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quotes on valentine day in hindi

February 14, 2017
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वेलेंटाइन डे

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वेलेंटाइन डे पर विशेष 

Hindi Hindustaniपोथि पढ़ि –  पढ़ि  जग मुआ ,पंडित भयों ना कोई
ढाई आखर प्रेम का ,पढ़ै सो पंडित होय -कबीर

 
 
प्रेम चतुर व्यक्ति के लिए नहीं ,वह तो शिशु से सरल ह्रदय की वस्तु है -जय शंकर प्रसाद 

 

 

 
 
 
 
 
 
 
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मैं  तुम्हे नई आज्ञा देता हूँ कि  तुम परस्पर एक दूसरे से प्रेम करो -बाइबिल


परमात्मा प्रार्थना का नहीं ,प्रेम का भूखा  है -दयानद सरस्वती

 



प्रेम के अतिरिक्त तू और ईश्वर को ना मान -मूसा


प्रेम करनेवाला पडोसी दूर रहनेवाले भाई से कहीं ज्यादा अच्छा है -चाणक्य

दूसरों से प्रेम करना स्वयं  अपने साथ प्रेम करने के तुल्य है -इमर्सन


संसार को प्रेम से अधीन किया जा सकता है ,युद्ध से नहीं -हीगेल



 प्रेम के पथ पर कायर नहीं चल सकते। प्रेम का अनुमोदन बलिदानी ही कर सकते है-जय शंकर प्रसाद

प्रेम ही स्वर्ग का मार्ग है और मनुष्यता का दूसरा नाम। समस्त प्राणियों से प्रेम करना ही सच्ची मनुष्यता है -गौतम बुद्ध

 
प्रेम मानवता का दूसरा नाम है -गौतम बुद्ध

व्यक्ति प्रेम  देता है ,लेता नहीं –    कृपा शंकर शास्त्री

प्रेम आँखों से नहीं मन से देखता है -शेक्सपीयर

प्रेम कोयले के सदृश्य है जिसे ठंडा किया ही जाना चाहिए ,नहीं तो यह ह्रदय को जल देगा -शेक्सपीयर

एक दूसरे से ऐसे प्रेम करो,जैसे गाय अपने बछड़े से कराती है -अथर्ववेद
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प्रेम की कोई जाति  नहीं ,कोई धर्म नहीं ,कोई भाषा नहीं ,विचार -विवेक और अच्छाई -बुराई का भी ज्ञान  नही -शरत चंद्र

प्रेम और वासना में उतना ही अंतर है जितना कंचन और काँच  में -प्रेमचन्द

जिस ह्रदय से प्रेम निकल गया ,वह अस्थि चर्म का ढेर भर रह जाता है –प्रेमचन्द

प्रेम की दीक्षा बिना जीवन नीरस उत्साहहीन ,निराश ,और नकारात्मक विचारों से घिरा रहता है -प्रेम चंद 



प्रेम वह हथियार है ,जिसका वार कभी खली नहीं जाता -गुरु रामदास
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प्रेम में हम सब समान  रूप से मूर्ख है -गेटे


ज्ञान के शीतल प्रकाश में प्रेम का पौधा कभी नहीं उगता -कांट

प्रेम आत्मा से होता है ,देह से नहीं -भगवती चरण वर्मा

प्रेम ईश्वर का सर्वश्रेष्ठ वरदान है -वाल्टेयर

प्रेम स्थान और समय की सीमा से पर है ,प्रेम निरंकुश है -विवेकानन्द
प्रेम की सत्ता असीम है ,जिसमे सारे जीवों का कल्याण निहित है –विवेकानन्द

प्रेम का स्पर्श पाकर हर कोई कवी बन सकता है -अफलातू
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जो प्रेम से नहीं सुधर सकता ,वह किसी से भी नहीं सुधर सकता -सुकरात


प्रेम कभी दावा नहीं करता ,वह हमेशा देता है -महात्मा गाँधी
मनुष्य को अपनी ओर खींचने वाला यदि दुनिया  कोई है तो वह है प्रेम -महात्मा गाँधी


प्रेम की शक्ति दंड की शक्ति से भी हज़ार गुना प्रभावशाली और स्थायी होती है – -महात्मा गाँधी

प्रेम करनेवाला व्यक्ति कभी उद्दंड ,अत्याचारी और स्वार्थी नहीं हो सकता –महात्मा गाँधी

इष्ट -मित्रों से प्रेमपूर्वक  मिलना ,उन्हें भोजन के लिए आमन्त्रित करना ,स्नेह और प्रेम बढ़ानेवाला है -हज़रत मुहम्मद


जो प्रेम अपने नित्य नवीन  नहीं रखता ,वह पहले आदत करूप धारण कर लेता है और दासता में परिवर्तित हो जाता है -खलील ज़िब्रान
प्रेम के बिना जीवन एक ऐसे पेड़ के समान है ,जिस पर ना कोई फूल हो और ना कोई फल। -खलील ज़िब्रान

खूब किया मैंने प्रेम दुनिया से और दुनिया ने मुझसे। तभी तो मेरी सब मुस्कराहटे उनके होठो पर थी और उनके सब आंसू मेरी आँखों में -खलील ज़िब्रान


विशुद्ध प्रेम स्वार्थलिप्त नहीं होता -अज्ञात 
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प्रेम में अनुरक्त व्यक्ति कभी किसी पर अत्याचार नहीं कर सकता -विनोबा भावे 

प्रेम ऐसा तत्व है जिसके अनेक रूप है। अभिभावक रूप में वात्सल्य और ममता ,गुरु और बड़े-बूढों के रूप में आशीर्वाद ,छोटों के रूप में स्नेह और समकक्ष के रूप में शुभकामना है -महादेवी वर्मा 




प्रेम के दो  लक्षण है -पहले बाहरी संसार को भूल जाना और दूसरा अपने आप को भी भूल जाना

प्रेम सब अपराधों को क्षमा कर देता है -बाइबिल

दंड देने का अधिकार केवल उन्ही को है जो प्रेम करते है -रवींद्र नाथ ठाकुर

प्रेम से परिपूर्ण व्यक्ति का ह्रदय विशाल ,विचार पवित्र ,भाव उच्च और क्रियाएं मर्यादित होती है –रवींद्र नाथ ठाकुर

प्रेम ही कर्म है ,प्रेम ही कर्म है ,प्रेम ही पूजा है ,प्रेम ही सिद्धान्त है ,प्रेम ही व्यवहार है प्रेम ही कर्तव्य है ,प्रेम में ही सम्पूर्ण ब्रह्माण्ड समय हुआ है -रामानुजाचार्य 

प्रेम परमार्थ है ,जहाँ स्वार्थ है वह प्रेम नहीं -अज्ञात 


कभी किसी से अत्यधिक प्रेम भी ना करो और सर्वथा प्रेम का आभाव भी ना रहने दो ,क्योकि दोनों में ही दोष है ,अतः मध्यम स्तिथि ही श्रेष्ठ है -वाल्मीकि रामायण 


प्रेम में  वह जुनून और त्याग  हैभाव है ,जो दुर्जन को भी सज्जन बना दे -हज़ारी प्रसाद द्विवेदी 

प्रेम ही वह दिव्य आकर्षण है जो मृत्य को दिव्य और क्षुद्र को विराट बनाता है -जैनेंद्र 

वास्तव में हम जीते तो तभी तक है जब तक एक दूसरे से प्रेम करते है और उस प्रेम को सजीव और प्राणमय बनाये रखते है -भगवती प्रसाद वाजपेयी 

प्रेम में मग्न व्यक्ति के पास कुछ हो तब भी और कुछ न हो तब भी मस्त रहता है। ऐसा व्यक्ति संसार के अधीन नहीं बल्कि संसार उसके अधीन रहता है -स्वामी रामतीर्थ 

प्रेम प्राप्त करना चाहते हो तो दूसरो से प्रेम करना सीखो ,प्राप्त प्रेम को  बांटना सीखो। प्रेम को जितना बांटोगे ,उतना ही बढेगा – स्वामी रामतीर्थ

कृत्रिम प्रेम बहुत दिनों तक नहीं टिक सकता। स्वाभाविक प्रेम की नक़ल नहीं की जा सकती – स्वामी रामतीर्थ


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