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vasant panchami

January 21, 2018
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vasant panchami

Hindi Hindustani

वसंत पंचमी की हार्दिक शुभ कमाना

वसंत पंचमी

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वसंत पंचमी 

 

माघ माह की पंचमी  …. मतलब वसंत पंचमी  ….

 

वसंत पंचमी मतलब ..  .. आगमन  ऋतुओं की रानी का  ….
.
षट  ऋतुओं में सबसे सुन्दर  …. सबसे मन मोहक
 
ऋतु  जिसके आगमन में  सारी  प्रकृति  जैसे शृंगारित होकर रंग-बिरंगे फूल और सुगंध बिखेर कर स्वागत  कर रही है  …..

 

जिसके आविर्भाव से खेतो ने पीली साड़ी पहन ली है  …..

 

आम्र टहनियां बौर लगा कर झूम रही है  ….

 

पेड़ -पौधों से फूटती कोपलें जैसे उल्लास प्रकट कर रही है ..    …

 

कोयल कूक-कूक कर उद्घोषणा कर रही है  ….

 

हवा फूलों का रस -पान कर मादक हो रही है  …..

 

तितलियाँ असमंजस में इधर-उधर उड़ रही है  -किस फूल का रसास्वादन करूँ  …

 

मतवाले भंवरों का गुंजार कानों में रस घोल रहा है  ..
.
कहीं  महक है  , गमक  है …यह जन्मोत्सव है ज्ञान -विज्ञानं ,संगीत और कला की अधिष्ठात्री शक्ति माँ 
 
सरस्वती  का ..जो शुभ्र है ,निर्मल है ,सहज है , धवल है ,शांति और नीरवता की प्रतिमूर्ति है। 

 

 

जिसे इनमे से कुछ भी कहा जा सकता है –

वागीश्वरी  .. 
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शारदा ..  
वाग्देवी  …. 
 वीणा पाणि  या 
पद्मासना

 

श्री पंचमी है आज। .. 
 
ऋतु  संहार में कालि दास ने इसे सर्व प्रिये चारुतर 
 
वसन्ते कहकर अलंकृत किया है। 
 
श्री मद्भगवद गीता में श्री योगेश्वर कृष्ण ने कहा है -ऋतूनां कुसुमाकर: अर्थात मै ऋतुओं में वसंत हूँ।
 
दुर्गा सप्तशती में कहा गया है कि समस्त विश्व में जो चेतना व्याप्त है ,वह महा सरस्वती ही है। सभी प्राणियों में 
 
चेतना ,बुध्दि ,शक्ति,तृष्णा ,शांति,लज्जा आदि अनेक  रूपों में रहनेवाली महासरस्वती को प्रणाम। सभी इन्द्रियों की 
 
अधिष्ठात्री सभी जीवों में सदा वास करती है।  चेतना रूप में समस्त विश्व को व्याप्त कर रहने वाली देवी सरस्वती 
 
हमारा कल्याण करें।

 

हम भी पवित्र दिन –

अपनी इन्द्रियों द्वारा सद्ज्ञान का संग्रह कर अपने अंतर में स्थित चेतन तत्व को उर्ध्व मुखी बनाये तथा श्रेष्ठ 
 
मनुष्य बनना ही महा सरस्वती की श्रेष्ठ आराधना है। 

 

सृष्टि के रचयिता ब्रह्मा द्वारा सृष्टि की रचना करने के बाद सृष्टि ऐसी न थी। सर्वत्र निस्तब्धता  …. न कोई उत्साह  ,न 
 
कोई उमंग  . सिर्फ नीरवता   …. इस नीरस सृष्टि को उत्साह और उमंग से भरने के लिए ब्रह्माजी ने अपने कमण्डल 
 
से सर्वत्र जल छिड़का। धरती पर सर्वत्र हरियाली छा गई। धरा पर एक तेजस्वी देवी प्रकट हुई ,जिसके चतुर्भुजों में 
 
से एक हस्त में पुस्तक ,एक में माला और दो हस्त वीणा धारण किये हुए थी। ब्रह्माजी ने देवी से वीणा के सप्त तारों 
 
को झंकृत करने को कहा, वीणा के  मधुर स्वर चहुँ दिशा में फ़ैल गए। वीणा के स्वर के प्रभाव  से समस्त प्राणियों 
 
को वाक्शक्ति प्राप्त हुई।

 

सरस्वती पूजन का प्रचलन भगवान श्री कृष्ण से जुड़ा हुआ माना है। पौराणिक मान्यता के अनुसार भगवान श्री कृष्ण 
 
के अलौकिक रूप से आसक्त देवी सरस्वती ने भगवान श्री कृष्ण के समक्ष स्वयं को भार्या रूप में वरण करने का 
 
निवेदन किया ,किन्तु भगवान श्री कृष्ण ने समुचित कारण बतलाते हुए प्रस्ताव को स्वीकारने करने में असमर्थता 
 
प्रकट करते हुए ,देवी सरस्वती को पूजनीय होने का वरदान दिया और कहा कि-माघ माह में शुक्ल पक्ष की पंचमी 
 
को विद्या प्रदायिनी देवी के रूप में तुम्हे पूजा जायेगा।विद्यारंभ करते समय देव-दानव ,यक्ष गन्धर्व ,नर -नारी सभी 
 
तुम्हारी पूजा करेंगे। जगद गुरु योगेश्वर कृष्ण ने भी स्वयं माँ सरस्वती की अर्चना की।

 

माँ सरस्वती की आराधना से ही कवित्व ,साहित्य सृजन ,संगीत में निपुणता ,वाक्पटुता और तर्क शक्ति प्राप्त होती 
 
है। महर्षि वाल्मीकि और व्यास भी सरस्वती की आराधना करके ही रामायण और महाभारत की रचना की। 
 
कालिदास ने माँ सरस्वती की आराधना करके महाकवि का सम्मान पाया।

 

तंत्र शास्त्र में माघ शुक्ल पंचमी को लक्ष्मीअति प्रसन्न मुद्रा में होती है। इस दिन लक्ष्मी  -उपासना को अतिशुभ 
 
बतलाया गया है। यही एक ऐसा दिन होता है जब दोनों देवियाँ लोक कल्याणार्थ एकचित होती है। इन दोनों देवियों 
 
की प्रिय तिथि होने के कारण वसंत पंचमी का महत्व  और भी बढ़ जाता है।

 

वसंत पंचमी स्वयं सिध्द मुहूर्त है ,इस दिन कोई भी शुभ कार्य प्रारम्भ किया जा सकता है।

 

रामायण एवं रामचरित मानस में वर्णित हुआ दण्डक अरण्य में शबरी द्वारा   भगवान श्री राम को जूठे बैर 

 
खिलाने  का प्रकरण का दिन भी वसंत पंचमी को हुआ माना  जाता है.

 

इसी दिन भगवान विष्णु के साथ -साथ कामदेव-रति की भी पूजा की जाती है। वसंत को कामदेव का मित्र माना 
 
जाता है।मत्स्य पुराण में वर्णित बताया गया है।

 

वसंत पंचमी का ऐतिहासिक महत्त्व भी है।यह दिन  पृथिवी राज चौहान -चंद्र वरदाई  तथा राम सिंह   कूका  का भी 
 
स्मरण दिलाता है।

 

सरस्वती पुत्र काव्य शिल्पी सूर्य कांत त्रिपाठी  निराला का जन्म-दिन भी वसंत पंचमी को ही हुआ था।

 

माँ सरस्वती के प्रमुख मंदिर –

 

मैहर देवी का शारदा मंदिर मध्यप्रदेश में

 

पुष्कर का सरस्वती मंदिर-राजस्थान में

 

श्रंगेरि का शरादाम्बा  मंदिर

 

श्री ज्ञान सरस्वती मंदिर -आंध्र प्रदेश

 

कोट्टयम का सरस्वती मंदिर -केरल 

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