irafan khan-a real actor
सिने दर्शकों के लिए यह समाचार एक शोकपूर्ण समाचार है , आज दिनांक 29 april को हिंदी सिने आकाश का एक देदीप्यमान नक्षत्र विलुप्त हो गया . हमारा पान सिंह तोमर किसी पुलिस की गोली का शिकार नहीं हुआ बल्कि कैंसर रोग ने हमसे हमारा कभी न भूला जानेवाला अभिनेता छिना है।
फिल्म निर्देशक और लेखक के काल्पनिक चरित्र को जीवन्त बना देनेवाले अभिनेता थे –इरफ़ान .परदे पर फिल्म देख रहे दर्शक को इरफान का अभिनय देखकर कभी ऐसा नहीं लगा कि कोई कलाकार बनावटी अभिनय कर रहा है ,बल्कि ऐसा जान पड़ता था जैसे वास्तविक चरित्र सामने हो .चरित्र को जीवंत बना देने की प्रतिभा थी इरफ़ान के अभिनय में।
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से अभिनय का प्रशिक्षण लेकर अपने अभिनय की यात्रा दूरदर्शन से प्रसारित होने वाले टेलीविज़न धारावाहिक चाणक्य,भारत एक खोज और चंद्रकांता से प्रारम्भ की। सलाम बॉम्बे से बड़े परदे पर बहुत छोटे सी भूमिका के साथ आये।उसके बाद अपनी अभिनय प्रतिभा को प्रमाणित करते हुए 3 बार फिल्म फेयर पुरस्कार ,पान सिंह तोमर की भूमिका के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित हुए।इसके अतिरिक्त ए माइटी हार्ट ,द अमेजिंग स्पाईडर मैन,पार्टीशन ,शैडो ऑफ़ टाइम ,बोकशू द मिथ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। इमरान खान अभिनय के क्षेत्र का ऐसा मदारी था ,जो चाणक्य जितना चतुर और ग्रेट मराठा जितना ताकतवर था . कमला की मौत हो या एक डॉक्टर की मौत ऐसी स्थिति में वह कभी निराश नहीं हुआ.वास्तव में इरफ़ान अभिनय का ऐसा वारियर था ,जिसकी तुलना अतुलनीय है. उसके वादे-इरादे दृढ थे. उसका कसूर बस इतना था कि उसने प्राइवेट डिटेक्टिव बन कर लक्ष्य पर दृष्टि लगाकर ऐसा घात किया कि 2008 में फिल्म फेयर वालों ने लाइफ इन अ मेट्रो में such a long journey करने के लिए उसे सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के पुरस्कार से सम्मानित किया गया ,जबकि 2004 में इसी इरफ़ान ने अपने दमदार अभिनय से फिल्म फेयर वालों से सर्व श्रेष्ठ खलनायक होने की इज्जत हासिल की थी.
नेशनल स्कूल ऑफ़ ड्रामा से अभिनय का प्रशिक्षण लेकर अपने अभिनय की यात्रा दूरदर्शन से प्रसारित होने वाले टेलीविज़न धारावाहिक चाणक्य,भारत एक खोज और चंद्रकांता से प्रारम्भ की। सलाम बॉम्बे से बड़े परदे पर बहुत छोटे सी भूमिका के साथ आये।उसके बाद अपनी अभिनय प्रतिभा को प्रमाणित करते हुए 3 बार फिल्म फेयर पुरस्कार ,पान सिंह तोमर की भूमिका के लिए राष्ट्रीय पुरस्कार और पद्मश्री से सम्मानित हुए।इसके अतिरिक्त ए माइटी हार्ट ,द अमेजिंग स्पाईडर मैन,पार्टीशन ,शैडो ऑफ़ टाइम ,बोकशू द मिथ जैसी फिल्मों में अपने अभिनय का लोहा मनवाया। इमरान खान अभिनय के क्षेत्र का ऐसा मदारी था ,जो चाणक्य जितना चतुर और ग्रेट मराठा जितना ताकतवर था . कमला की मौत हो या एक डॉक्टर की मौत ऐसी स्थिति में वह कभी निराश नहीं हुआ.वास्तव में इरफ़ान अभिनय का ऐसा वारियर था ,जिसकी तुलना अतुलनीय है. उसके वादे-इरादे दृढ थे. उसका कसूर बस इतना था कि उसने प्राइवेट डिटेक्टिव बन कर लक्ष्य पर दृष्टि लगाकर ऐसा घात किया कि 2008 में फिल्म फेयर वालों ने लाइफ इन अ मेट्रो में such a long journey करने के लिए उसे सर्वश्रेष्ठ सहायक अभिनेता के पुरस्कार से सम्मानित किया गया ,जबकि 2004 में इसी इरफ़ान ने अपने दमदार अभिनय से फिल्म फेयर वालों से सर्व श्रेष्ठ खलनायक होने की इज्जत हासिल की थी.
इरफ़ान ने फिल्म उद्योग में उस प्रथा को आगे बढाया जिसे ओम पूरी और नसरुद्दीन शाह ने प्रारंभ किया था ,इरफ़ान,इंग्लिश माध्यम तक नोक आउट रहे .उन्होंने कमर्शियल , आर्ट, ऑफ बीट और पेरेरल सिनेमा के बीच जो पार्टीशन था इस राईट या रांग के अंतर को मिटने में अहम् भूमिका निभाई. जिसे भोपाल मूवी में देखा जा सकता है .उन्होंने ने न्यूयार्क से आने के बिल्लू बारबर बनकर एसिड फैक्ट्री को बंद कर दिया .स्लमडॉग मिलियनेयर का यह पुलिस इंस्पेक्टर देहली 6 से रोड टू लद्दाख तक अभिनय यात्रा के बाद संडे को फिर माइग्रेशन के लिए निकल पड़ा .इरफान वास्तव में मिस्टर 100% थे . फिल्म उद्योग में वे अकेले ऐसे अभिनेता थे जिन्होंने 7 1/2 फेरे लिए थे. dubai return मकबूल का चेहरा भले ही चाकलेट चेहरा न रहा हो ,लेकिन अभिनय की bullet थे ,तभी तो गुनाह किये बिना भी अभिनय के किलर कहलाते थे ,लेकिन उन्होंने कभी किसी की सुपारी नहीं ली . धुंध में काली सलवार
पहने बाईपास के फ़ुटपाथसे लंच बॉक्स लेकर निकल जाया करते थे .करीब-करीब सिंगल इस योगी ने कभी किसी को ब्लैक मेल नहीं किया .उनके शानदार –जानदार अभिनय के कारण सात खून भी माफ़ है .
29 अप्रैल को हमें बताये बिना इरफान मुंबई वालों को सलाम बॉम्बे कहकर सिर्फ 24 घंटे में दुनिया से चले गए .इरफ़ान चले गए ,लेकिन उनकी छवि सदैव अविस्मरणीय रहेगी ,उनका श्रेष्ठ अभिनय याद किया जाता रहेगा।
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