पंचलाइट- फणीश्वर नाथ रेणु
Class-12, UP बोर्ड,सामान्य हिन्दी ,कथा साहित्य
कहानी के प्रमुख पात्र
गोधन – कथा नायक , जो मुनरी से प्रेम करता है,मुनरी गोधन की प्रेयसी और गुलरी काकी की बेटी है , गुलरी काकी- मुनरी की माँ,जिसके कहने पर गोधन पञ्च लाइट जलाने के लिए मान जाता है , सरदार- यह महतो टोले का मुखिया है , कनेली -यह मुनरी की सहेली,जो मुनरी की बात सरदार तक पहुंचाती है , अगनू महतो — महतो टोला की पंचायत का छड़ीदार है,दीवान, फुटंगी झा,रूदल साह,मूलगैन कथा के अन्य सहायक पात्र है
पंचलाइट (पेट्रोमैक्स)
कथा सार
फणीश्वरनाथ रेणु ने अपनी इस आँचलिक कहानी पंचलाइट में जाति के आधार पर अलग-अलग टोले में बंटे हुए लोगों की परस्पर विद्वेष भावना , रूढ़िवादिता, देहाती जीवन की सरलता एवं अज्ञानता को चित्रित किया है । रेणुजी ने इस तथ्य को रेखांकित करने का प्रयास किया है कि आवश्यकता किस प्रकार मनुष्य के संस्कार तथा निषेध को भी अनावश्यक सिद्ध कर देती है.
यह कहानी बिहार के ग्रामीण परिवेश के गिर्द घूमती है। गाँव के एक युवक गोधन का मुनरी नामक लड़की से प्रेम है जिससे नाराज़ होकर पंचायत ने उसका बहिष्कार कर रखा है। एक दिन मेले से गाँव वाले सार्वजनिक उपयोग के लिये पेट्रोमैक्स ,जिसे वहाँ के लोग पंचलाइट या पंचलैट कहते हैं, खरीद कर लाते हैं। सभी उत्साह में हैं लेकिन तभी पता चलता है कि इसे जलाना तो किसी को आता ही नहीं। गाँववालों के भोलापन और पेट्रोमैक्स जलाना न आने के कारण हास्य की स्थिति पैदा होती है। दूसरे गाँव के लोग उपहास करने लगते है। तब मुनरी अपनी सहेली के माध्यम से पंचों से कहलवाती है कि गोधन को आता है पंचलाइट जलाना। पंच लोग दूसरे गाँव से पंचलाइट जलाने के लिये किसी को बुलाने की बेइज्ज़ती से बचने के लिये अंततः गोधन को माफ कर देते हैं और उसका हुक्का-पानी बहाल कर दिया जाता है। और उसे सनीमा का गाना गाने की छूट भी मिल जाती है।
गाँव में अलग-अलग जातियां अलग-अलग टोला बनाकर रहती हैं। इन्ही टोलों में एक टोला है -महतो टोला ।
महतो टोला के पंचों ने पिछले पन्द्रह महीने से दण्ड-जुर्माने की जमा राशि से रामनवमी के मेले से इस बार पंचलाइट खरीदी।
पंचलाइट खरीदने के पश्चात् बचे दस रुपए से पूजा की सामग्री भी खरीदी ।
मेले से पंचलाइट की खरीदारी के बाद महतो टोले के लोग गाँव की ओर लौटे, जिनमें सबसे आगे अगनू महतो पंचलाइट का डिब्बा माथे पर लेकर आ रहा था और उसके पीछे-पीछे सरदार, दीवान और पंच लोग थे।
जैसे ही महतो टोले के लोग गांव में घुसे ,रास्ते चलते ब्राह्मण टोले के फुटंगी झा ने व्यंग्य करते हुए पूछा -कितने का ख़रीदा लालटेन ?
पंचलाइट देखने के लिए टोले के सभी बच्चे, औरतें एवं मर्द एक जगह एकत्रित हो चुके थे । सरदार ने अपनी पत्नी से पूजा की व्यवस्था करने के लिए कहा।
टोले की पंचायत में पंचलाइट आने से टोले के बच्चे, औरतें और अन्य सभी लोग बेहद खुश हैं। लोग पंचलाइट को किसी भी प्रकार का नुकसान न पहुँचा दें ,यह सोचकर पंचायत का छड़ीदार अगनू महतो सभी लोगों को पंचलाइट से दूर रहने की चेतावनी देता है ।
टोले की कीर्तन-मंडली के मूलगैन ने अपने भगतिया पच्छकों को समझाकर कहा, देखो, आज पंचलैट की रोशनी में कीर्तन होगा. बेताले लोगों से पहले ही कह देता हूं, आज यदि आखर धरने में डेढ़-बेढ़ हुआ, तो दूसरे दिन से एकदम बैकाट!
पंचलैट आने की खुशी में औरतों की मण्डली में गुलरी काकी गोसाई का गीत गुनगुनाने लगती हैं तो छोटे-छोटे बच्चे हुड़दंग करने लगते हैं।
टोले के लोग सरदार के दरवाजे पर आकर पंचलैट-पंचलैट की रट लगाने लगते हैं । महतो टोले में पंचलैट आने से खुशी का वातावरण बन गया था।
रूदल साह बनिये की दुकान से तीन बोतल किरासन तेल आया ।
महतो टोला के सभी लोग पंचलैट के जलने का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे , लेकिन समस्या यह आ खड़ी हुई कि पंचलैट जलाएगा कौन? क्योंकि महतो टोले के लोगों में से किसी को भी ‘पंचलैट’ जलाना नहीं आता था।
महतो टोले के किसी भी घर में ढिबरी नहीं जलाई गई थी, क्योंकि सभी पंचलैट की रोशनी को देखना चाहते थे ।
पंचलैट के न जलने से सभी के चेहरे पर उदासी आ गई ।
पंचलैट न जलने की खबर सुनकर राजपूत टोले के लोग महतो टोले का मज़ाक बनाने लगते हैं। राजपूत टोले के एक आदमी ने व्यंग्य करते हुए कहा कि पंचलैट के सामने कान पकड़ कर उठक-बैठक लगाओंगे तो पंचलैट जल उठेगा .
भीड़ में से किसी ने सुझाव दिया कि दूसरे टोले के किसी व्यक्ति से पंचलैट जलवा लिया जाये .
किन्तु सरदार ने कहा कि दूसरे टोले के व्यक्ति की मदद से पंचलैट नहीं जलाई जाएगी, चाहे वह बिना जले ही पडा रहे।
गुलरी काकी की बेटी मुनरी जो गोधन से प्रेम करती थी .वह जानती थी कि गोधन को पंचलैट जलाना आता है, मुनरी ने यह बात सरदार तक पहुँचने के लिए अपनी सहेली से कही ,कनेली ने यह बात सरदार तक पहुंचाई ।लेकिन यहाँ भी समस्या यह यह थी कि पंचायत ने गोधन का हक्का-पानी बन्द कर रखा था, क्योंकि गोधन रोज मुनरी को देखकर ’सलम-सलम’ वाला सलीमा का गीत गाता था,
सभी पंच कुछ देर केलिए सोच-विचार में पड़ गए ,फिर टोले की इज्ज़त के सवाल पर यह निर्णय लिया कि गोधन को बुलाकर उसी से ‘पंचलैट’ जलवाई जाए, सरदार ने छडीदार को गोधन को बुलवाने का आदेश दिया ।
सरदार ने गोधन को बुलाने के लिए छड़ीदार को भेजा, परन्तु गोधन ने आने से मना कर दिया । फिर गुलरी काकी गोधन को मनाने उसके पास जाती हैं तो गोधन पंचलैट जलाने के लिए तैयार हो जाता है।
वह पंचलैट जलाने के लिए स्पिरिट माँगता। है, परन्तु टोले के पंचों को यह जानकारी न थी कि पंचलैट जलाने के लिए स्पिरिट की भी जरूरत होती है ,इसलिए स्पिरिट खरीदा ही नहीं था । अब स्पिरिट न होने पर एक बार फिर टोला के लोगों के चेहरे मुरझा जाते हैं। गोधन होशियार लड़का है, वह स्पिरिट न होने पर नारियल के तेल से ही पंचलैट जला देता है और पंचलैट की रोशनी से सारा टोला जगमगा उठता है, सभी के चेहरे खिल उठते हैं।
कीर्तन-मण्डली के लोग एक स्वर में महावीर स्वामी की जय ध्वनि करते हुए कीर्तन शुरू कर देते हैं।
इस प्रकार पंचलैट जलाकर गोधन सबका दिल जीत लेता है।
गोधन ने जिस चतुराई से पंचलैट को जला दिया था, उससे सभी प्रभावित होते हैं। गोधन के प्रति सभी लोगों के दिल का मैल दूर हो जाता है। मुनरी बड़ी हसरत भरी निगाहों से गोधन को देखती है। सरदार गोधन को अपने पास बुलाकर कहता है कि-“तुमने जाति की इज्जत रखी है। तुम्हारा सात खून माफ़। खूब गाओ सलीमा का गाना।
अन्त में गुलरी काकी गोधन को रात के खाने पर निमन्त्रित करती है।
गोधन ने एक बार फिर से मुनरी की ओर देखा और नज़र मिलते ही लज्जा से मुनरी की पलकें झुक जाती हैं।
पंचलाइट’ कहानी के आधार पर ‘गोधन’ का चरित्र-चित्रण –
कहानी के पात्र ‘गोधन’ के चरित्र की विशेषताएँ –
स्वाभाविक युवा प्रवृत्ति – गोधन के व्यक्तित्व में युवा वर्ग की कुछ स्वाभाविक प्रवृत्तियाँ निहित हैं। वह मनचला एवं लापरवाह युवक है। वह फिल्मी गाने गाता है। मुनरी से प्रेम करता है और बाहर से आकर बसने के बावजूद पंचों के खर्च के लिए उन्हें कुछ देता नहीं है। यह कहना अधिक उचित होगा कि वह एक अल्हड़ ग्रामीण युवा है।
गुणी एवं चतुर – गोधन अशिक्षित है, लेकिन उसमें गुणों की कमी नहीं है। वह पूरे महतो टोला में एकमात्र ऐसा व्यक्ति है, जो पेट्रोमैक्स जलाना जानता है। वह अत्यन्त चतुर भी है। गोधन इतना काबिल है कि वह बिना स्पिरिट के ही गरी अर्थात् नारियल के तेल से पेट्रोमैक्स जला देता है। इससे उसकी बौद्धिकता का भी पता चलता है।।
स्वाभिमानी- गोधन स्वाभिमानी है, इसलिए हुक्का-पानी बन्द करने के बाद जब छड़ीदार उसे बुलाने जाता है, तो वह आने से इनकार कर देता है।। हुक्का-पानी बन्द करने को वह अपना अपमान समझता है।
बड़े-बूढों के प्रति आदर भाव –गोधन बड़े-बूढों के प्रति आदर भाव रखता है ,यही कारण है कि जिस गुलरी काकी के कहने पर उसका हुक्का-पानी बंद हुआ था , उन्हीं के मनाने पर वह ‘पंचलैट’ जलाने के लिए मान जाता है।
जाति की प्रतिष्ठा के प्रति संवेदनशील – गोधन अपने समाज की मान-प्रतिष्ठा के प्रति अत्यन्त संवेदनशील है। जिस समाज या पंचायत ने उसका हुक्का-पानी बन्द कर दिया था, उसी समाज की प्रतिष्ठा को बचाने के लिए वह अपने अपमान को भूल जाता है। बिना स्पिरिट के ही पंचलैट जलाकर वह अपने टोले की मान-प्रतिष्ठा की रक्षा करता है।
पंचलाइट’ कहानी की पात्र ‘मुनरी’ की चारित्रिक विशेषताएँ
नारी सुलभ लज्जा व संकोच – मुनरी गाँव की साधारण-सी युवती है। वह लज्जाशील व संकोची प्रवृत्ति की है। मुनरी जानती है कि पंचलाइट जलाना गोधन को आता है, परन्त उसे तो गाँव से निष्कासित किया जा चुका था। सरदार को यह खबर देने में भी वह प्रत्यक्ष रूप से गोधन का नाम नहीं ले पाती है और अपनी सहेली कनेली के माध्यम से सरदार तक इस खबर को पहुँचाती है।
इसके अतिरिक्त गोधन द्वारा मुनरी की ओर देखे जाने पर मुनरी अपनी पलकें झुका लेती है। यह इस बात का संकेत है कि मुनरी एक लज्जाशील व संकोची प्रवृत्ति की युवती है।
जाति की प्रतिष्ठा के प्रति संवेदनशील – महतो टोला के लोगों ने यह निर्णय लिया कि चाहे कुछ भी हो जाए, लेकिन हम यह पंचलाइट किसी अन्य टोला के सदस्य से नहीं जलवाएँगे, क्योंकि यह अपमान की बात होगी। जाति की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखकर ही मुनरी ने अप्रत्यक्ष रूप से गोधन का नाम सुझाया।
प्रेम के प्रति स्वाभाविक प्रवृति- मुनरी युवती है ,युवावस्था के अनुसार उसके ह्रदय में भी गोधन के प्रति प्रेम का अंकुरण प्रस्फुटित हुआ है .
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