tiruvalluvar quotes in hindi -5
संत महाकवि तिरुवल्लुवर
संत महाकवि तिरुवल्लुवर
यदि मनुष्य अस्थाई- नाशवान पदार्थो को ही स्थिर और नित्य मान ले तो इससे बढ़कर कोई अन्य मूर्खता की बात नहीं।
सच्चरित्र लोग दूसरों को दोषों को आवृत करने का प्रयास करते है।,किन्तु धृष्ट लोग सच्चरित्रों में दोष ढूंढने का प्रयास करते है।
भीतर से जिसके ह्रदय में गहराई जितनी ज्यादा होगी , बाहर से उसकी प्रतिष्ठा की ऊँचाई उतनी ही ज्यादा होगी।
ढेर सारी दौलत इकठ्ठी कर लेना तमाशा देखने के लिए इकठ्ठी हुई भीड़ की तरह है और धन दौलत का चले जाना इकठी हुई भीड़ के चले जाने के समान है।
दरिद्रता और सम्पन्ता साथ – साथ चलते है किन्तु आलसी का घर देखकर दरिद्रता वही बस जाती है और सम्पनता परिश्रमी के घर मे।
अतिथि देव तुल्य है , अमृत जैसा दुर्लभ पदार्थ भी अतिथि के साथ सेवन करना चाहिए।
कल जो आदमी था , आज नही है , दुनिया मे यही एक विस्मयकारी घटना है।
मनुष्य को इस बात का जरा सी ख्याल नही की अगले पल क्या होगा लेकिन भविष्य के लिए भविष्य के लिए विचारो का ढेर लगा लिया है।
पंख निकलते ही चिड़िया का बच्चा टूटे हुए अंडे को छोड़कर उड़ जाता है- देह और आत्मा का भी संबंध है।
विषयुक्त शब्द बाण का उपचार तो हो जाएगा किन्तु अमिट निशान जरूर रहेगा।
जीवन नींद से जागने और म्रत्यु सो जाने जैसा है।
अवसर आने की न आहट होती है , और न ही अवसर दस्तक देता है , अवसर को पकड़ने के लिए सदैव तत्पर रहना पड़ता है।
मूर्खों की वार्तालाप के मध्य चुप बैठना बुद्धिमानी है।
उस काम को कल पर छोड़ो जिसे आज और अभी करना है , क्योकि फिर आपके पास पछतावे के अलावा कुछ शेष न रहेगा।
अपवित्र देह मे पवित्र आत्मा का निवास पूरी दुनिया के लिए विचारणीय प्रश्न है।
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