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कविता के बहाने,बात सीधी थी पर,कुंवर नारायण,व्याख्या
(क) कविता के बहाने,कुंवर नारायण
1
कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने
कविता की उडान भला चिडिया क्या जाने?
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लया उड़ने के माने
चिडिया क्या जाने?
सन्दर्भ- उपर्युक्त काव्यांश भावों और शब्दों का मणिकांचन योग कर काव्य कृति उकेरने में सिद्धहस्त काव्य शिल्पी कुंवर नारायण की कलम तूलिका से सृजित काव्य रचना कविता के बहाने से अवतरित है .
प्रसंग -प्रस्तुत काव्यांश में में कवि ने चिड़िया के माध्यम से कविता के अस्तित्व का बोध कराया है .
व्याख्या- कवि आकाशमे उड़ती चिड़िया से अभिप्रेरित होता है .कवि ने चिड़िया से प्रेरणा लेकर कल्पना के पंख लगाकर उड़ना सीखा .जब कवि ने कल्पना के पंख लगा के उड़ना सीखा तो ऐसा सीखा कि उसने चिड़िया की उड़ान को कोसो पीछे छोड़ दिया .जहाँ कवि की कल्पना पहुँच पाती है ,वहाँ तक चिड़िया की पहुँच नहीं है .चिड़िया की उड़ान सीमित है जबकि कवि की कल्पना की उड़न असीमित है .कवि बाह्य संसार को देखकर काव्य सृजन तो करता ही है किन्तु वह मनुष्य के भीतर उतर कर उसके मनोभावों को भी अपने काव्य का विषय बना लेता है .कवि का कर्म क्षेत्र चिड़िया की उड़ान से कहीं ज्यादा विस्तृत है .जहाँ तक कवि की कल्पना उड़ान भर आती है ,वहाँ तक चिड़िया पहुँच ही नहीं सकती है अर्थात कवि की रचनात्मक सीमा पर सभी बंधनों से मुक्त है .
विशेष-
1-सटीक बिम्ब प्रयोग से काव्य में सजीवता आ गई है
2-यथास्थान आरोह-अवरोह,यति-गति प्रयोग से काव्य में गेयता का प्रभाव उत्पन्न हो गया है
3-काव्योचित अलंकर प्रयोग से काव्य का सौन्दर्य द्विगुणित हो गया है
4-काव्य की भाषा प्रांजल एवं प्रसाद गुण के कारण भाव ग्राह्य है
2.
कविता एक खिलना हैं फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला कूल क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?
प्रसंग -प्रस्तुत काव्यांश में में कवि ने फूल के माध्यम से कविता के अस्तित्व का बोध कराया है
व्याख्या- कवि खिले हुए फूल और सुगंध से अभिप्रेरित होता है . खिला हुआ फूल और उसकी सुगंध सभी को प्रसन्न करती है .कवि ने फूल से प्रेरणा लेकर अपने काव्य सृजन से सभी के ह्रदय को प्रसन्न करने की प्रेरणा ली .फूल से प्रेरणा लेकर दूसरों के ह्रदय को प्रसन्न करनेका गुण सीखा तो ऐसा सीखा कि कवि ने फूल के गुणों से कहीं आगे निकल गया .कवि के काव्य आनंद युगों –युगों तक लिया जा सकता है जबकि फूल की सुगंध और खिलने का गुण अल्पावधि का होता है .कवि की कविता कालजयी होती है ,समय के प्रभाव से अप्रभावित रहती है .
विशेष-
1-सटीक बिम्ब प्रयोग से काव्य में सजीवता आ गई है
2-यथास्थान आरोह-अवरोह,यति-गति प्रयोग से काव्य में गेयता का प्रभाव उत्पन्न हो गया है
3-काव्योचित अलंकर प्रयोग से काव्य का सौन्दर्य द्विगुणित हो गया है
4-काव्य की भाषा प्रांजल एवं प्रसाद गुण के कारण भाव ग्राह्य है
3.
कविता एक खेल हैं बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।
सन्दर्भ- उपर्युक्त काव्यांश भावों और शब्दों का मणिकांचन योग कर काव्य कृति उकेरने में सिद्धहस्त काव्य शिल्पी कुंवर नारायण की कलम तूलिका से सृजित काव्य रचना कविता के बहाने से अवतरित है .
प्रसंग -प्रस्तुत काव्यांश में में कवि ने बच्चों के माध्यम से कविता के अस्तित्व का बोध कराया है
व्याख्या- कवि ने बच्चों को एक साथ मिलकर खेलते हुए देखा .सभी बच्चें अलग-अलग धर्म ,जाति ,भाषा के होते हुए भी बिना भेद-भाव के एक साथ खेल रहे है .कवि बच्चों से अभिप्रेरित होता है और भेद-भाव से परे सर्व जन हिताय की भावना से काव्य कर्म की प्रेरणा लेकर काव्य रचना करता है . कवि कविता भी बच्चों के खेल के समान शब्दों का खेल है –जो बच्चों के खेल के समान निश्छल ,निष्कपट ,निष्पक्ष और भेद रहित होती है ।बचों का खेल भी बंधन रहित होता है और कवि कविता भी ,बच्चें सभी घरों को एक सूत्र में बाँध देते है ,वैसे ही कवि की कविता धर्म,जाति ,भाषा के वैविध्य को एक सूत्र में बांध देती है .
चिड़िया की उड़ान और फूल के खिलने में कविता का विभेद हो सकता है किन्तु कवि कविता बच्चों के गुण के बहुत निकट होती है .
विशेष-
1-सटीक बिम्ब प्रयोग से काव्य में सजीवता आ गई है
2-यथास्थान आरोह-अवरोह,यति-गति प्रयोग से काव्य में गेयता का प्रभाव उत्पन्न हो गया है
3-काव्योचित अलंकर प्रयोग से काव्य का सौन्दर्य द्विगुणित हो गया है
4-काव्य की भाषा प्रांजल एवं प्रसाद गुण के कारण भाव ग्राह्य है
(ख) बात सीधी थी पर……
1.
बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टेढ़ी फैंस गई।
उसे पाने की कोशिश में
भाषा की उलट-पालट
तोड़ा मरोड़ा
घुमाया फिराया
कि बात या तो बने
या फिर भाषा से बाहर आए-
लेकिन इससे भाषा के साथ-साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गई।
प्रसंग -प्रस्तुत काव्यांश में में कवि ने शब्दों के माध्यम से काव्य चमत्कार दिखानेवाले कवियों पर व्यंग्य किया है .
व्याख्या- कवि अपनी कविता के माध्यम से समाज को सन्देश देने के लिए उद्देश्यपूर्ण कविता लिखना चाहता है .किन्तु समाज के एक विशिष्ट प्रबुद्ध वर्ग से प्रशंसा प्राप्त करने के प्रलोभन में उसने सामान्य जन की समझ से परे प्रबुद्ध वर्ग को केंद्र में रखकर अपनी कविता में जटिल ,कठिन और अलंकृत भाषा का प्रयोग किया जिसके कारण कविता का मूलभाव सामान्य जन की समझ से परे हो गया . कवि को जब इस बात का बोध होता है कि कविता सामान्यजन की समझ से परे हो गई है ,वह कविता को जन सामान्य के स्तर पर लाने के लिए प्रयास करता है किन्तु कवि को लगता है कि ऐसा करने से काव्य का चमत्कार नष्ट हो जायेगा .जन सामान्य और प्रबुद्ध वर्ग दोनों को ध्यान में रखकर शब्द प्रयोग करने से काव्य का कथ्य पहले की तुलना में और भी अधिक जटिल ,कठिन होती चली गई .
विशेष-
1-सटीक बिम्ब प्रयोग से काव्य में सजीवता आ गई है
2-यथास्थान आरोह-अवरोह,यति-गति प्रयोग से काव्य में गेयता का प्रभाव उत्पन्न हो गया है
3-काव्योचित अलंकर प्रयोग से काव्य का सौन्दर्य द्विगुणित हो गया है
4-काव्य की भाषा प्रांजल एवं प्रसाद गुण के कारण भाव ग्राह्य है
2.
सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना
में फेंच को खोलने की बजाय
उसे बेतरह कसता चला जा रहा था
क्योंकि इस करतब पर मुझे
साफ सुनाई दे रही थी
तमाशबीनों की शाबाशी और वाह वाह।
सन्दर्भ- उपर्युक्त काव्यांश भावों और शब्दों का मणिकांचन योग कर काव्य कृति उकेरने में सिद्धहस्त काव्य शिल्पी कुंवर नारायण की कलम तूलिका से सृजित काव्य रचना बात सीधी थी ,पर … से अवतरित है .
प्रसंग -प्रस्तुत काव्यांश में में कवि ने शब्दों के माध्यम से काव्य चमत्कार दिखानेवाले कवियों पर व्यंग्य किया है .
व्याख्या- कवि को धैर्य पूर्वक समस्या के निस्तारण पर विचार करना चाहिए था किन्तु कवि कविता को जन सामान्य की समझ के अनुकूल बनाने की अपेक्षा जटिल ,कठिन और अलंकृत भाषा का प्रयोग कर और अधिक उलझा दिया .कवि ने ऐसा इसलिए किया ताकि इस काव्य चमत्कार से एक विशिष्ठ वर्ग से उसे मान-सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्त होगी
विशेष-
1-सटीक बिम्ब प्रयोग से काव्य में सजीवता आ गई है
2-यथास्थान आरोह-अवरोह,यति-गति प्रयोग से काव्य में गेयता का प्रभाव उत्पन्न हो गया है
3-काव्योचित अलंकर प्रयोग से काव्य का सौन्दर्य द्विगुणित हो गया है
4-काव्य की भाषा प्रांजल एवं प्रसाद गुण के कारण भाव ग्राह्य है
3.
आखिरकार वही हुआ जिसका मुझे डर था
जोर जबरदस्ती से
बात की चूड़ी मर गई
और वह भाषा में बेकार घूमने लगी!
हारकर मैंने उसे कील की तरह
उसी जगह ठोंक दिया।
सन्दर्भ- उपर्युक्त काव्यांश भावों और शब्दों का मणिकांचन योग कर काव्य कृति उकेरने में सिद्धहस्त काव्य शिल्पी कुंवर नारायण की कलम तूलिका से सृजित काव्य रचना बात सीधी थी ,पर … से अवतरित है .
प्रसंग -प्रस्तुत काव्यांश में में कवि ने शब्दों के माध्यम से काव्य चमत्कार दिखानेवाले कवियों पर व्यंग्य किया है .
व्याख्या- कवि को आशंका थी कि जटिल-कठिन शब्द प्रयोग से काव्य का मूल कथ्य नष्ट न हो जाए .कवि की आशंका सत्य प्रमाणित हुई .जबरदस्ती कठिन-जटिल शब्द प्रयोग से काव्य का मूल कथ्य नष्ट हो गया ,ठीक वैसे ही जैसे पेंच के साथ जबरदस्ती करने से उसकी चूड़ियाँ मर जाती हैं. हार कर कवि ने कठिन कविता को कील की तरह उसी जगह ठोक दिया अर्थात कठिन कविता को कठिन ही छोड़ा दिया .
विशेष-
1-सटीक बिम्ब प्रयोग से काव्य में सजीवता आ गई है
2-यथास्थान आरोह-अवरोह,यति-गति प्रयोग से काव्य में गेयता का प्रभाव उत्पन्न हो गया है
3-काव्योचित अलंकर प्रयोग से काव्य का सौन्दर्य द्विगुणित हो गया है
4-काव्य की भाषा प्रांजल एवं प्रसाद गुण के कारण भाव ग्राह्य है
ऊपर से ठीकठाक
पर अंदर से
न तो उसमें कसाव था
बात ने, जो एक शरारती बच्चे की तरह
मुझसे खेल रही थी,
मुझे पसीना पोंछते देखकर पूछा-
‘क्या तुमने भाषा को
सहूलियत से बरतना कभी नहीं सीखा?’
सन्दर्भ- उपर्युक्त काव्यांश भावों और शब्दों का मणिकांचन योग कर काव्य कृति उकेरने में सिद्धहस्त काव्य शिल्पी कुंवर नारायण की कलम तूलिका से सृजित काव्य रचना बात सीधी थी ,पर … से अवतरित है .
प्रसंग -प्रस्तुत काव्यांश में में कवि ने शब्दों के माध्यम से काव्य चमत्कार दिखानेवाले कवियों पर व्यंग्य किया है .
व्याख्या- बाह्य रूप से कवि का काव्य सृजन कविता जैसा जान पड़ता था , परंतु उसमें जन सामान्य के ह्रदय का स्पर्श करने की शक्ति नहीं थी । प्रयास में विफल होने पर बात रुपी बच्चे ने कवि को आड़े हाथों लेते हुए कहा – क्या तम्हे जन सामान्य की सरल,सहज ,सुबोध भाषा का प्रयोग करना नहीं आता ?
विशेष-
1-सटीक बिम्ब प्रयोग से काव्य में सजीवता आ गई है
2-यथास्थान आरोह-अवरोह,यति-गति प्रयोग से काव्य में गेयता का प्रभाव उत्पन्न हो गया है
3-काव्योचित अलंकर प्रयोग से काव्य का सौन्दर्य द्विगुणित हो गया है
4-काव्य की भाषा प्रांजल एवं प्रसाद गुण के कारण भाव ग्राह्य है
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