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vegetarian day

April 23, 2017
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world vegetarian day

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world vegetarian day

what is man ?

 
 
१ अक्टूबर ,world vegetarian day पर विशेष 

आत्मिक निवेदन -यह लेख अवश्य पढ़े और पढ़कर भीतर कहीं कुछ महसूस करें तो यह लेख अवश्य SHARE करें  


Hindi Hindustaniभगवान ने गाय से कहा मैंने तुझे शाकाहारी बनाया है ,तेरा भोजन घास होगा। 
गाय ने कहा –आपकी आज्ञा शिरोधार्य ,प्रभु .भूखी मर जाउंगी पर मांस नहीं खाउंगी।
 
 
 
 
 
 
 
 
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भगवान ने शेर से कहा ,मैंने तुझे मांसाहारी बनाया है ,तेरा भोजन पशु मांस होगा। 
शेर ने कहा – आपकी आज्ञा शिरोधार्य ,प्रभु .भूखा मर जाऊंगा ,घास नहीं खाउंगा।
 
 
 
 
 
Hindi Hindustaniभगवान ने कुत्ते से कहा –तुझे मानव की जूठन पर आश्रित रहना पड़ेगा .और हा ,यदि कभी जूठन न मिले तो मांस भी खा सकता है। .
कुत्ते ने कहा – आपकी आज्ञा शिरोधार्य ,प्रभु
 
 
 
 
 
 
अंत में भगवान ने मनुष्य से कहा –  सभी जीवों में मैंने तुझे श्रेष्ठ बनाया है .तू न घास खायेगा ,न मांस खायेगा ,तू सिर्फ अन्न खायेगा। 
मनुष्य  ने कहा – आपकी आज्ञा शिरोधार्य ,प्रभु
 
 
 
सालों बाद –
 
Hindi Hindustaniगाय आज भी अपना धर्म निभा रही है ,
 
 
 
 
 
 
Hindi Hindustani
शेर अपना धर्म निभा रहा है ,
 
 
 
 
 
 
Hindi Hindustani
Hindi Hindustani कुत्ता अपना धर्म निभा रहा है
 
 
 
 
 
 
और मनुष्य कौनसा धर्म निभा रहा है ?                                                                                             
 
 
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मांस भी खा रहा है                                                                            और अन्न भी खा रहा है

 

 



                                                        
                                                              
आप मनुष्य को किस श्रेणी में रखेगे ?
 
 
 
 
Hindi Hindustaniगाय  …. ?
 
 
 
 
 
 
Hindi Hindustani शेर  …. ?
 
 
 
Hindi Hindustaniया कुत्ता ?

 

 
 
 

जवाब क्या ?
खुद सोचिये –
 
महान वैज्ञानिक आइंस्टीन कहते थे कि मानव मांसाहार के लिए बना ही नहीं है .जीवन बनाये रखने के किये शाकाहारी होना पड़ेगा। 

 ईश्वर ने सभी प्राणियों का भोजन अलग –अलग बनाया है और जिसका जैसा भोजन है वैसी ही उसकी शारीरिक बनावट बनाई है .मनुष्य और कुछ पशुओ को ईश्वर ने शाकाहारी बनाया है ,तो कुछ पशुओं को पूर्णत मांसाहारी और कुछ पशुओं को उभयाहरी बनाया है .भोजन के अनुसार ही उनके दांत और आंत है .
 
यह बात सर्वविदित है –जैसा खाए अन्न ,वैसा होय मन .जितने भी शाकाहारी है स्वाभाव से शांत और सात्विक वृति के होते है जबकि मांसाहारी स्वभाव से उग्र और हिंसक वृति के होते है .
जितनी भी लड़ाकू जातियां है ,उनमे से अधिकांश मांसाहारी है .जितने भी बौध्दिक लोग है ,वे सब के सब शाकाहारी हुए है .भारत ही नहीं बल्कि पाश्चात्य देशो के विद्वान् भी इसमे सम्मिलित है ,जिनमे अरस्तू ,प्लेटो ,आइन्स्टीन और जार्ज बर्नार्ड शॉ के नाम प्रमुखता से गिनाये जा सकते है .
भारत सहित विश्व के सभी धर्म ग्रंथों और धर्म गुरुओं ने भी शाकाहार का ही समर्थन किया है और मांसाहार का विरोध .अब तो पश्चिम के वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं ने भी इस बात पर मुहर लगा दी है कि शाकाहार ही  मनुष्य के लिए उत्तम आहार है .
वैज्ञानिक और शोधकर्ताओ ने बतलाया है कि आहार के लिए पशु को काटा जाता है तो भय का प्रभाव उसके खाए जाने वाले अंगों पर भी पड़ता है ,जिसके कारण पशुओं के खाए जानेवाले अंग विषाक्त हो जाते है ,जिसका दुष्प्रभाव मांस खानेवाले पर भी पड़ता है .
यही कारण है कि शाकाहारियों की तुलना में माँसाहारी ह्रदय रोग ,उच्च रक्तचाप ,गुर्दे ,मधुमेह जैसी बिमारियों के शिकार ज्यादा होते है .शाकाहार सुपाच्य होता है जो कि आसानी से पच जाता है ,जबकि मांसहार आसानी से नहीं पच पाता क्योकि पशु की चर्बी में जो प्रोटीन जमा होता है ,उसे पचाने में उर्जा का अधिक अपव्यय होता है.    .   
 भारत प्राचीन काल से ही यदि दया और अहिंसा का पक्षधर रहा है तो सिर्फ शाकाहारी होने के कारण ही ,क्योकि शाकाहारियों के ह्रदय में ही दूसरों के प्रति दया ,करुणा और अहिंसा के भाव उठ सकते है .यह तथ्य भारत के सन्दर्भ में प्रमाणिकता के साथ परिलक्षित है .इसके विपरीत मांसाहार का सेवन करनेवालो में धैर्य की कमी होती है और वे बहुत जल्दी उत्तेजित हो जाते है .प्रवृति हिंसक हो जाती है ,मामूली बात पर आप खो देते है और झगड़े पर उतारू हो जाते है .
१ अक्टूबर को world vegetarian day को अंतर्राष्ट्रीय पर मनाने का उद्देश्य भी विश्व समुदाय को शाकाहार के प्रति आकर्षित करना और जागरूकता उत्पन्न करना ही है ,ताकि विश्व समुदाय के लोग मांसाहार का त्याग कर शाकाहार अपनाने के लिए प्रेरित हो सकें . वैज्ञानिकों ने अपने शोध से बतलाया है कि मांसाहार का बढ़ता प्रयोग पर्यावरण पर भी दुष्प्रभाव डाल रहा है,क्योकि पशुओं के मांस से हानिकारक गैस उत्सर्जित होती है .जबकि शाकाहार वाले खाद्य पेड़- पौधे हानिकारक गैसों के प्रभाव को बढ़ने से रोकने में सहायक होते है .
शाकाहारी होकर कई रोगों से बचा जा सकता है ,यथा –
फेफड़े की बीमारी नहीं  होगी ,टाइप २ मधुमेह स्व बचे रहेगे ,मोटापा नहीं बढेगा ,शाकाहारी भोजन में जल की मात्रा अधिक होती है ,जिससे एंटीओक्सिडेंट और विटामिन मिलता है  .लो फैट और सोडियम होने के कारण रक्त दबाव की  समस्या नहीं होगी ,रक्त सञ्चालन ठीक रहेगा .शाकाहारियों का कोलेस्ट्राल सामान्य रहता है और ह्रदय रोग तथा  कैंसर जैसी बीमारी का खतरा भी कम रहता है .
 
यह धारणा गलत है कि शाकाहारी कमजोर होते है और माँसाहारी ताक़तवर .शाकाहारी भोजन में प्रोटीन .कार्बोहाइड्रेट ,वसा जैसे पोषक तत्व  भरपूर मात्रा में होते है ,और आसानी से पच जाते है ,मांसाहारियों की तुलना में शाकाहारी ज्यादा उर्जावान और दीर्घ आयु वाले होते है .
ईश्वर ने मनुष्य को शाकाहारी बनाया है तो मनुष्य को भी चाहिए कि वह ईश्वर कि बनाई व्यवस्था के अनुसार मनुष्य बनकर रहे . ईश्वर प्रदत्त ढेर सारे खट्टे-मीठे ,रसीले स्वादिष्ट खाद्य पदार्थों का आनंद लीजिये ,
क्यों मनुष्य अपनी उदरपूर्ति के लिए बेक़सूर और मूक पशु की हत्या करता है ?
कत्लखानो में जिस निर्ममता ,क्रूरता ,निर्दयता से इन मूक पशुओ को काटा जाता है ,जिसे देखकर दिल दहल जाता है .जैसे हम मनुष्य किसी हिंसक और क्रूर व्यक्ति को राक्षस कहते है ,वैसे ही ये मूक पशु भी अपनी भाषा में मनुष्य को  शायद राक्षस कहते होगे .मनुष्य को दूर से आता देखकर कहते होगे –भागो … भागो ….राक्षस आ रहा है .
कटते हुए पशुओं का आर्तनाद सुने ,अवश्य भीतर कुछ महसूस होगा … शायद करुणा   …. शायद दया। जैसे मनुष्य दुःख पहुंचनेवाले को बददुआ देता है ,वैसे ही यह जीव भी ,जो सजीव है ,हमें बद दुआ देते होंगे।  
परमार्थ के लिए न सही ,स्वार्थ के लिए तो शाकाहार अपना सकते है .धर्म और शर्म गुरुओ की  बात न माने  ,न सही . अपने डाक्टर की  बात तो  मान ही सकते है .बस ,थोड़ी सी इच्छा शक्ति दिखलाने की आवश्यकता है .
( यह लेख धर्म अथवा जाति से ऊपर उठकर इंसान और इंसानियत की नज़र से पढ़ा जाना चाहिए ) 

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