नए साल में स्वागत करें – नए उत्साह से ….. नए जोश से …… नई ऊर्जा से …… नई उमंग से ……
तो
अपने लिए और अपनों के लिए कामना करें -प्रार्थना करें नव वर्ष मंगलमय हो
सर्वे भवन्तु सुखिन:
सर्वे भवन्तु निरामया नव वर्ष का सन्देश
सोते रहना ही कलयुग है ,निद्रा से उठ बैठना ही द्वापर है ,उठकर खड़े होना ही त्रेता है और चल पड़ना ही सतयुग है ,अतएवं चलते रहो।
समय गतिशील है , समय जो परिवर्तनशील ,समय हर क्षण एक नया रूप धारण करता है।सब कुछ थम जाता है ,सब कुछ थम जाएगा किन्तु समय निर्बाध गति से चलता रहेगा . समय लौटकर नही आता और न लाया जा सकता है। हर क्षण अमूल्य है। आने वाला हर क्षण असीम संभावनाओ से भरा हुआ है। हर दिन का उगता हुआ सूरज एक नया जन्म लेकर आता है।
इस जीवन को खोए हुए अवसरों की कहानी मत बनने दो। जहाँ अवसर दिखे , तुरंत छलांग लगाओ। पीछे मुड़कर मत देखो – स्वामी रामतीर्थ
समय का भरपूर उपयोग करे , एक क्षण भी आलस्य और प्रमाद में न खोये। अपना अमूल्य समय दूसरों में दोष ढूंढने या निंदा करने में खर्च न करे। वर्तमान के एक- एक क्षण का सदुपयोग करे। कोशिश हो इस बात की समय का एक – एक क्षण का सार्थक उपयोग हो।
प्रत्येक नया दिन नए जीवन का आरम्भ है ,जिसमे नए विचार और नए कार्य नए उत्साह करों।
यदि एक क्षण का भी अवकाश मिले तो उसे सद्कर्म में लगाओ क्योकि काल चक्र तुमसे भी ज्यादा क्रूर है।
सपनो की दुनिया में सोये न रहो। वह कार्य सबसे पहले करो , जिसकी वर्तमान में सबसे अधिक जरूरत है। जैसे समुंद्र की लहरे प्रतीक्षा नही करती , वैसे ही समय किसी की प्रतीक्षा नही करता। समय नदी के प्रवाह की तरह निरंतर गतिशील रहता है।
सिकंदर द्वारा एक राज्य को जीतने पर किसी ने सिकंदर से पूछा -अवसर मिलने पर क्या आप दूसरे राज्य को भी जीतेंगे ?इस पर सिकंदर ने कहा -अवसर ?अवसर क्या होता है ?अवसर तो मैं स्वयं बनाता हूँ।
समय नही मिला या समय नही मिलता, वह अपनी कमजोरियों को छिपाने का एक बहाना मात्र है। समय स्वयं चलकर आपके दरवाजे पर खड़ा नही होगा , आपको समय के पास जाना होगा , उसे पकड़ना होगा। कहा भी गया है- मुँह से निकला शब्द और धनुष से निकल बाण लौटकर नई आते ,वैसे ही गुजरा हुआ समय वापिस नही आता . तुम्हारे ठहरने से समय नही ठहरेगा , अगर आप समझते है , दौड़ कर समय को पकड़ लेगे तो यह संभव नही है , ऐसा न आजतक हुआ है और न होगा , समझदारी समय के साथ- साथ चलने में ही है।
कर्म ही जीवन है और अकर्म मृत्यु ,कर्म मनुष्य का स्वाभाविक धर्म है। कर्म सार्थक और निर्णयात्मक होना चाहिए ना कि व्यर्थ। प्रत्येक कर्म करने से पहले यह देख लेना चाहिए कि हमारा कर्म व्यर्थ तो नहीं ,जिसमे समय नष्ट हो रहा है। जिस उद्देश्य में थोड़ा भी संदेह हो उसे तुरंत छोड़ देना चाहिए। महान विजेता वही होते है जो किसी उद्देश्य को लेकर कार्य करते है और जिनकी दृढ़ता ,जिनका संकल्प खंडित और संदिग्ध न हो।
हर गुजरा हुआ लम्हा एल्बम का पन्ना बन जाता है। जिसे देख तो सकते है , लेकिन उसके साथ जिया नही जा सकता। पत्नी मर जाए पुनर्विवाह हो सकता है , परिवार बिछड़ जाए , मिल सकते है , घर उजड जाए, फिर से बसाया जा सकता है , धन बर्बाद जाये फिर से अर्जित किया जा सकता है किन्तु समय गुजर गया तो फिर कभी नही पाया सकता।
वीर बड़े अवसरों की प्रतीक्षा नही करते ,वे छोटे अवसरों को भी बड़ा बना देते है। ……. .अकर्मण्य ही भाग्य की प्रतीक्षा करते है .
जो समय का सम्मान करता है , समय उसका सम्मान करता है ,लेकिन जो समय को मारने की कोशिश करता है , समय उसके प्रति दया नही दिखलाता बल्कि निर्दयता से मार देता है। समय न अच्छा होता और न बुरा , समय सिर्फ समय होता है , हम अब भी यदि सोये हुए हो तो जाग जाओ , यदि बैठे हुए तो उठ खड़े होओ और यदि खड़े हुए हो तो चल पडो – समय के साथ – साथ। जो समय के साथ नही बदलता है , वह या तो मुर्ख है या फिर मुर्दा। जो समय से डरता है , उसे समझदार समझना चाहिए।
जो समय चिन्ता में गया ,समझो कूड़ेदान में गया। जो समय चिन्तन में गया तो समझो तिजोरी में गया।
जीवन में शारीरिक और मानसिक परिश्रम के बिना कोई फल नहीं मिलता। दृढ चित्त और महान उद्देश्य वाला मनुष्य जो करना चाहे ,कर सकता है ,उसके लिए कुछ भी असंभव नहीं।
यदि ठीक अवसर पर साधनो का समुचित ध्यान रखकर काम किया जाए तो कुछभी असंभव नहीं।
अतीत को याद करके मत रोइये ,भविष्य की चिंता मत कीजिये ,क्योकि –
वर्तमान से ही भविष्य बनेगा और बिगड़ेगा ,इसलिए वर्तमान का भरपूर लाभ उठाओ ,यही तुम्हारे हाथों में है। स्वप्न से जागों ,वर्तमान व्यर्थ नष्ट मत करों। वर्तमान ही सबकुछ है। भविष्य की चिंताहमें अकर्मण्य बना देती है,भूत का भार हमारी कमर तोड़ देती है।
ज्ञान और कर्म ,इन दोनों से ही जीवन को गति मिलती है। एक पंख से पक्षी नहीं उड़ सकता ,एक पतवार से नाव नहीं खैईं जाती केवल ज्ञान या केवल कर्म से ही जीवन को गति नहीं मिलती ,एक के अभाव में दूसरा व्यर्थ है
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