Hindi Hindustani
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tiruvalluvar quotes in hindi -5

December 10, 2016
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tiruvalluvar quotes in hindi -5

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संत महाकवि तिरुवल्लुवर 





 

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संत महाकवि तिरुवल्लुवर 
यदि मनुष्य अस्थाई- नाशवान  पदार्थो   को ही स्थिर  और  नित्य    मान ले  तो  इससे  बढ़कर  कोई  अन्य  मूर्खता की  बात  नहीं।  

सच्चरित्र  लोग  दूसरों को दोषों  को आवृत  करने  का प्रयास  करते  है।,किन्तु  धृष्ट  लोग  सच्चरित्रों  में  दोष ढूंढने  का प्रयास करते है। 




 

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भीतर से जिसके ह्रदय  में  गहराई  जितनी ज्यादा  होगी , बाहर  से उसकी प्रतिष्ठा  की ऊँचाई  उतनी ही ज्यादा होगी। 

 


ढेर  सारी  दौलत  इकठ्ठी  कर  लेना  तमाशा  देखने  के लिए  इकठ्ठी  हुई  भीड़  की तरह है  और  धन  दौलत का चले जाना इकठी  हुई  भीड़  के चले जाने  के समान  है।




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Hindi Hindustaniजिसकी वाणी  का माधुर्य  दूसरों  के ह्रदय  को सुवासित  कर देती है , उसका मुख  पुष्प  सदैव खिला रहता  है।  मृदुवाणी  ही मानव का वास्तविक  आभूषण  है ,शेष  सभी आभूषण  नकली है। 

दरिद्रता और  सम्पन्ता  साथ – साथ  चलते  है किन्तु  आलसी  का घर देखकर  दरिद्रता  वही बस जाती  है  और सम्पनता  परिश्रमी  के घर मे। 



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Hindi Hindustaniसमय  आरे   के समान  है जो  मनुष्य  के जीवन  को निरन्तर  थोड़ा – थोड़ा  करके  काट  रहा है।

अतिथि  देव तुल्य  है , अमृत जैसा  दुर्लभ पदार्थ  भी  अतिथि  के साथ सेवन करना चाहिए। 

कल जो  आदमी  था , आज नही है , दुनिया  मे  यही  एक  विस्मयकारी  घटना  है।






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मनुष्य  को  इस  बात  का जरा  सी  ख्याल  नही  की अगले  पल क्या  होगा लेकिन  भविष्य  के लिए भविष्य  के लिए विचारो   का ढेर  लगा लिया  है।




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पंख  निकलते  ही चिड़िया  का बच्चा   टूटे  हुए   अंडे  को छोड़कर  उड़  जाता  है- देह  और आत्मा  का भी संबंध  है।
Hindi Hindustani दृढ़ता  के साथ  प्रयास मे  जुटे  रहना  व्यर्थ  बैठने  से कही ज्यादा  अच्छा  है। 


विषयुक्त  शब्द  बाण  का उपचार  तो हो जाएगा किन्तु  अमिट  निशान जरूर  रहेगा। 

जीवन  नींद  से जागने  और म्रत्यु  सो जाने जैसा है।


अवसर  आने की न आहट  होती है , और न  ही अवसर  दस्तक  देता है , अवसर  को पकड़ने  के लिए सदैव तत्पर  रहना पड़ता है। 

 


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Hindi Hindustani भीतर से जिसके ह्रदय  की  गहराई  जितनी ज्यादा  होगी , बहार से उसकी प्रतिष्ठा  की ऊँचाई  उतनी ही ज्यादा होगी।

मूर्खों की वार्तालाप के मध्य चुप बैठना  बुद्धिमानी है।  

 


उस काम को कल पर छोड़ो जिसे  आज और  अभी  करना है , क्योकि फिर  आपके  पास पछतावे  के अलावा  कुछ शेष  न रहेगा।

अपवित्र  देह मे  पवित्र  आत्मा  का निवास पूरी  दुनिया के लिए विचारणीय  प्रश्न  है।




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