दफ्तर बंद होने से कुछ देर पहले सुजाता मेरी टेबल के समीप आयी और कहने लगी -मैं चार दिन की लीव पर हूँ … दिल्ली जा रही हूँ
मैंने पूछा -अचानक कैसे ?
सुजाता ने कहा -भैया खुद यही आ रहे थे रक्षा -बंधन पर लेकिन अचानक ज़रूरी काम आ जाने के कारण आना कैन्सिल हो गया इसलिए मुझे ही दिल्ली जाना पड़ रहा है। रक्षा -बंधन का त्यौहार हो और मैं अपने भैया की कलाई पर राखी ना बांधू ,ऐसे -कैसे हो सकता है ?इस बार छुट्टियाँ ज्यादा नहीं है इसलिए जल्दी लौट आउंगी।
आश्चर्य से मेरे मुँह से निकल गया -सिर्फ एक धागा बांधने के लिए तुम इतना लंबा सफर करके चैनई से दिल्ली जा रही हो ?
तुम नहीं समझोगे विश्वास ,मैं एक बहिन हूँ और एक बहिन के लिए रक्षा -बंधन का त्यौहार कितना खास होता है ,यह एक बहिन ही जान सकती है।
इतना कहकर वह चली गयी।
आज रक्षा बंधन की छुट्टी थी। घर से बाहर जाने का मन नहीं हो रहा था। मन उदास था ,क्यों पता नहीं। मैं दोनों हथेलियों के बीच सिर रखकर बैठ गया।
भाई ,क्या सोच रहे हो ?बहिन के बारे में ?यही सोच रहे थे ना कि मेरी अपनी कोई बहिन होती तो वह तुम्हे राखी बाधने आती। रक्षा बंधन पर उन सभी भाइयों की कलाई पर राखी बंधी होंगी ,जिनकी बहिनें है। बस ,एक मैं ही बदनसीब हूँ जिसकी कलाई सूनी है।
इस आवाज़ को सुनकर मैं चौक उठा था। इस घर में मेरे अलावा और कोई नहीं ,फिर आवाज़ किसकी ?मैंने नज़रें दौड़ाकर इधर -उधर देखा ,कोई ना था। फिर …फिर ,यह आवाज़ कैसी ?मेरी हालात हॉरर टीवी शो के पात्र की तरह हो गयी.एक बार तो ऐसा लगा जैसे सारा शरीर निष्प्राण हो गया हो।
डरो मत ,बंटी ,मैं तेरी बहिन हूँ। ….. और कोई भाई भला अपनी बहिन से डरता है ?
लेकिन मेरी अपनी तो कोई बहिन नहीं । …. मैं अपने माता -पिता की इकलौती संतान हूँ , . मैंने साहस दिखाते हुए कहा।
जानती हूँ ,लेकिन तू इकलौता नहीं है। तेरी अपनी एक बहिन भी है .. ओह है नहीं ……. ,थी। तू मुझे नहीं जनता ,लेकिन मैं तुझे जानती हूँ। तू मुझे जानेगा भी कैसे ? तू तो तब पैदा भी नहीं हुआ था।
मैं कुछ समझ नहीं पा रहा हूँ ,मैंने कहा।
तू बैठ ,बंटी ,आराम से बैठ ,मैं समझाती हूँ तुझे , … याद कर २८ फरवरी को जब तू सड़क पार कर रहा था ,सामने से तेज रफ़्तार से आती हुई कार से तू कैसे बचा था ? किसने बचाया था तुझे ? तेरी इस बहिन ने।
मेरी आँखे फटी की फटी रह गयी। ये सब ….
फिर आवाज़ आयी -चौक मत ,बंटी …. और याद दिलाती हूँ तुझे। पिछले साल जब तू अपने दोस्तों के साथ पिकनिक पर जाने वाला था। जैसे ही तू अपने दोस्तों के पास जाने के लिए निकाला था ,अचानक पीछे से एक धक्का लगा था तुझे ….. ,तू सिर के बल गिरा और तुझे सिर में चोट लगी थी। तेरा अपने दोस्तों के साथ पिकनिक पर जाना कैन्सिल हो गया था।जिस कार से तेरे वे दोस्त पिकनिक जा रहे थे ,उस कार का एक्सीडेंट हो गया था। उस एक्सीडेंट में तेरे दोस्त मारे गए थे। तू कैसे बच गया ,ये तुझे पता नहीं ,लेकिन मैं जानती हूँ।
ये सब सुनकर मैं हैरान था।
फिर वैसी ही आत्मीयता भरी आवाज़ आयी -मैं बताती हूँ तुझे। सुन ,इस घर में तुझसे पहले मैं आने वाली थी।
जब मैं माँ के पेट में ही थी। पापा ने मुझे जन्म लेने से पहले ही मरवा दिया। पापा नहीं चाहते थे कि उनके घर में कोई बेटी पैदा हो।
माँ बेचारी भेड़ की तरह विवश -लाचार बनकर चुप -चाप देखती रही। माँ तो मेरे रोने की आवाज़ भी नहीं सुन पाई और ना मेरा चेहरा देख पाई थी । उसे तो ये भी मालूम नहीं कि मेरा चेहरा कैसा था।
डॉक्टर अंकल भी मुझे मारना नहीं चाहते थे ,लेकिन पैसे के लोभ में वे भी मेरी हत्या में शामिल हो गए।
पापा अपने इस फैसले से तो खुश थे ही ,दादी भी बहुत खुश थी।
मुझे तो ये कहने का भी मौका नहीं दिया गया कि आखिर मुझे मारा क्यों गया ?क्या कसूर किया था मैंने ?
हत्या की गयी की गयी थी मेरी। उसी हास्पिटल में जहाँ बड़े -बड़े अक्षरों में लिखा था -कन्या -भूण हत्या पाप है ,यहां लिंग परीक्षण नहीं किया जाता है। यह कानूनी अपराध है।
हत्या हुई लेकिन कोई अपराधी साबित नहीं हुआ।
पापा जब तक ज़िन्दा रहे समाज के इज्जत दार लोगो में इज्जत पाते रहे।
मैं अब तक काफी हद तक सहज हो चुका था
मैंने पूछा -क्यों किया पापा ने ऐसा ?आखिर क्यों नहीं चाहते थे पापा कि उनके घर में बेटी पैदा हो ?
उत्तर में आवाज़ आयी -कोई एक कारण तो मैं भी नहीं जानती ,लेकिन इतना ज़रूर जानती हूँ कि डर गए थे पापा
मैंने पूछा -किस बात का डर था पापा को ?
आवाज़ आयी -आज का पिता किसी एक बात से नहीं कई बातों से डरा हुआ है –
सोचता है कि कही उसकी बेटी को दहेज़ के लोभी मार तो नहीं देंगे ?
सोचता है -कही उसकी बेटी किसी यौन शोषण या सामूहिक बलात्कार की शिकार तो नहीं हो जाएगी ?
और ये मिडिया वाले अपनी TRP rank बढ़ाने के लिए आधे सच में आधा झूठ मिलाकर सहानुभूति कम और बदनाम ज्यादा कर देंगे।
पापा शायद इस बात से भी डरते होंगे कि कही मैं बड़ी होकर उनकी जाति और धर्म से भिन्न जाति -धर्म वाले युवक से शादी ना कर लू वरना उनकी इज्जत धूल में मिल जाएगी और मुँह पर कालिख पूत जाएगी।
पापा भी उन रूढ़ि वादी ,अंध विश्वासी ,दकियानूसी और संकीर्ण मानसिकता रखने वाले लोगों में से एक थे ,जो यह मानते है कि पुत्र से वंश चलता है ,पुत्री से नहीं। .. , पिता को मोक्ष तभी मिलता है जब पुत्र मुखाग्नि देता है।
भाई ,देश में बेटियों के साथ जो रहा है ,उसे देखकर तो कभी -कभी मुझे भी लगता है कि शायद पापा ने मुझे पैदा होने से पहले मारकर सही किया।
भाई ,मुझे या मेरी जैसी बेटियों को मारने वाले उतने बुरे नहीं लगते जितने बुरे वे लोग लगते है जो ये सब
करके भी ये कहते है -यत्र नार्यस्तु पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता।
जब मुझे यह मालूम हुआ कि मैं उस देश में पैदा होने जा रही हूँ ,जहाँ नारी को सीता ,दुर्गा ,पार्वती देवी की तरह पूजा जाता है ,मैं बहुत खुश हुई थी। लेकिन यह देश तो वह देश है जहाँ बेटी को बेटी के रूप में भी स्वीकार नहीं किया जाता।
यदि हर पिता बेटे की चाह में बेटियों को मारते रहे तो क्या होगा ?
हर घर में पाँच बेटों के बीच एक बहू होंगी यानि हर घर में एक द्रोपदी होगी। रक्षा -बंधन का त्यौहार भी आएगा ,कलाइयां भी होगी लेकिन कलाइयों पर राखी बाँधनेवाली बहिने नहीं होगी।
भाई ,बहुत बात हो गयी। अब जा रही हूँ मैं …. एक बार कुछ पल के लिए अपनी आँखे बंद कर लो।
मैंने बंद कर ली। ….
कुछ देर बाद आँख खोलकर देखा , कलाई पर राखी बंधी थी ,जिसे शायद आप ना देख सके ,लेकिन में देख पा रहा था।
अब समझ पा रहा था कि क्यों सुजाता रक्षा बंधन पर अपने भाई के पास जाने के लिए व्याकुल हो रही थी।
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