nelson mandela-gandhi of south africa

nelson mandela-gandhi of south africa
nelson mandela-gandhi of south africa
१८ जुलाई ,आज के दिन धरती पर उस विभूति का जन्म हुआ था ,जिसने रंग -भेद नीति के विरोध और मानवाधिकारों के लिए संघर्ष करते हुए अपने वैयक्तिक सुखों का त्याग कर दिया। जिसने अपने जीवन के सत्ताईस साल जेल की दीवारों में कैद होकर इसलिए बिताए ,ताकि उसके देशवासी अमानवीय रंग-भेद नीति से मुक्त हो सके और ६७ साल तक इसलिए संघर्ष किया ताकि उन्हें वे अधिकार मिल सके जिस पर हर मानव का सामान अधिकार है। इस शख्स ने दुनिया को ऐसा कर दिखाया और शख्स से शख्सियत बन गया।
१९९४ में दक्षिण अफ्रीका में रंग-भेद नीति रहित चुनाव हुए और पहला अश्वेत दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्र -पति बना।
दुनिया इसे दक्षिण अफ्रीका के गांधी के नाम से जानती है और जिसे दक्षिण अफ्रीका का राष्ट्र -पिता माना जाता है । इस शख्सियत का नाम है -नेल्सन मंडेला
१९९३ में उन्हें शांति का नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
इसके अतिरिक्त विश्व के अनेक देशों और संस्थाओं द्वारा २५० से अधिक सम्मान और पुरस्कार से सम्मानित हुए.जिनमे से कुछ प्रमुख पुरस्कार है-
प्रेसिडेंट मेडल ऑफ़ फ्रीडम
आर्डर ऑफ़ लेनिन
भारत -रत्न
गांधी शांति पुरस्कार
निशान-ए -पाकिस्तान
नवम्बर २०००९ में संयुक्त राष्ट्र महा-सभा द्वारा रंगभेद नीति विरोधी संघर्ष और मानवाधिकारों की रक्षा व शांति स्थापना में योगदान के लिए १८ जुलाई को मंडेला दिवस के रूप में मनाने की घोषणा की गयी।
नेल्सन मंडेला मानवाधिकार के प्रबल समर्थक थे।उनकी नज़रों में मनुष्य को मानवाधिकार से वंचित रखना मानवता को चुनौती देना था। वे चाहते थे कि हर आदमी को सिर्फ रोटी ,कपड़ा ,मकान ही नहीं बल्कि काम भी मिलना चाहिए। वे जातिवाद से सख्त नफ़रत करते थे और जातिवाद को बर्बरता मानते थे । स्वतंत्रता का अर्थ केवल अपनी ज़ंजीरों को उतार फेंकना भर नहीं है बल्कि इस तरह का जीवन जीना है जो औरों का भी सम्मान बढ़ाए।
नेल्सन मंडेला केवल अपने देश के लोगों के लिए रंग-भेद नीतिके खिलाफ लड़ने वाले नेता ही नहीं थे बल्कि अपने उत्प्रेरक विचारों से वैचारिक क्रांति के प्रवर्तक भी थे। अपनी सशक्त विचारधारा से नकारात्मक विचारों से ग्रसित व्यक्ति की सोच बदलने का सामर्थ्य उनकी वाणी में था। उनके विचार शिथिल हुए स्नायुओं में एक नई वैचारिक ऊर्जा का संचार कर सकते थे। उनका मानना था कि यदि मनुष्य एक बार ठान ले कि ऐसा करना है ,तो वह वैसा कर सकता है। दृढ निश्चय के साथ किये गए प्रयासों से हर विपरीत स्तिथि को अनुकूल बनाया जा सकता है। मनुष्य को अपनी क्षमता का अधिकतम प्रयोग करना आना चाहिए। अपनी क्षमता से जिस तरह का जीवन व्यतीत कर सकते है ,उससे कम स्तर का जीवन जीना गलत है। वह कहा करते थे कि बड़े पहाड़ पर चढ़ने के बाद ही यह पता चलता है कि ऐसे कई और पहाड़ चढना बाकी है। सिर्फ थोड़े से प्रयासों से कुछ नहीं होगा। आपको हर बार गिरकर फिर से खड़ा होना पड़ेगा। दुनिया उसी की आवाज़ सुनती है ,जिसने खुद चुनौतियों का सामना किया हो ,चुनौतियों का सामना,करनेवालेकी ही आवाज़ दम में होगा और ऐसे व्यक्ति की आवाज़ ही असर डालती है।
जीवन और सुंदरता के सम्बन्ध में व्यक्त किये विचार उनके दार्शनिक दृष्टिकोण की ओर इंगित कराती है। मंडेला ने सुंदरता को अपने नज़रिए से परिभाषित करते हुए कहा था कि सुंदरता कभी न गिराने में नहीं ,बल्कि गिरकर उठने और सपनों को हक़ीक़त में बदलने में है। उन्होंने जीवन के प्रति दृष्टिकोण व्यक्त करते हुए कहा कि आप चाहे जितनी गम्भीर बिमारी से ग्रसित हो ,उदास होकर मत बैठिए ,जीवन का आनंद लो ,और यदि समस्या है तो तो उसे चुनौती दो।
शिक्षा के सम्बन्ध में उनका मानना था कि शिक्षा के हथियार से दुनिया को बदला जा सकता है।स्व भाषा के बारे में उनका विचार था कि स्व-भाषा को दिल समझता है और विदेशी भाषा को दिमाग समझता है। अच्छे दिमाग के साथ अच्छा दिल का संयोजन हो जाये तो फिर उसे कोई पराजित नहीं कर सकता।
वे कहते थे कि की खुशियों में खुद को पीछे रखकर दूसरों को आगे रखो और जब बात जब खतरे की हो तो दूसरों को पीछे रखकर खुद आगे निकलकर नेतृत्व करों। उनकी नज़रों में बहादुर वह नहीं जो डरता नहीं ,बल्कि वह जो डर को जीत ले। वे कहते थे कि आप सिर्फ काम करते जाइये क्योंकि कोई भी काम तब तक असम्भव लगता है जब तक कि वह पूरा ना हो जाये।
रंगभेद नीति विरोधी संघर्ष और मानवाधिकारों की रक्षा व शांति स्थापना में योगदान देने वाले उस जुझारू और संघर्ष शील प्रवर्तक के उद्गार का एक बार फिर स्मरण करे ,जिसने कहा था –
मुझे सफताओं से मत आंकिये बल्कि मुझे इस बात से आंकिये कि मैं जीतनी बार गिरा ,उतनी ही बार गिरकर उठा हूँ।
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