अपना उम्मीदवार खड़ा करें .समिति  द्वारा खड़ा किया गया जो भी उम्मीदवार जीते, उसके भावी कार्यक्रमों पर नजर रखने का काम ये समितियाँ करेंगी।यदि कोई प्रतिनिधि नीतियों के विरुद्ध कार्य करता है  तो ये समितियाँ उसको इस्तीफा देने के लिए बाध्य करेंगी।इन संघर्ष समितियों का कार्य  शासन से संघर्ष करना  नहीं है बल्कि  अन्याय और अनीति के विरुद्ध संघर्ष करना होगा।इन समितियों का कार्य उन अधिकारियों और कर्मचारियों के विरुद्ध संघर्ष करना  होगा जो घूसखोरी करते है ।यें समितियां उन बड़े किसानों का विरोध करेंगी जिन्होंने ने बेनामी या फर्जी बन्दोबस्तियों की हैं . वे समितियाँ गाँवों में हो रहे अन्याय को  रोकने का कार्य भी करेंगी .

प्रश्न 9. जयप्रकाश नारायण के इस भाषण से आप अपना सबसे प्रिय अंश चुनें और बताएं कि वह सबसे अधिक प्रभावी क्यों लगा?

उत्तर. जयप्रकाश नारायण के इस भाषण में  सबसे प्रिय अंश हैं,जिसने मुझे सर्वाधिक प्रभावित किया –

”मित्रो, अमेरिका के बागानों में मैंने काम किया कारखानों में काम किया–लोहे के कारखानों में। जहाँ जानवर मारे जाते हैं, उन कारखाने में काम किया। जब यूनिवर्सिटी में पढ़ता था, छुट्टियों में काम करके इतना कमा लेता था कि कुछ खाना हम तीन–चार विद्यार्थी मिलकर पकाते थे और सस्ते में हम लोग खा–पी लेते थे। एक कोठरी में कई आदमी मिलकर रह लेते थे रुपया बचा लेते थे, कुछ कपड़े खरीदने, कुछ फीस के लिए। और बाकी हर दिन–रविवार को भी छुट्टी नहीं…. एक घंटा रेस्तरां में, होटल में या तो बर्तन धोये  या वेटर का काम किया तो शाम को रात का खाना मिल गया,  कमरे में एक चारपाई पर मैं और कोई न कोई अमेरिकन लड़का रहता था। हम दोनों साथ सोते थे , एक रजाई हमारी होती थी। इस गरीबी में मैं पढ़ा हूँ। इतवार के दिन जूते साफ करने का काम , कमोड साफ करने का काम करता था।

इस अंश में जयप्रकाश नारायण जी ने अमेरिका में जिन कठिनाइयों के बीच अपनी पढ़ाई की उसकी मार्मिक अभिव्यक्ति भी है और कठोर परिश्रम और शिक्षा प्राप्ति के प्रति सच्ची लगन की प्रेरणा भी निहित है

प्रश्न 10. चुनाव सुधार के बारे में जयप्रकाश जी के प्रमुख सुझाव क्या हैं? उन सुझावों से आप कितना सहमत हैं?

उत्तर. चुनाव सुधार के बारे में जयप्रकाश जी ने सुझाव दिया कि चुनाव  पद्धति में परिवर्तन होना चाहिए,चुनावी खर्च कम होना  चाहिए।ऐसे प्रयास किये जाने चाहिए जिससे निर्धन  उम्मीदवार भी  चुनाव में भाग ले सकें ,मतदान प्रक्रिया स्वच्छ और स्वतन्त्र हो।चुनाव के पश्चात् मतदाताओं का अपने प्रतिनिधियों पर अंकुश हो ,जन संघर्ष समितियाँ आम राय से जनता के लिए सही उम्मीदवार का चयन करे।

चुनाव सुधार के बारे में जयप्रकाश जी ने जो  सुझाव दिए  हैं , उन सभी सुझावों से हम पूर्णतया  सहमत हैं .

प्रश्न 11-  दिनकरजी का निधन कहाँ और किन परिस्थितियों में हुआ ?

उत्तर- जिस दिन दिनकरजी का  निधन हुआ,उसी दिन दिनकरजी के निधन से पूर्व जय प्रकाश नारायण  दिनकरजी से मिले थे। उस रात दिनकरजी ,जयप्रकाश नारायण  के मित्र इंडियन एक्सप्रेस के मालिक रामनाथजी गोयनका के घर पर मेहमान थे। रात को दिनकरजी को दिल का दौरा पड़ा। उन्हें  अस्पताल पहुंचाया गया। वहां सारी व्यवस्था थी, सभी चिकित्सक सब तरह से तैयार थे, लेकिन दिनकरजी फिर से जिंदा नहीं हो पाए। उसी रात दिनकरजी का निधन हो गया।

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