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sarojini naidu – nightingale of india in hindi

February 12, 2017
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भारत कोकिला -सरोजिनी नायडू 

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भारत कोकिला -सरोजिनी नायडू 
१३ फरवरी ,१८७९ 
जन्म दिन पर विशेष

१८७९- वह समय जब भारतीय नारी को चहार दीवारियों में कैद चूल्हा फूकनेवाली और बच्चे पैदा करने वाली मशीन समझा  जाता था।

अन्तर्जातीय जातीय विवाह किसी अपराध से कम  न समझ जाता था , उस समय घर की चहार दीवारियों से बाहर निकलकर जिस नारी ने  साहित्य और राजनीति में अपनी पहचान बनाकर प्रमाणित किया कि  थोड़ा सा भी साहस हो तो विपरीत स्तिथियों को अपने अनुकूल बनाया जा सकता है ,ऐसा अदम्य साहस दिखलानेवाली नारियों में एक  नाम है -सरोजनी नायडू। जो कालांतर में अपनी साहित्य सेवा से भारत कोकिला के नाम से  प्रख्यात हुई और स्वतन्त्रता  प्राप्ति के पश्चात् उत्तर प्रदेश की राज्यपाल  का पद पाकर देश की प्रथम महिला राज्यपाल होने का सम्मान प्राप्त किया।
कहते है घर का वातावरण और संस्कार बच्चों पर भी प्रभाव डालता है ,यह बात सरोजनी के बचपन पर चरितार्थ होती है। पिता अघोरनाथ चट्टोपाध्याय गणित और विज्ञानं के विद्वान् थे तो माता को काव्य लेखन में रूचि थी।पिता चाहते थे कि  सरोजिनी  विज्ञानं के क्षेत्र में अपनी पहचान बनाये और माँ  चाहती थीं  कि  बेटी साहित्य सेवा करें।

सरोजिनी ने काव्य क्षेत्र चुनकर माँ का मनोरथ पूर्ण किया। सरोजिनी बचपन से ही कविताएं  लिखने लगी थी। सरोजिनी ने रूचि भले माँ की चुनी किन्तु  स्वभाव पिता का लिया -शांत और गंभीर।
 सरोजिनी ने तेरह वर्ष की आयु में तेरह सौ पंक्तियों की काव्य रचना लिख डाली। सरोजिनी काव्य गुण  सभी को अचंभित कर देता था।
मद्रास यूनिवर्सिटी से मेट्रिक परीक्षा उत्तीर्ण कर सरोजिनी को उच्च शिक्षा के लिए इंग्लैंड भेज गया। इसी दौरान एडमंड गूंज से संपर्क हुआ। उन्ही ने सरोजिनी को काव्य के गुर सिखलाये।१८९८ में  भारत लौटी।डॉ गोविन्द राजलु नायडू  से परिचय हुआ ,जो विजातीय थे। दोनों विवाह करना चाहते थे किन्तु उन दिनों अंतरजातीय विवाह लोक मर्यादा के विरूद्ध माना जाता है। पहले तो विरोध हुआ, किन्तु विरोध के बावज़ूद दोनों ने विवाह कर लिया और इस तरह सरोजिनी चट्टोपाध्याय अब श्री मती सरोजिनी नायडू बन गयी   ।
सरोजिनी का राजनितिक जीवन लगभग २४ वर्ष की आयु में प्रारम्भ हुआ। १९०२ में कलकत्ता में दिए गए भाषण से तात्कालिक नेता गोपाल कृष्ण गोखले बहुत प्रभावित हुए और उनहोनर सरोजिनी को राजनीती में सक्रियता से जुड़ जाने के लिए प्रेरित किया।
यह वह दौर था जब पूरे भारत में स्वतंत्रता प्राप्ति  के प्रयास हो रहे थे। एनी बेसेन्ट  ने स्वतंत्रता प्राप्ति के इस आंदोलन में महिलाओं की सहभागिता का आह्वान किया। सरोजिनी ने भी इस आंदोलन का हिस्सा बनने का निश्चय कर लिया और हैदराबाद से बम्बई आ गयी ,उस समय के शीर्ष नेताओं से संपर्क किया। धीरे -धीरे गाँधीजी से निकटता बढती गयी और रणनीतिक सक्रियता भी।
१९१९ में हुए जलियावाला बाग कांड से क्षुब्ध सरोजिनी ने १९०८ में मिला केसर -ए -हिन्द का ख़िताब लौटकर अंग्रेजी हुकूमत के प्रति अपना क्रोध प्रकट किया। सरोजिनी गांधीजी से अत्यधिक प्रभावित थी ,१९१४ में उन्होंने लन्दन में  गांधीजी से मुलाकात की थी।
 सरोजिनी की भाषण कला में अद्भुत आकर्षण और प्रभाव होता था। १९२७ में कानपूर में हुए इंडियन नेशनल कांग्रेस के सम्मलेन की अध्यक्ष चुनी गयी। नमक कानून तोड़ने को लेकर कांग्रेस ने आंदोलन प्रारम्भ किया ,स्वयं सरोजिनी ने सत्याग्रही सेना का नेतृत्व और धारा  सभा के सामने प्रदर्शन किया। यह पहला अवसर था जब किसी महिला ने इस तरह के आंदोलन का नेतृत्व किया था। सरोजिनी को गिरफ्तार कर लिया गया।

Hindi Hindustaniगोलमेज़ सम्मलेन में भाग लेने गए गांधीजी केसाथ सरोजिनी भी उनके साथ गयी थी। सरोजिनी की कार्य के प्रति कर्मठता ,सक्रियता  और तत्परता देखकर ही उन्हें अखिल भारतीय एशिया सम्मलेन का अध्यक्ष चुना गया। सरोजिनी का  स्वास्थ्य ठीक नहीं रहने लगा था जिसके कारण न चाहते हुए भी  अधिकांश समय बिस्तर पर बिताना पड़ता था।   १९४२ में जब भारत छोडो आंदोलन शुरू हुआ तो सरोजिनी ने स्वास्थ्य ठीक न होते हुए भी आंदोलन में हिस्सा लिया और गिरफ्तार हुई।इससे पूर्व भी सरोजिनी १९३२ में भारत की प्रतिनिधि बनकर गाँधी जी के दक्षिण अफ्रीका जा चुकी थी।

१५ अगस्त ,१९४७ को स्वतन्त्रता प्राप्ति के पश्चात् जवाहर लाल नेहरू के आग्रह पर उन्हें उत्तर प्रदेश का राज्यपाल नियुक्त किया गया। इस तरह उन्हें स्वतंत्र भारत की पहली महिला राज्यपाल का सौभाग्य प्राप्त हुआ।

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 कवयित्री के रूप में उनका पहला काव्य संग्रह द  गोल्डन थ्रेश होल्ड (१९०५),बर्ड ऑफ़ टाइम (१९१२ ),द  ब्रोकन विंग (१९१७ )और काव्य संग्रह द सेप्टर्ड फ्लूट (१९३७ ) में प्रकाशित हुए। काव्य संग्रह द  गोल्डन थ्रेश होल्ड (१९०५)को इंग्लैंड  से प्रकाशित पत्र लन्दन टाइम और मेनचेस्टर गार्ड्यन से प्रशंसा प्राप्त हुई।
सरोजिनी को  अंग्रेजी के अतिरिक्त हिंदी ,बंगला और गुजराती भाषा का भी अच्छा ज्ञान था।
 १३ फरवरी ,१९६४ को उनके सम्मान में १५ पैसे का डाक टिकट जारी किया।

पारिवारिक पृष्ठभूमि –
नाम -सरोजिनी चट्टोपाध्याय
         सरोजिनी नायडू -(विवाहोपरांत )
जन्म -१३ फरवरी ,१८७९
जन्म स्थान -हैदराबाद ,आन्ध्र प्रदेश
पिता -अघोरनाथ चट्टोपाध्याय
माता -वरदा सुन्दरी
पति -एम्. गोविन्द राजूनु
संतान -जय सूर्य ,पद्मजा ,लीक मणि ,रणधीर
सम्मान -केसर -ए – हिन्द
मृत्यु -२ मार्च ,१९४९

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