august kranti
अगस्त क्रांति –
९ अगस्त -भारतीय स्वतन्त्रता के लिए किये गए आन्दोनलों में रेखांकित की जाने वाली तारीखों में में से एक है। ९ अगस्त को ही भारत छोडो आंदोलन की घोषणा की गयी थी और ९ अगस्त को ही अंगेजो की नींद उड़ा देने वाला काकोरी कांड हुआ था। ९ अगस्त १९२५ को राम प्रसाद बिस्मिल के नेतृत्व में काकोरी कांड हुआ था और उसके १७ साल बाद ९ अगस्त १९४२ को गांधीजी का देश व्यापी जन – आंदोलन शुरू हुआ था। ९ अगस्त को ही दोनों बड़ी घटनाओ का होना ९ अगस्त की महत्ता को और भी बढ़ा देता है। ९ अगस्त को अगस्त क्रांति के नाम से भी जाना जाता है।
इंडियन नेशनल कांग्रेस द्वारा ४ जुलाई १९४२ को ही इस जन -आंदोलन की नींव रख दी गयी थी। ऐसा अनुमान था कि द्वितीय विश्व युद्ध के बाद ब्रिटेन भारत को मुक्त कर देंगा किन्तु ऐसा नहीं होता न देख
८ अगस्त को इंडियन नेशनल कांग्रेस ने मुम्बई में आयोजित सभा में अंग्रेजों के विरूद्ध भारत छोडो आंदोलन की घोषणा कर दी। इस घोषणा से बौखलाकर ब्रिटिश प्रशासन ने गाँधीजी को पूणे के आगा खा महल में कैद कर दिया गया।कांग्रेस समिति केअधिकांश कार्य कर्ताओ को अहमद नगर किले में क़ैद कर दिया गया। देश के कई प्रमुख नेताओ को अलग -अलग नगरों में नज़र बंद कर दिया गया जिनमे सरोजनी नायडू औए डॉ राजेंद्र प्रसाद प्रमुख थे ।
अरुणा आसफ अली जो किसी तरह से गिरफ़्तारी से बच गयी थी उन्होंने गवालिया मैदान में ध्वज फहरा कर भारत छोडो आंदोलन की शुरुआत कर दी।
गाँधी जी के भारत छोडो छोडो आंदोलन की घोषणा के साथ ही वैचारिक मत-भेद भी उभर कर सामने आये। इस वैचारिक मतभेद के कारण राज गोपालाचार्य चक्रवर्ती कांग्रेस से अलग हो गए। मुस्लिम लीग ,इंडियन कम्युनिस्ट पार्टी और हिन्दू महा-सभा ने भी इस आंदोलन का विरोध किया , जबकि जवाहर लाल नेहरू ,सरदार वल्लभ भाई पटेल ,डॉ. राजेंद्र प्रसाद ,अशोक मेहता और जय प्रकाश नारायण इस आंदोलन के समर्थन में शामिल थे।
गांधीजी की गिरफ़्तारी ने देश के युवाओ में अंग्रेजी सरकार के विरूद्ध बगावत की आग भर दी। युवा पढाई छोड़कर आंदोलन में कूद पड़े। यद्यपि गांधीजी का आंदोलन अहिंसक था किन्तु युवाओ के जोश और गुस्से ने इसे हिंसक बना दिया। जगह-जगह आगजनी ,तोड़-फोड़ ,और हड़ताल शुरू हो गयी।
भारत छोडो आंदोलन अब जन – आंदोलन का रूप अख्तियार कर चुका था। इस आंदोलन में ९४० लोगों के मरने,१६३० लोगों के घायल होने १८००० लोगों को नज़र बंद करने और ६०००० के लगभग लोगों की गिरफ़्तारी का अनुमान लगाया गया। ,
इसी मध्य जिन्ना और मुस्लिम लीग को अपना प्रभाव ज़माने अवसर मिल गया।
अंग्रेजी सरकार ने इस आंदोलन को विफल बनाने केलिए अपनी पूरी ताक़त झोंक दी।
गांधीजी ने जेल में ही भूख हड़ताल शुरू कर दी। २१ दिनों की लगातार भूख हड़ताल के कारण गांधीजी का स्वास्थ्य बुरी तरह बिगड़ गया था। गांधीजी की हालत और आंदोलन की भयावयता को देखकर ब्रिटिश प्रशासन ने१९४४ को गांधीजी को जेल से रिहा कर दिया।
तब तक अंगेजी सरकार इस आंदोलन को अपने नियन्त्रण में कर चुकी थी।
लेकिन द्वितीय विश्व युद्ध और अगस्त क्रांति ने अंग्रेजी सरकार की कमर तोड़ कर रख दी थी।
करो या मरो के नारे से शुरू हुआ भारत छोडो आंदोलन काँग्रेसी नेताओं से ज्यादा देश की जनता का आंदोलन ज्यादा साबित हुआ,इसे जनता का आंदोलन कहना गलत न होगा । इस आंदोलन में देश की जनता ने जिस उत्साह और संख्या में भाग लिया ,उसने रूस की क्रांति को भी छोटा बना दिया।
अंग्रेजों भारत छोडो यह आवाज़ किसी एक नेता की नहीं ,बल्कि देश की जनता का समवेत स्वर था।
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