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world suicide prevention day

September 9, 2016
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world suicide prevention day-fight against it

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डरते  हो ? 
किससे ? 
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दुखों से  ?  
 क्यों डरते  हो ? 
 मैं  बताता हूँ –



विश्वास  नहीं है तुम्हे ,न अपने पर ,ना भगवान  पर

 


विश्वास करो ,भगवान् तुम्हारे साथ है ,और दुनिया की कोई  ताक़त  ,भगवान् की ताक़त  से ज्यादा ताक़तवर  नहीं हो सकती 

 

डरते  हो ?  
 किससे ?     संघर्षों के तूफानों  से ? 
 क्यों डरते  हो ?
अपने भीतर के आत्मबल को पतवार  बनाओ

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क्या  सोच रहे हो ?
ऐसी  ज़िन्दगी से मर जाना  बेहतर  है ?
कायर  हो ?
खुद को मिटा देने का हक़  किसने दिया तुम्हे ?
भगवान  हो गए तुम ?
याद रखो,बनाने – मिटाने  का हक़  सिर्फ और सिर्फ  भगवान्  का है,तुम्हारा नहीं
 

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याद रखो, तुम्हारे जीवन  से कितने सारे लोगों  का जीवन जुड़ा हुआ है

ऐसे लोग न मालूम कितनी आँखों में आँसूं छोड़ जाते है ,ऐसे आँसूं  जो कभी सूखते  नहीं

Hindi Hindustaniसंघर्षों से  जूझने  का नाम ज़िन्दगी है
तूफ़ान की मौजो  पर मचलने  का नाम  ज़िन्दगी है
बिगड़ी  हुई  किस्मत  को बदलने का नाम  ज़िन्दगी  है

ज़िन्दगी ज़िंदादिली  का नाम है 
मुर्दा दिल क्या खाक  जिया करते है 

 
 

Hindi Hindustaniमनुष्य जीवन दुर्लभ है , यूं समझिये ईश्वर का वरदान है  यह मनुष्य जीवन  ….. एक अमूल्य उपहार ,जो ईश्वर ने हमें दिया है। मनुष्य जीवन पाना ईश्वर का अनुग्रह है हम पर। उस सुंदर  ईश्वर की सुंदर रचना है मनुष्य। एक स्वर्णिम अवसर है यह  मनुष्य जीवन
Hindi Hindustaniपशु-पक्षी ,कीड़े- मकोड़ों की ज़िन्दगी से तुलना करके देख लीजिये ,खुद -ब – खुद हमारी आँखे आसमान की ओर  उठ जाएगी ,उस ईश्वर के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए ,जिसने हमें इंसानों की यह खूब-सूरत ज़िन्दगी दी है।

ईश्वर की श्रेष्ठ रचना है मनुष्य  ….. ईश्वर का ही स्वामित्व है इस जीवन पर ,इस जीवन को मिटाने या नष्ट करने का अधिकार मनुष्य को नहीं है ,किन्तु अज्ञानता वश मनुष्य इस जीवन पर अपना अधिकार समझने लगता है ,स्वामी मानने लगता है अपने आप को। समझता है , मेरी अपनी ज़िन्दगी है ,मैं  जो चाहू ,करू ,किसी को इससे क्या ?मैं  जिऊ  या मरू ,मेरी मर्जी ?
यदि कोई ऐसा सोचता है तो गलत सोचता है। अपने आप को ख़त्म करने से पहले ऐसे लोगो को यह सोचना चाहिए कि जिन –  जिनका उस पर उधार है ,क्या  उनका  उधार  चुकता कर दिया ?
क्या तुमने उस माता के  क़र्ज़ चुका दिया जिसने तुम्हे ९ माह अपने गर्भ में पालकर असह्य पीड़ा सहकर  तुम्हे जन्म दिया। तुम आराम से सो सको इसलिए  वह खुद रात -रात भर जाएगी थी। चुका  दिया उस माँ की कोख का क़र्ज़  ?
उस पिता ने जिसने अपनी सुख देनेवाली ज़रूरतों को पीछे रखकर तुम्हे सुख देकर बड़ा किया ,चुका  दिया तुमने उस पिता का क़र्ज़  ?

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रक्षा-बंधन पर कलाई पर राखी बंधवाकर बहिन को रक्षा का वचन दिया था तुमने ,वह वचन पूरा कर दिया ?
Hindi Hindustaniवह अनजान युवती जो अपने पिता का घर छोड़कर तुम्हारे साथ आई थी ,इस विश्वास पर कि  तुम ज़िन्दगी भर उसका साथ निभाओगे और तुमने भी तो उसकी मांग में सिन्दूर भर कर ,गले में मंगल सूत्र पहना कर विश्वास दिलाया था उसे। क्या बीच राह में उसे अकेला छोड़कर चले जाओगे ? किसके सहारे ? किसके भरोसे ? क्या यह विश्वास घात नहीं ? धोखा नहीं?

वे बच्चे जिनके तुम पिता /मा हो ,वे बच्चे घास-फूस की तरह अपने आप तो नहीं उग आये थे ? या अपने आप आसमान से तो नहीं टपके थे ,तुमने ही तो पैदा किया था उन्हें। उन बच्चों को अनाथ बनाने का हक़ किसने दिया तुम्हे ? भाग क्यों रहे हो ज़िन्दगी से ?
जिस धरती माता का अन्न खाकर और जल पीकर तुम बड़े हुए हो ,उस धरती माता के उधार का मूल तो क्या ब्याज भी नहीं चुकाया तुमने।
ऐसे कैसे अकेले फैसला कर सकते हो तुम अपनी ज़िन्दगी का ?
तुम्हारी ज़िन्दगी पर सिर्फ तुम्हारे  अकेले का ही  हक़ नहीं है ,कई सारे लोगो की ज़िन्दगी जुडी हुई है तुमसे।
एक आदमी आत्म-हत्या का फैसला करके कितने सारे पाप एक साथ कर लेता है ?
एक आदमी के आत्म-हत्या करने से सिर्फ वह अकेला नहीं मरता ,कई सारे रिश्ते  मर जाते है उसके अकेले के फैसले से ।
आत्म -हत्या करनेवाला अपने इस क्षणिक भावुकता भरे फैसले से खुद तो अपनी तकलीफों छुटकारा पा जायेगा ,लेकिन अपने पीछे कितनी -कितनी आँखों में कितने -कितने आंसू छोड़ जायेगा ,वह यह नहीं सोचता।
जब तक वह था उसका दर्द अकेले का दर्द था , लेकिन  इस दुनिया से जाते -जाते कितनो को दर्द दे जायेगा  ,यह नहीं सोचता।

कोई दुःख या कोई समस्या इतनी बड़ी नहीं हो सकती सकती ,जिसका समाधान मनुष्य ना कर सके।
क्या जीवन का अंत  ही समस्या का समाधान है ? क्या जीवन का अंत मुक्ति का उपाय है ?
क्या सपनो के टूट जाने से जीने का मक़सद ख़त्म हो जाता है ?
क्या टूटे हुए  दिल  या रिश्ते  के बचे हुए हिस्से को किसी और के  साथ जोड़कर नई ज़िन्दगी की शुरुआत नहीं हो सकती ?
Hindi Hindustaniक्या पारिवारिक कलह का समाधान मौत के आलावा कुछ और नहीं हो सकता था ?

किसी परीक्षा में असफल होने पर या जो बनना  चाहते थे ,वैसा न बन पाए तो क्या इंसान बन कर नहीं रहा जा सकता ?
Hindi Hindustaniयदि गलती से कोई गलत काम हो गया ,जिसके कारण सामाजिक प्रतिष्ठा खो गयी ,तो क्या उस गलती का प्रायश्चित  मौत है ?अच्छे काम से फिर से खोयी हुई  सामाजिक प्रतिष्ठा फिर से पाई भी तो जा सकती है।
क़र्ज़ ,बीमारी ,गरीबी ,या बे-रोज़गारी का समाधान आत्म-हत्या ही है ?
चिंता क्या कोई प्रेयसी है, जिसे हमेशा गले से लगा कर रखा जाये ?

क्या हताशा -निराशा हमारे परिजनों और मित्रों से ज्यादा अच्छे हो सकते है?
क्या नशीले पदार्थ दुखों का अंत करने की औषधी  है ?
क्या मौत ज़िन्दगी से ज्यादा खूब सूरत हो सकती है ?
यदि किसी व्यक्ति से जो आत्म -हत्या की मानसिकता बना चुका  हो ,उससे ये सब सवाल पूछे जाये तो शायद उसके सारे  सवालों का जवाब नहीं  ही होगा।

जब  सारे  सवालों का जवाब नहीं है तो फिर आत्म-हत्या क्यों ?

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