दिल की बात सुने दिल वाला ,छोटी सी बात न मिर्च-मसाला
स्नेहिल मित्रों ,
सदर वन्दे।
आज इंटर नेट पर ढेरों ऐसी वेबसाइट उपलब्ध है जिनमे जीवन में सफल होने के मंत्र बताये गए है। ऐसे में एक और वेबसाइट की क्या आवश्यकता ?लेकिन मैं आपको बता दूँ कि ssuman-mujhe kuchh kahana hai.blogspot.comकोई पैसा कमाने वाली वेब साइट नहीं बल्कि भारतीय दर्शन ,साहित्य indian phylosophy ,litrature व्यक्तित्व चारित्रिक विकास(personality &character)जीवनोपयोगी पारिवारिक वेब पत्रिका है।
ssuman-mujhe kuchh kahana hai.blogspot.com का उद्देश्य आपको अज्ञानी जानकार उपदेश ,शिक्षा या कोई नसीहत देना नहीं है।मैं सत्यता और स्पष्टता से बता दूँ कि मैं स्वयं भी कोई विद्वान् ,या motivational गुरु नहीं हूँ ,एक अपदार्थ प्राणी ,नाचीज़ आदमी हूँ । हाँ ,विद्वानों को खूब पढ़ा है। उन्ही विद्वानों के सुविचारोंको पढ़कर जो अनुभव और समझ बनी ,उसे अपने स्वजनों के साथ SHAREकरने की एक कोशिश है ,यह वेबसाइट
यह ठीक है कि हम में से अधिकांश आर्थिक रूप से सम्प्पन है ,भौतिकता के वे सभी साधन उपलब्ध है,जो society में हमारा क़द ऊँचा करते है। सोसाइटी में नाम है ,इज्जत है ,शौहरत है ,दौलत है …. सब कुछ है…
लेकिन अकेले में दिल में झांक कर देखते है तो एक खालीपन नज़र आता है। लगता है कुछ है जो छूट गया है ,जिसे पाना है। आखिर वह है क्या चीज़ ?फिर चारों तरफ नज़र दौड़ाकर देखते तो लगता है ,….. सब कुछ तो है मेरे पास तो। …… फिर मैं क्या तलाश रहा हूँ ,…… किस चीज़ की तलाश है मुझे ? खालीपन है यह भी पता है ,पाना चाहता हूँ ,यह भी पता है ……..बस ,नाम याद नहीं आ रहा।नाम याद न आने का भी कारण है कि हम ज़िन्दगी की आपा -धापी….. जद्दो -ज़हद ….. वैयक्तिक उत्तर-दायित्व ,व्यवसाय -नौकरी की परेशानियां ,व्यक्तिगत -पारिवारिक समस्याओ को सुलझाने में ऐसे उलझे कि वो नाम याद ही नहीं रहा। चलो ,मैं याद दिल दूँ -उस चीज़ का नाम है -आत्मिक शांति जो बाहर नहीं ,भीतर मिलती है। जिसे खुद को ही ढूंढना पड़ता है ,जो कहीं और नहीं अपने भीतर ही मिलेगी।ssuman-mujhe kuchh kahana hai.blogspot.com एक माचिस है ,अँधेरे में खोयी चीज़ पाने की। जितनी बार जलाओगे,एक नई चीज़ पाओगे। बस ,आपको सिर्फ और सिर्फ ५-१०
मिनट का मूल्य चुकाना है।
आशा है आपका स्नेह भरा प्रोत्साहन मिलेगा
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