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महादेवी वर्मा
1.भक्तिन (महादेवी वर्मा )
संकेत -सेवक धर्म ————- गदगद हो गई –
सेवक-धर्म में हनुमान जी से स्पर्द्धा करने वाली भक्तिन किसी अंजना की पुत्री न होकर एक अनामधन्या गोपालिका की कन्या है-नाम है लछमिन अर्थात लक्ष्मी। पर जैसे मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है, वैसे ही लक्ष्मी की समृद्ध भक्तिन के कपाल की कुंचित रेखाओं में नहीं बँध सकी। वैसे तो जीवन में प्रायरू सभी को अपने-अपने नाम का विरोधाभास लेकर जीना पड़ता हैय पर भक्तिन बहुत समझदार है, क्योंकि वह अपना समृद्धसूचक नाम किसी को बताती नहीं।
केवल जब नौकरी की खोज में आई थी ,तब ईमानदारीका परिचय देते हुए उसने शेष इतिवृत के साथ यह भी बता दिया ,पर इस प्रार्थना के साथ कि मै कभी इस नाम का उपयोग न करूं .उपनाम रखने की प्रतिभा होती तो मै सबसे पहले उसका प्रयोग अपने ऊपर करती ,इस तथ्य को वह देहातिन क्या जाने ,इसी से जब मैंने कंठी माला देखकर उसका नामकरण किया तब वह भक्तिन जैसे कवित्वहीन नाम को पाकर भी गदगद हो गई .
प्र.1 उक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है –
(अ )बाजार दर्शन
(ब )भक्तिन
(स )काले मेघा पानी दे
(द )पहलवान की ढोलक
उत्तर- (ब )भक्तिन
प्र- 2 उक्त गद्यांश किस किस साहित्यकार की रचना से लिया गया है –
(अ )महादेवी वर्मा
(ब )जैनेंद्र
(स )फणीश्वर नाथ रेणु
(द )धर्मवीर भारती
उत्तर-(अ )महादेवी वर्मा
प्र- 3 सेवा धर्म की निस्वार्थता और एकनिष्ठता के गुण के कारण भक्तिन की तुलना किससे की गयी है –
(अ )रामजी से
(ब ) परशुराम जी से
(स )हनुमानजी से
(द )उपर्युक्त सभी से
उत्तर- (स )हनुमानजी से
प्र- 4 मेरे नाम की विशालता मेरे लिए दुर्वह है ,यह कथन किसके सन्दर्भ में है –
(अ ) भक्तिन के
(ब ) भक्तिन और लेखिका दोनों के
(स ) लेखिका के
(द ) भक्तिन और लेखिका दोनों ही के सन्दर्भ में नहीं
उत्तर- (स ) लेखिका के
प्र- 5 कवित्वहीन नाम पाकर भी वह प्रसन्न हो उठी ,यह कवित्वहीन नाम था –
(अ ) लक्ष्मीं
(ब ) लक्ष्मिन
(स ) साध्वी
(द ) भक्तिन
उत्तर- (द ) भक्तिन
संकेत -2 पिता का उस पर ————मर्मव्यथा व्यक्त की –
पिता का उस पर अगाध प्रेम होने के कारण स्वभावतरू ईष्यालु और संपत्ति की रक्षा में सतर्क विमाता ने उनके मरणांतक रोग का समाचार तब भेजा, जब वह मृत्यु की सूचना भी बन चुका था। रोने-पीटने के अपशकुन से बचने के लिए सास ने भी उसे कुछ न बताया। बहुत दिन से नैहर नहीं गई, सो जाकर देख आवे, यही कहकर और पहना-उढ़ाकर सास ने उसे विदा कर दिया। इस अप्रत्याशित अनुग्रह ने उसके पैरों में जो पंख लगा दिए थे, वे गाँव की सीमा में पहुँचते ही झड़ गए। ‘हाय लछमिन अब आई’ की अस्पष्ट पुनरावृत्तियाँ और स्पष्ट सहानुभूतिपूर्ण दृष्टियाँ उसे घर तक ठेल ले गई। पर वहाँ न पिता का चिहन शेष था, न विमाता के व्यवहार में शिष्टाचार का लेश था। दुख से शिथिल और अपमान से जलती हुई वह उस घर में पानी भी बिना पिए उलटे पैरों ससुराल लौट पड़ी। सास को खरी-खोटी सुनाकर उसने विमाता पर आया हुआ क्रोध शांत किया और पति के ऊपर गहने फेंक-फेंककर उसने पिता के चिर विछोह की मर्मव्यथा व्यक्त की।
प्र.1 उक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है –
(अ )बाजार दर्शन
(ब )भक्तिन
(स )काले मेघा पानी दे
(द )पहलवान की ढोलक
उत्तर- (ब )भक्तिन
प्र- 2 उक्त गद्यांश किस किस साहित्यकार की रचना से लिया गया है –
(अ )महादेवी वर्मा
(ब )जैनेंद्र
(स )फणीश्वर नाथ रेणु
(द )धर्मवीर भारती
उत्तर- (अ )महादेवी वर्मा
प्र- 3 सौतेली माँ ने लक्ष्मिन को पिता के बीमार होने का समाचार क्यों नहीं भेजा –
(अ ) लक्ष्मीं दुखी न हो इसलिए
(ब ) आने-जाने की परेशानी से बचने के लिए
(स ) ईर्ष्या और सम्पति की रक्षार्थ
(द ) उपर्युक्त सभी कारणों से
उत्तर- ईर्ष्या और सम्पति की रक्षार्थ
प्र- 4 लक्ष्मिन की सासू ने लक्ष्मिन को मायके जाने की बात क्यों कही कही –
(अ ) परंपरा का निर्वाह करने के लिए
(ब ) घर में रोने पीटने के अपशकुन से बचने के लिए
(स ) बदनामी के डर से
(द )उपर्युक्त सभी कारणों से
उत्तर- (ब ) घर में रोने पीटने के अपशकुन से बचने के लिए
प्र. 5 विमाता पर आया क्रोध कैसे शांत किया –
(अ ) मन पर नियंत्रण करके
(ब ) मुठ्ठी बंद करके
(स ) सास को खरी खोटी सुनाकर
(द ) उपर्युक्त सभी तरीकें से
उत्तर- (स ) सास को खरी खोटी सुनाकर
3 -संकेत -जीवन के दूसरे परिच्छेद ——— आवश्यक हो गया दृ
जीवन के दूसरे परिच्छेद में भी सुख की अपेक्षा दुख ही अधिक है। जब उसने गेहुँए रंग और बटिया जैसे मुख वाली पहली कन्या के दो संस्करण और कर डाले तब सास और जिठानियों ने ओठ बिचकाकर उपेक्षा प्रकट की। उचित भी था, क्योंकि सास तीन-तीन कमाऊ वीरों की विधात्री बनकर मचिया के ऊपर विराजमान पुरखिन के पद पर अभिषिक्त हो चुकी थी और दोनों जिठानियाँ काक-भुशंडी जैसे काले लालों की क्रमबद्ध सृष्टि करके इस पद के लिए उम्मीदवार थीं। छोटी बहू के लीक छोड़कर चलने के कारण उसे दंड मिलना आवश्यक हो गया।
प्र.1 लक्ष्मिन की उपेक्षा का कारण था –
(अ ) ईर्ष्या
(ब ) तीन -तीन बेटियों को जन्म देने के कारण
(स ) दुर्भावना
(द ) उपर्युक्त सभी कारण
उत्तर- (ब ) तीन -तीन बेटियों को जन्म देने के कारण
प्र. 2 जेठानियों का सम्मान किस कारण था –
(अ ) पढ़ी-लिखी होने के कारण
(ब ) उम्र में लक्ष्मिन से बड़ी होने के कारण
(स ) बेटों को जन्म देने के कारण
(द ) बड़े घर की बेटियाँ होने के कारण
उत्तर- (स )बेटों को जन्म देने के कारण
प्र. 3 लीक छोड़कर चलने से क्या आशय है –
(अ बेटों की जगह बेटियों को जन्म देना
(ब ) सामाजिक परंपरा को छोड़कर चलाना
(स ) घर की मर्यादा को छोड़कर चलाना
(द ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (अ बेटों की जगह बेटियों को जन्म देना
प्र.4 उक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है –
(अ ) बाजार दर्शन
(ब ) भक्तिन
(स ) काले मेघा पानी दे
(द ) पहलवान की ढोलक
उत्तर- (ब ) भक्तिन
प्र- 5 उक्त गद्यांश किस किस साहित्यकार की रचना से लिया गया है –
(अ ) महादेवी वर्मा
(ब ) जैनेंद्र
(स ) फणीश्वर नाथ रेणु
(द ) धर्मवीर भारती
उत्तर- (अ ) महादेवी वर्मा
संकेत -4 इस दंड विधान ————ज्ञान बहुत बढ़ा -चढ़ा था
इस दंड-विधान के भीतर कोई ऐसी धारा नहीं थी, जिसके अनुसार खोटे सिक्कों की टकसाल-जैसी पत्नी से पति को विरक्त किया जा सकता। सारी चुगली-चबाई की परिणति उसके पत्नी-प्रेम को बढ़ाकर ही होती थी। जिठानियाँ बात-बात पर धमाधम पीटी-कूटी जातीं, पर उसके पति ने उसे कभी उँगली भी नहीं छुआई। वह बड़े बाप की बड़ी बात वाली बेटी को पहचानता था। इसके अतिरिक्त परिश्रमी, तेजस्विनी और पति के प्रति रोम-रोम से सच्ची पत्नी को वह चाहता भी बहुत रहा होगा, क्योंकि उसके प्रेम के बल पर ही पत्नी ने अलगोझा करके सबको अँगूठा दिखा दिया। काम वही करती थी, इसलिए गाय-भैंस, खेत-खलिहान, अमराई के पेड़ आदि के संबंध में उसी का ज्ञान बहुत बढ़ा-चढ़ा था। उसने छाँट-छाँट कर, ऊपर से असंतोष की मुद्रा के साथ और भीतर से पुलकित होते हुए जो कुछ लिया, वह सबसे अच्छा भी रहा, साथ ही परिश्रमी दंपति के निरंतर प्रयास से उसका सोना बन जाना भी स्वाभाविक हो गया।
प्र. 1 खोटे सिक्के की टकसाल किसे कहा है –
(अ ) भक्तिन की बड़ी बेटी को
(ब ) लक्ष्मिन को
(स ) भक्तिन की बड़ी बेटी को
(द ) उपर्युक्त सभी को
उत्तर- (ब ) लक्ष्मिन को
प्र. 2 खोटे सिक्के किसे कहा है –
(अ ) भक्तिन को
(ब ) लक्ष्मिन की बेटियों को को
(स ) जेठानियों को
(द ) उपर्युक्त में से किसी को नहीं
उत्तर- (ब ) लक्ष्मिन की बेटियों को को
प्र. 3 जेठानियों की दशा को दयनीय क्यों कहा है –
(अ ) पतियों द्वारा पिटी जाने के कारण
(ब ) सास द्वारा प्रताड़ित किये जाने के कारण
(स ) भूखा रखे जाने के कारण
(द ) उपर्युक्त सभी कारणों से
उत्तर- (अ ) पतियों द्वारा पिटी जाने के कारण
प्र.4 उक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है –
(अ ) बाजार दर्शन
(ब ) भक्तिन
(स ) काले मेघा पानी दे
(द ) पहलवान की ढोलक
उत्तर- (ब ) भक्तिन
प्र- 5 उक्त गद्यांश किस किस साहित्यकार की रचना से लिया गया है –
(अ ) महादेवी वर्मा
(ब ) जैनेंद्र
(स ) फणीश्वर नाथ रेणु
(द ) धर्मवीर भारती
उत्तर- (अ ) महादेवी वर्मा
संकेत-5 मेरे भ्रमण की भी ———-स्वीकार न होगा
मेरे भ्रमण की भी एकांत साथिन भक्तिन ही रही है। बदरी-केदार आदि के ऊँचे-नीचे और तंग पहाड़ी रास्ते में जैसे वह हठ करके मेरे आगे चलती रही है, वैसे ही गाँव की धूलभरी पगडंडी पर मेरे पीछे रहना नहीं भूलती। किसी भी समय, कहीं भी जाने के लिए प्रस्तुत होते ही मैं भक्तिन को छाया के समान साथ पाती हूँ। देश की सीमा में युद्ध को बढ़ते देखकर जब लोग आतंकित हो उठे, तब भक्तिन के बेटी-दामाद उसके नाती को लेकर बुलाने आ पहुँचेय पर बहुत समझाने-बुझाने पर भी वह उनके साथ नहीं जा सकी। सबको वह देख आती हैय रुपया भेज देती हैय पर उनके साथ रहने के लिए मेरा साथ छोड़ना आवश्यक हैय जो संभवतरू भक्तिन को जीवन के अंत तक स्वीकार न होगा।
प्र. 1 लेखिका ने भ्रमण की साथिन किसे कहा है –
(अ ) स्वयं को
(ब ) सोना नाम की हिरनी को
(स ) भक्तिन को
(द ) सभी को
उत्तर- (स ) भक्तिन को
प्र. 2 युद्ध काल में भक्तिन को अपने साथ गॉव ले जाने के लिए आये –
(अ )भक्तिन के बेटी -दामाद
(ब )भक्तिन की बड़ी बेटी
(स )भक्तिन की सबसे छोटी बेटी
(द )उपर्युक्त सभी
उत्तर- (अ )भक्तिन के बेटी -दामाद
प्र. 3 पहाड़ी रास्तों पर भक्तिन लेखिका से ……. चलती थी
(अ ) पीछे-पीछे
(ब ) दाए -दाए
(स ) आगे -आगे
(द ) बाए –बाए
उत्तर- (स ) आगे -आगे
प्र- 4 गॉव की धूलभरी पगडण्डी पर भक्तिन लेखिका से ……. चलती थी –
(अ ) पीछे-पीछे
(ब ) दाए -दाए
(स ) आगे -आगे
(द ) बाए –बाए
उत्तर- (अ ) पीछे-पीछे
प्र.5 भक्तिन लेखिका को छोड़कर अपने बेटी -दामाद के साथ क्यों नहीं
(अ ) बेटी -दामाद से नाराज होने के कारण
(ब ) संकट के समय लेखिका का साथ न छोड़ने के कारण
(स ) चलने में परेशानी से बचने के कारण
(द ) उपर्युक्त सभी कारणों से
उत्तर- (ब ) संकट के समय लेखिका का साथ न छोड़ने के कारण
संकेत – जब गत वर्ष ——-यथाविधि एकत्र कर देगी –
गत वर्ष जब युद्ध के भूत ने वीरता के स्थान में पलायन-वृत्ति जगा दी थी, तब भक्तिन पहली ही बार सेवक की विनीत मुद्रा के साथ मुझसे गाँव चलने का अनुरोध करने आई। वह लकड़ी रखने के मचान पर अपनी नयी धोती बिछाकर मेरे कपड़े रख देगी, दीवाल में कीलें गाड़कर और उन पर तख्ते रखकर मेरी किताबें सजा देगी, धान के पुआल का गोंदरा बनवाकर और उस पर अपना कंबल बिछाकर वह मेरे सोने का प्रबंध करेगी। मेरे रंग, स्याही आदि को नयी हैंड़ियों में सँजोकर रख देगी और कागज-पत्रों को छींके में यथाविधि एकत्र कर देगी।
प्र. 1 युद्ध काल में वीरता के स्थान पर कौनसी वृति बढ़ गयी थी –
(अ ) कायरता की
(ब ) भय की
(स ) पलायन की
(द ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (स ) पलायन की
प्र. 2 भक्तिन ने लेखिका से क्या अनुरोध किया –
(अ )अपने गॉंव चलने का
(ब ) दूसरे शहर चलने का
(स ) बेटी के ससुराल चलने का
(द ) अपने नैहर चलने का
उत्तर- (अ )अपने गॉंव चलने का
प्र. 3 भक्तिन ने लेखिका की किन -किन शंकाओं का समाधान प्रस्तुत कर दिया –
(अ )कपडे की व्यवस्था
(ब )किताबों की व्यवस्था
(स )कागज-कलम रखने की व्यवस्था
(द )उपर्युक्त सभी
उत्तर- (द )उपर्युक्त सभी
प्र.4 उक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है –
(अ ) बाजार दर्शन
(ब ) भक्तिन
(स ) काले मेघा पानी दे
(द ) पहलवान की ढोलक
उत्तर- (ब ) भक्तिन
प्र- 5 उक्त गद्यांश किस किस साहित्यकार की रचना से लिया गया है –
(अ ) महादेवी वर्मा
(ब ) जैनेंद्र
(स ) फणीश्वर नाथ रेणु
(द ) धर्मवीर भारती
उत्तर- (अ ) महादेवी वर्मा
संकेत- भक्तिन और मेरे बीच ————मेरे जीवन को घेरे हुए है दृ
भक्तिन और मेरे बीच में सेवक-स्वामी का संबंध है, यह कहना कठिन हैय क्योंकि ऐसा कोई स्वामी नहीं हो सकता, जो इच्छा होने पर भी सेवक को अपनी सेवा से हटा न सके और ऐसा कोई सेवक भी नहीं सुना गया, जो स्वामी के चले जाने का आदेश पाकर अवज्ञा से हँस दे। भक्तिन को नौकर कहना उतना ही असंगत है, जितना अपने घर में बारी-बारी से आने-जाने वाले अँधेरे-उजाले और आँगन में फूलने वाले गुलाब और आम को सेवक मानना। वे जिस प्रकार एक अस्तित्व रखते हैं, जिसे सार्थकता देने के लिए ही हमें सुख-दुख देते हैं, उसी प्रकार भक्तिन का स्वतंत्र व्यक्तित्व अपने विकास के परिचय के लिए ही मेरे जीवन को घेरे हुए है।
प्र. 1 लेखिका अपने और भक्तिन के बीच किस सम्बन्ध को स्वीकार नहीं करती –
(अ ) सहेली
(ब ) बड़ी बहिन
(स ) स्वामी और सेवक
(द ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (स ) स्वामी और सेवक
प्र. 2 वह कौन है जिसने लेखिका के जीवन को घेरा हुआ है
(अ ) उसका अतीत
(ब ) भक्तिन
(स ) घर के पालतू पशु-पक्षी
(द ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (ब ) भक्तिन
प्र. 3 लेखिका और भक्तिन के बीच सेवक -स्वामी का सम्बन्ध न होकर किस प्रकार का सम्बन्ध है –
(अ ) औपचारिकता का
(ब ) दिखावे का
(स ) आत्मीयता का
(द ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (स ) आत्मीयता का
प्र.4 उक्त गद्यांश किस पाठ से लिया गया है –
(अ ) बाजार दर्शन
(ब ) भक्तिन
(स ) काले मेघा पानी दे
(द ) पहलवान की ढोलक
उत्तर- (ब ) भक्तिन
प्र- 5 उक्त गद्यांश किस किस साहित्यकार की रचना से लिया गया है –
(अ ) महादेवी वर्मा
(ब ) जैनेंद्र
(स ) फणीश्वर नाथ रेणु
(द ) धर्मवीर भारती
उत्तर- (ब ) भक्तिन
संकेत -भक्तिन के संस्कार ऐसे है ———-नहीं चल सकता
भक्तिन के संस्कार ऐसे हैं कि वह कारागार से वैसे ही डरती है, जैसे यमलोक से। ऊँची दीवार देखते ही, वह आँख मूँदकर बेहोश हो जाना चाहती है। उसकी यह कमजोरी इतनी प्रसिद्ध पा चुकी है कि लोग मेरे जेल जाने की संभावना बता-बताकर उसे चिढ़ाते रहते हैं। वह डरती नहीं, यह कहना असत्य होगाय पर डर से भी अधिक महत्व मेरे साथ का ठहरता है। चुपचाप मुझसे पूछने लगती है कि वह अपनी कै धोती साबुन से साफ कर ले, जिससे मुझे वहाँ उसके लिए लज्जित न होना पड़े। क्या-क्या सामान बाँध ले, जिससे मुझे वहाँ किसी प्रकार की असुविधा न हो सके। ऐसी यात्रा में किसी को किसी के साथ जाने का अधिकार नहीं, यह आश्वासन भक्तिन के लिए कोई मूल्य नहीं रखता। वह मेरे न जाने की कल्पना से इतनी प्रसन्न नहीं होती, जितनी अपने साथ न जा सकने की संभावना से अपमानित। भला ऐसा अंधेर हो सकता है। जहाँ मालिक वहाँ नौकर-मालिक को ले जाकर बंद कर देने में इतना अन्याय नहीं, पर नौकर को अकेले मुक्त छोड़ देने में पहाड़ के बराबर अन्याय है। ऐसा अन्याय होने पर भक्तिन को बड़े लाट तक लड़ना पड़ेगा। किसी की माई यदि बड़े लाट तक नहीं लड़ी, तो नहीं लड़ीय पर भक्तिन का तो बिना लड़े काम ही नहीं चल सकता।
प्र-1 भक्तिन किससे डरती थी –
(अ ) जेल जाने से
(ब ) लेखिका के क्रोध
(स ) अपनी सास से
(द ) उपर्युक्त सभी से
उत्तर- (अ ) जेल जाने से
प्र- 2 लेखिका के साथ जेल जाने के लिए भक्तिन कौनसा कार्य करने के तैयार हो गई जो उसने अब तक नहीं किया था –
(अ ) सुबह जल्दी उठाने का
(ब ) साबुन से अपनी साड़ियां धोने का
(स ) अधिकारी से लड़ने का
(द ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (ब ) साबुन से अपनी साड़ियां धोने का
प्र. 3 भक्तिन किस बात को अपना अपमान समझती थी –
(अ ) लेखिका द्वारा डाटने को
(ब ) खाना न बनाने की बात कहने को
(स ) लेखिका के साथ न जा पाने को
(द ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (स ) लेखिका के साथ न जा पाने को
प्र. 4 सेवक को स्वामी से अलग कर देने को भक्तिन मानती थी –
(अ ) अनुचित
(ब ) भेद-भाव
(स ) अन्याय
(द ) उपर्युक्त सभी
उत्तर- (स ) अन्याय
प्र- 5 उक्त गद्यांश किस किस साहित्यकार की रचना से लिया गया है –
(अ ) महादेवी वर्मा
(ब ) जैनेंद्र
(स ) फणीश्वर नाथ रेणु
(द ) धर्मवीर भारती
उत्तर- (अ ) महादेवी वर्मा
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