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March 29, 2017
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नवरात्र का दूसरा दिन और माता का दूसरा रूप ब्रह्मचारिणी –

नवरात्र का दूसरा दिन और माता का दूसरा रूप 

 
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माता का दूसरा रूप -ब्रह्मचारिणी 
 
 
 

ब्रह्मचारिणी



यह माता का दूसरा रूप है। महादेव शिव को प्राप्त करने के 
 
लिए इस रूप में ही माता ने  कठोर तप किया था। नवरात्र के दूसरे दिन माता के इसी रूप की पूजा की जाती है
 
स्वरुप –दाहिने हाथ में जपमाला और बाये हाथ में कमंडल
 
अन्य प्रचलित  नाम –तपश्चारिणी ,अपर्णा ,उमा
 
ब्रह्मचारिणी स्वरुप से  जुड़ा  प्रसंग
 
भगवान शंकर को वर रूप में प्राप्त करने हेतु देवी ने अत्यधिक कठोर तप किया था .अन्नाहार का त्याग कर शाक का आहार करती रही ,इसलिए इन्हें शाकम्बरी भी कहा जाता है .,फिर तीन हज़ार वर्ष तक बिल्ब पत्र खाकर तप करती  रही ,कड़ी धूप वर्षा सहन करती रही ,कुछ समय पश्चात बिल्ब पत्र का भी त्याग कर दिया और निर्जल –निराहार तप करती रही ,निर्जल-निराहार तप के कारण शरीर कृश – काय हो गया ,इस तरह अपने कठोर तप से देवी ने पुन:शिव को पति रूप में प्राप्त किया। इस रूप में देवी की साधना करनेवाले साधक को अभीष्ट की प्राप्ति होती है .देवी के इस रूप की साधना करनेवाले साधक का मन स्वाधिष्ठान चक्र में अवस्थित रहता है .
 
 
ब्रह्मचारिणी माता का स्तुत्य मन्त्र
 


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दधांना करपद्माभ्यामक्षमाला कमण्डलू 

देवी प्रसीदतु मयि ब्रह्मचारिण्यनुत्तमा 

ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः 
 
 
या देवी सर्वभूतेषु माँ ब्रह्मचारिणी रूपेण संसंस्थिता
 

नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमस्तस्ये नमो नम:

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