क) कविता के बहाने
कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने
1
कविता की उडान भला चिडिया क्या जाने?
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
कविता के पंख लया उड़ने के माने
चिडिया क्या जाने?
भावार्थ- कवि आकाशमे उड़ती चिड़िया से अभिप्रेरित होता है .कवि ने चिड़िया से प्रेरणा लेकर कल्पना के पंख लगाकर उड़ना सीखा .जब कवि ने कल्पना के पंख लगा के उड़ना सीखा तो ऐसा सीखा कि उसने चिड़िया की उड़ान को कोसो पीछे छोड़ दिया .जहाँ कवि की कल्पना पहुँच पाती है ,वहाँ तक चिड़िया की पहुँच नहीं है .चिड़िया की उड़ान सीमित है जबकि कवि की कल्पना की उड़न असीमित है .कवि बाह्य संसार को देखकर काव्य सृजन तो करता ही है किन्तु वह मनुष्य के भीतर उतर कर उसके मनोभावों को भी अपने काव्य का विषय बना लेता है .कवि का कर्म क्षेत्र चिड़िया की उड़ान से कहीं ज्यादा विस्तृत है .जहाँ तक कवि की कल्पना उड़ान भर आती है ,वहाँ तक चिड़िया पहुँच ही नहीं सकती है अर्थात कवि की रचनात्मक सीमा पर सभी बंधनों से मुक्त है
2.
कविता एक खिलना हैं फूलों के बहाने
कविता का खिलना भला कूल क्या जाने
बाहर भीतर
इस घर, उस घर
बिना मुरझाए महकने के माने
फूल क्या जाने?
भावार्थ- कवि खिले हुए फूल और सुगंध से अभिप्रेरित होता है . खिला हुआ फूल और उसकी सुगंध सभी को प्रसन्न करती है .कवि ने फूल से प्रेरणा लेकर अपने काव्य सृजन से सभी के ह्रदय को प्रसन्न करने की प्रेरणा ली .फूल से प्रेरणा लेकर दूसरों के ह्रदय को प्रसन्न करनेका गुण सीखा तो ऐसा सीखा कि कवि ने फूल के गुणों से कहीं आगे निकल गया .कवि के काव्य आनंद युगों –युगों तक लिया जा सकता है जबकि फूल की सुगंध और खिलने का गुण अल्पावधि का होता है .कवि की कविता कालजयी होती है ,समय के प्रभाव से अप्रभावित रहती है .
3.
कविता एक खेल हैं बच्चों के बहाने
बाहर भीतर
यह घर, वह घर
सब घर एक कर देने के माने
बच्चा ही जाने।
भावार्थ- कवि ने बच्चों को एक साथ मिलकर खेलते हुए देखा .सभी बच्चें अलग-अलग धर्म ,जाति ,भाषा के होते हुए भी बिना भेद-भाव के एक साथ खेल रहे है .कवि बच्चों से अभिप्रेरित होता है और भेद-भाव से परे सर्व जन हिताय की भावना से काव्य कर्म की प्रेरणा लेकर काव्य रचना करता है . कवि कविता भी बच्चों के खेल के समान शब्दों का खेल है –जो बच्चों के खेल के समान निश्छल ,निष्कपट ,निष्पक्ष और भेद रहित होती है ।बचों का खेल भी बंधन रहित होता है और कवि कविता भी ,बच्चें सभी घरों को एक सूत्र में बाँध देते है ,वैसे ही कवि की कविता धर्म,जाति ,भाषा के वैविध्य को एक सूत्र में बांध देती है .
चिड़िया की उड़ान और फूल के खिलने में कविता का विभेद हो सकता है किन्तु कवि कविता बच्चों के गुण के बहुत निकट होती है .
लघु उत्तरात्मक
प्रश्न ‘कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने’-पक्ति का भाव बताइए।
उत्तर – इस पंक्ति का अर्थ यह है कि कवि आकाश मे उड़ती चिड़िया से अभिप्रेरित हुआ .कवि ने चिड़िया से प्रेरणा लेकर कल्पना के पंख लगाकर उड़ना सीखा और कल्पना की ऊँची-ऊँची उड़ान भरने लगा ।
प्रश्न – कविता की उड़ान कहाँ तक है ?
उत्तर- कवि की उड़ान मनुष्य के ह्रदय में व्याप्त मनोभाव से लेकर बाह्य संसार जहाँ तक फैला हुआ है ,वहाँ तक है .जैसे आकाश अनंत है ,वैसे ही कवि की कल्पना का आकाश अनंत और सीमा रहित है .
प्रश्न कविता की उडान व चिडिया की उडान में क्या अंतर हैं?
उत्तर – चिड़िया की उड़ान एक सीमा तक होती है, परंतु कविता की उड़ान अनंत होती है। चिड़िया की उड़ान सीमित है और कविता की उड़ान असीमित है .
प्रश्न –चिड़िया और कविता में क्या साम्य है ?
उत्तर – चिड़िया पंखों से उड़ान भरती है तो कविता कल्पना के पंख लगाकर उड़ती है।
प्रश्न-‘कविता एक खिलना हैं, फूलों के बहाने’ का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – खिला हुआ फूल ही कवि की प्रेरणा बनता है .कवि ने दूसरे के ह्रदय को प्रफुल्लित करने का गुण फूल से ही सीखा .कवि के मन में भाव फूलों को देखकर ही विकसित हुए ।
प्रश्न- कविता रचने और फूल खिलने में क्या साम्यता हैं?
उत्तर – जिस प्रकार फूल अपनी सुगंध मन को प्रफुल्लित करता है, उसी प्रकार कविता भी पाठक और श्रोता मन को प्रफुल्लित कराती है ।
प्रश्न- बिना मुरझाए महकने से क्या आशय हैं?
उत्तर – बिना मुरझाए महकने से आशय है कि कविता कालजयी होती है और अनंतकाल तक
कविता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता .
प्रश्न- ‘कविता का खिलना भला कूल क्या जाने ‘-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर – इस पंक्ति का आशय यह है कि फूल के खिलने व मुरझाने की सीमा है, एक अवधि के बाद फूल मुरझा जातां है किन्तु कविता कालजयी होती है और अनंतकाल तक कविता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता .
प्रश्न – कविता को किसके समान बतलाया है और क्यों?
उत्तर – कविता को बच्चों के खेल के समान बतलाया गया है क्योकि कवि की कविता भी बच्चों के खेल के समान निश्छल ,निष्कपट ,निष्पक्ष और भेद रहित होती है
प्रश्न- कविता और बच्चों के खेल में क्या समानता हैं?
उत्तर – बच्चों का खेल भी निश्छल ,निष्कपट ,निष्पक्ष और भेद रहित होता है और कवि की कविता भी निश्छल ,निष्कपट ,निष्पक्ष और भेद रहित होती है
प्रश्न- कविता की कौन-कौन-सी विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर – कविता चिड़िया की भांति उड़ सकती ,फूल की तरह खिल सकती है और बच्चों के खेल के समान शब्दों और भावों का खेल खेलती है ।
प्रश्न – सब घर एक कर देने से क्या आशय है ?
उत्तर – कवि और बच्चा सभी घरों को एक समान समझता है ,दोनों ही भेद-भाव से परे होते है ।दोनों ही अलग-अलग को एक सूत्र में बाँध देते है .
प्रश्न- कविता के बहाने कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए
उत्तर- कवि ने चिड़िया की उड़ान देखकर कल्पना के पंख लगाकर उड़ना सीखा ,फूलों को देखकर खिलना सीखा किन्तु चिड़िया की उड़ान की सीमा है, फूल के खिलने के साथ उसका मुरझाना निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य-सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन खुद-ब-खुद टूट जाते हैं। वह सीमा चाहे घर की हो, भाषा की हो या समय की ही क्यों न हो।
प्रश्न : ‘सब घर एक कर देने के माने’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर –बच्चें स्वाभाव से निश्छल, निष्कपट और निष्कलंक होते है . बच्चों में भेदभाव का कोई स्थान नहीं होता अर्थात बच्चें धर्म ,जाति,भाषा के बंधन से मुक्त होते है.एक साथ खेलकर अलग-अलग धर्म,जाति और भाषा को एक सूत्र में बाँध देते है .कविता का भी यही गुण होता है .
प्रश्न :चिड़िया की उड़ान और फूल के खिलने का कविता के साथ साम्य स्थापित कीजिये
उत्तर –उड़ना चिड़िया का गुण है और खिलना फूल का गुण है .कवि की कविता भी कल्पना की उड़ान उड़ती है और फूल की तरह विकसित होकर खिलती है .
प्रश्न : कवि की कविता और बच्चों के खेल में साम्य स्थापित कीजिये .
उत्तर – बच्चें स्वाभाव से निश्छल, निष्कपट और निष्कलंक होते है . बच्चों में भेदभाव का कोई स्थान नहीं होता अर्थात बच्चें धर्म ,जाति,भाषा के बंधन से मुक्त होते है.एक साथ खेलकर अलग-अलग धर्म,जाति और भाषा को एक सूत्र में बाँध देते है .कविता का भी यही गुण होता है .कवि की कविता भी बच्चों की तरह ही निश्छल, निष्कपट और निष्कलंक और धर्म ,जाति,भाषा के बंधन से मुक्त होती है . कविता और बच्चें दोनों ही घर ,भाषा और समय की सीमा से मुक्त होते है ।
प्रश्न 4: ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ से क्या आशय हैं?
उत्तर –फूल खिलता अवश्य है किन्तु एक अवधि के पश्चात् मुरझा भी जाता है अर्थात फूल का अस्तित्व अल्प काल के लिए होता है किन्तु कवि की कविता कालजयी होती है .दीर्घावधि तक उसका अस्तित्व और प्रभाव बना रहता है .
प्रश्न : कविता ,फूल और चिड़िया से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर –चिड़िया की उड़ान की अपनी एक सीमा और फूल के खिलने की एक सीमा है किन्तु कविता किसी भी तरह के बंधन से मुक्त होती है .
(ख) बात सीधी थी पर……
1.
बात सीधी थी पर एक बार
भाषा के चक्कर में
जरा टेढ़ी फैंस गई।
उसे पाने की कोशिश में
भाषा की उलट-पालट
तोड़ा मरोड़ा
घुमाया फिराया
कि बात या तो बने
या फिर भाषा से बाहर आए-
लेकिन इससे भाषा के साथ-साथ
बात और भी पेचीदा होती चली गई।
भावार्थ- कवि अपनी कविता के माध्यम से समाज को सन्देश देने के लिए उद्देश्यपूर्ण कविता लिखना चाहता है .किन्तु समाज के एक विशिष्ट प्रबुद्ध वर्ग से प्रशंसा प्राप्त करने के प्रलोभन में उसने सामान्य जन की समझ से परे प्रबुद्ध वर्ग को केंद्र में रखकर अपनी कविता में जटिल ,कठिन और अलंकृत भाषा का प्रयोग किया जिसके कारण कविता का मूलभाव सामान्य जन की समझ से परे हो गया . कवि को जब इस बात का बोध होता है कि कविता सामान्यजन की समझ से परे हो गई है ,वह कविता को जन सामान्य के स्तर पर लाने के लिए प्रयास करता है किन्तु कवि को लगता है कि ऐसा करने से काव्य का चमत्कार नष्ट हो जायेगा .जन सामान्य और प्रबुद्ध वर्ग दोनों को ध्यान में रखकर शब्द प्रयोग करने से काव्य का कथ्य पहले की तुलना में और भी अधिक जटिल ,कठिन होती चली गई .
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न- ‘भाषा के चक्कर में पड़ने ” से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर –‘भाषा के चक्कर’ से तात्पर्य है-भाषा को क्लिष्ट शब्द प्रयोग से अलंकृत और चमत्कारिक बनाना ।
प्रश्न- जरा टेढ़ी फँस गई ,से क्या आशय है ?
उत्तर – जरा टेढ़ी फँस गई से आशय है कि सामान्य सी बात भाषा के चक्कर में उलझकर जटिल –कठिन हो गई।
प्रश्न – कवि ने बात को पाने के क्या-क्या प्रयास किया?
उत्तर – कवि ने बात को प्राप्त करने के लिए भाषा को उलटा-पलटा, तोड़ा-मरोड़ा घुमाया-फिराया ।
प्रश्न – बात और भी पेचीदा हो गई ,से क्या आशय है ?
उत्तर – बात और भी जटिल होने से आशय है- काव्य का कथ्य पहले की तुलना में और भी अधिक जटिल ,कठिन हो जाना .
2.
सारी मुश्किल को धैर्य से समझे बिना
में फेंच को खोलने की बजाय
उसे बेतरह कसता चला जा रहा था
क्योंकि इस करतब पर मुझे
साफ सुनाई दे रही थी
No Comments