tiruvalluvar quotes in hindi-4

tiruvalluvar quotes
संत महाकवि तिरुवल्लुवर
संत महाकवि तिरुवल्लुवर
अच्छाई से मुँह फेर लेना और बंदी करना बुरा है , किन्तु उससे भी ज्यादा बुरा है मुह के सामने मीठा बोलना और पीठ पीछे निंदा करना।
मनुष्य जिस तरह दूसरों की बुराई करता है ,वैसे ही यदि वह अपने दोषों का चिंतन करें तो उसे बुराई छू भी नहीं पायेगी।
दुर्जन उस मूर्खता से भयभीत नही होते , जिसे धर्म ग्रंथो मे पाप कहा गया है किन्तु सज्जन पाप कर्म को सर्प के समीप जाने जैसा समझते है।
आग से भी ज्यादा बुराई से दूर रहना चाहिए।आग से आग जन्म होता है ,उसी तरह बुराई से बुराई का जन्म होता है।
बुद्धिमानी इसी मे है कि शत्रु को भी नुकसान पहुँचाने से बचा जाए। 
मैं निर्धन हूं , ऐसा मानकर पाप कर्म करने को विवशता मानना और भी बड़ी भूल है , क्योकि ऐसा कर वह और भी निर्धन हो जाएगा।
जो व्यक्ति दुखो से बचना चाहते है , उन्हें चाहिए कि वह दूसरों को नुकसान पहुँचाने का भाव भी मन मे न लाए।
मनुष्य सभी तरह के शत्रु से तो बच सकता है , लेकिन अपने ही पाप कर्मो से भी नही बच सकता। 
पाप कर्म पापी को नष्ट किए उसे नही छोड़ते। जिस तरह आदमी का साया उसका उसे नही छोड़ता , वैसे ही पाप कर्म भी पापी का पीछा तब तक नही छोड़ते जब तक की पापी का सर्वनाश न कर दे।
उस आदमी की भी पीठ पीछे निंदा न करो जिसने तुम्हे मुह पर गाली दी हो।
मनुष्य जिस तरह दूसरो की बुराई करता है ,वैसे ही यदि वह अपने दोषो का चिंतन करे तो बुराई उससे चु भी नही पाएगी।
अपना माँस बढ़ाने के लिए दूसरों का माँस खाने वाला कभी दयालु नही हो सकता।
जिस तरह व्यर्थ खर्च करने वाले के पास धन कभी नही ठहरता उसी प्रकार माँस खाने वाले के ह्रदय मैं दया नही ठहरती।
मूक पशुओ की हत्या करना क्रूरता है किन्तु माँस खाना उससे भी बढ़कर पाप है।
मूक पशुओ का माँस खाने वाला भी कभी नरक से बहार नई निकल पत
यदि मॉस खाने वाले न होंगे तो पशुओ को मारने और बेचने वाले भी नही होंगे।
जीवित पशु को मारकर खाने से बचना ,कई सेकड़ो यज्ञ करने से प्राप्त होने वाले पुण्य जैसा है।






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