pravasi bhartiy diwas-nri
प्रवासी भारतीय दिवस
भारत सरकार के विदेश मंत्रालय द्वारा प्रति वर्ष तीन दिवसीय कार्यक्रम भारत के किसी प्रमुख नगर में आयोजित किया जाता है। वर्ष २००३ से इस तरह का कार्यक्रम होता आ रहा है। इस कार्यक्रम में किसी एक भारतीय को उसकी विशिष्ट उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया जाता है। इस तरह के के आयोजन का श्रेय लक्ष्मी मल सिंघवी को दिया जाता है क्योकि इस विचार का अभ्युदय सर्व प्रथम लक्ष्मी मल सिंघवी के मन में हुआ था।
प्रत्येक वर्ष ९ जनवरी को प्रवासी भारतीय दिवस ( PBD) मनाया जाता है। ९ जनवरी को ही महात्मा गाँधी दक्षिणी अफ्रीका से भारत लौटे थे।इस दिवस को प्रवासी भारतीय दिवस ( PBD) के रूप में मानाने की मान्यता ९ जनवरी को प्राप्त हुई थी। प्रवासी भारतियों को दो वर्गों में बाँट कर देखा जा सकता है ,एक वर्ग वह जो जिसने अपनी बौद्धिक कुशलता से विदेशों में अपनी जगह बनाकर पैर जमाये और दूसरा वह जो अपने शारीरिक श्रम से पहचाना जाता है। दुनिया भर में ३ करोड़ भारतीय है,जो दुनिया के करीब २८ देशों में बसे हुए है। दुनिया का सबसे बड़ा DIASPORAभारतवासियों का ही है। बौद्धिक क्षमता वाला एक बड़ा वर्ग पश्चिमी देशों में में है जबकि एशियाई देशों में अधिकांश श्रमिक वर्ग है।
अकेले अमेरिका में ही भारतियों की संख्या 17 lakh है जो कुल प्रतिशत का 0.0६ % के लगभग है ..अमेरिका में कुल डॉक्टर्स ,इंजीनियर्स और वैज्ञानिको की संख्यां का आधे के लगभग भारतियों का ही आधिपत्य है।नासा में कुल वैज्ञानिकों की संख्या में ३०-३५ % भारतीय वैज्ञानिक है। कम्प्यूटर क्षेत्र की शीर्ष माने जानेवाली माइक्रोसॉफ्ट ,आई.एम.बी और इन्टेल कम्पनियों में भारतियों का ही बोलबाला है। लगभग सौ कम्पनियाँ भारतीय मूल के स्वामित्व वाली है।श्रेष्ठता का प्रमाण पस्तुत करने के लिए भारतियों की यह उपलब्धि पर्याप्त है। किसी भी देश का नागरिक उस देश का अक्स होता है। प्रवासी भारतियों में भारत की छवि देखी जा सकती है।
दुनिया के विभिन्न देशो में भारतीय की अनुमानित संख्या
भारतियों की संख्या सबसे ज्यादा खाड़ी देशों में है ,जो लगभग २५ -३० लाख के बीच हो सकती है। उसके बाद अमेरिका में है जो १७ लाख के लगभग है।ब्रिटेन में दस लाख ,भारतीय मूल के लोग रहते है। दक्षिण पूर्व एशिया में मूल के लोगों की संख्या लगभग १४ लाख है। अफ़्रीकी महाद्वीप के लगभग १४ लाख भारतीय मूल के लोग है उनमे से १० लाख दक्षिण अफ्रीका में है।सऊदी अरब में लगभग १८ लाख भारतीय है। कैरेबियाई द्वीप में भारतियों की संख्यां दस लाख के लगभग है। अनुमान के अनुसार कनाडा में डेढ़ लाख , त्रिनाड में पांच लाख ,गुयाना में तीन लाख ,सूरीनाम में १,५० लाख ,यमन में १-१.५० लाख ,सिंगापूर में छह लाख ,आस्ट्रेलिया में चार लाख ,फ्रांस में ढाई से तीन लाख ,बेहरीन में तीन लाख ,कुवैत में छह लाख ,क़तर में पांच लाख मॉरीशस में ७-८ लाख ,ओमान में ५-५.५० लाख ,नेपाल में पांच – छह लाख ,मयम्मार में ३ -३. ५० लाख ,फिजी में तीन लाख भारतीय बसे हुए है। (दर्शाए गए आंकड़े अनुमानित है.)
बॉबी जिंदल ,आनंद सत्यानंद ,कीथ वाज़ ,ढोलकिया , राम सर्द जोई ,एस.आर.नाथन ,भरत जगदेव ,अनिरुद्ध जगन्नाथ ,नवीन राम गुलाम ,महेन्द्र चौधरी ,जोसेफ मुरुम्बी ,कमला प्रसाद ऐसे भारतीय मूल के मणि रत्न है जिन्होंने विभिन्न देशों के राजनितिक -प्रशासनिक पदों पर आसीन होकर भारत माता को अपनी अपनी संतान होने का गर्व प्रदान किया। इसके अतिरिक्त राजी गुप्ता ,विनोद धाम ,प्रेमजी अज़ीम ,समीर भाटिया ,अरुण नेत्रवाली ,संजय तेजवारिका ,रजत गुप्ता , राना तलवार ,ऐसे नाम है जिन पर जिन पर हर भारतीय गर्व कर सकता है।
वैश्विक समुदाय के के साथ भारतीय बड़ी आसानी से स्वयं को समायोजित कर सकने की विशेषता के कारण अपना प्रभुत्व बनाये हुए है। बौद्धिक क्षमता के साथ -साथ ईमानदार परिश्रम ,आत्मानुशान ,शांत स्वाभाव और अनावश्यक विवादित मामलों से स्वयं को पृथक रखना ,ये भारतियों के ऐसे गुण है ,जिसके कारण विजातीय समुदाय को भारतियों के प्रति किसी अन्य अप्रिय भाव को उत्पन्न नहीं होने देते। सहिष्णुता हम भारतियों के रक्त में है।भारतीय जहाँ भी रहेगे अपने देश की मिटटी की सुगंध से उस देश की मिटटी को सुगन्धित बना देंगे।प्रवासी भारतियों के कारण ही भारतीय संस्कृति के सतरंगों की छटा विदेशी धरती पर भी देखी जा सकती है।हालांकि अपनी मिटटी अपने पानी से दूर रहने की पीड़ा सालती जरूर है ,विशेष रूप से जब उस देश की कानून व्यवस्था के कारण निजी स्वतन्त्रता की अभिव्यक्ति में खलल पड़ता है या आत्म-सम्मान को ठेस पहुँचती है।अपनों से दूर होने का दर्द टीस मारता तो है लेकिन आर्थिक लाभ का सुख उस पीड़ा को भूला देता है।कुछ पाने के कुछ तो खोना ही पड़ेगा। दुःख -तकलीफ यहाँ भी तो ,वहाँ भी बस , दुःख -तकलीफ की शक्ल बदल जाती है। कहीं तो समझौता करना पड़ेगा। कोरी भावुकता से तो ज़िन्दगी की ज़रूरतें पूरी नहीं हो जाती ?हर सुख थोड़ा त्याग -थोड़ा मूल्य तो मांगता ही है।
अब तक संपन्न हुए आयोजन –
२००३ – जन ९-११. (नई दिल्ली ) ,२०० ४ -जन ९-११ . (नई दिल्ली ), २००५ जन. ७-९ (मुम्बई ) २००६ जन. ७-९ (हैदराबाद ) ,२००७ जन. ७-९ (नई दिल्ली ) ,२००८ जन. ७-९ (नई दिल्ली ), २००९जन. ७-९ (चैन्नई ) २०१० जन. ७-९ (नई दिल्ली ) ,२०११जन. ७-९ (नई दिल्ली )२०१२जन. ७-९ (जयपुर ) ,२०१३जन. ७-९ (कोच्चि )२०१४ जन. ७-९ (नई दिल्ली ) ,२०१५ जन. ७-९ (गाँधी नगर ) ,२०१६जन. ७-९ (नई दिल्ली ) , वर्ष २०१७ जन. ७-९(बंगलुरु )
KEYWORD- INDIAN DIASPORA ,NRI
इस वर्ष १६ वा प्रवासी भारतीय दिवस ( PBD) २०१८ का दो दिवसीय सत्र ६ से ७ जनवरी को सिंगापुर के marina bay sand में आयोजित किया जा रहा है। इस वर्ष का विषय होगा -ancient route ,new journey :diaspora in the dynamic ASEAN INDIA Partnership .भारत की विदेश मंत्री सुषमा स्वराज इस कार्यक्रम की मुख्य अतिथि होंगी ।सिंगापुर के deputy prime minister TEO CHEE HEANइस कार्यक्रम में हिस्सा लेंगे।
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