गीत-3 1 मैं नीरभरी दुःख की बदली! स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा, क्रन्दन में आहत विश्व हँसा, नयनों में दीपक से जलते पलकों में निर्झरिणी मचली!’…
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गीत-3 1 मैं नीरभरी दुःख की बदली! स्पन्दन में चिर निस्पन्द बसा, क्रन्दन में आहत विश्व हँसा, नयनों में दीपक से जलते पलकों में निर्झरिणी मचली!’…