inspirational thought in hindi
inspirational thought in hindi
inspirational thought in hindi-कफ़न में जेब नहीं होती
धरा को प्रमाण यही तुलसी ,जो फरा सो झरा, बरा सो बुराना
अर्थात जो फल पेड़ पर लगा है ,वह टपकेगा भी,जो दीपक जला है ,वह बुझेगा भी
कबीर महाराज ने कहा है –
यह जीवन कागज़ के समान गल जाने वाला और झाड़ियों के समान जल जाने वाला है
दोनों संतो की बातें मानव जीवन का भी सच है।
कब किस पर काल देवता का कोड़ा पड़ जाये ,पता नहीं
कब किसकी फोटो पर माला चढ़ जाये, पता नहीं
जिसका काल आ गया ,उसको मारने के लिए मामूली सा तिनका भी वज्र बन जाता है। काल का किसी से रिश्ता नहीं। औषधि ,मंत्र ,यज्ञ भी काल से नहीं बचा सकते।
ऊपर कही गयी बातों को विद्वान् ही नहीं अनपढ़ भी जानता है .किन्तु आश्चर्य तो तब होता है ,जब मनुष्य इस सच को जानकर भी अंजान बना रहता है।सच जानकर भी पाप कर्म करने से भयभीत नहीं होता। दुनिया के अधिकांश लोग भौतिक सम्पदा का इस तरह संग्रह करने में लगे हुए है ,जैसे इस सारी दौलत को दुनिया से जाते समय अपने साथ ले जाएंगे। लेकिन याद रखो ,कफ़न में जेब नहीं होती
हर कोई खाली हाथ आया है ,और खाली हाथ जायेगा -इस सच्चाई को जानकर भी यह आपा -धापी क्यों ?
तिनके -तिनके चुनकर महल बनाया
लोग कहे घर मेरा
न घर तेरा ,न घर मेरा
दुनिया रैन बसेरा
अज्ञानता देखिये -जिस ज़िन्दगी का पल भर भरोसा नहीं ,उसी ज़िन्दगी के लिए सारे पुख्ता इंतज़ाम कर लिए
इसके विपरीत -जिस महा यात्रा पर जाना निश्चित है ,उसकी तैयारी की तरफ कभी ध्यान ही नहीं गया।
अरे ,जब मरना निश्चित है तो पूरी तैयारी के साथ मरो
उपर्युक्त पंक्ति पढते ही मति भ्रम से भ्रमित लोग तर्क देने लगेंगे –
तो क्या कमाना छोड़ दे ?
क्या ऐसा कहने वाला हमें खाना परोस जायेगा ?
ज़रुरत का सामान आसमान से टपकेगा या ज़मीन उगलेगी ?
या नसीहत की खुराक से मेरा और मेरे परिवार का जीवन निर्वाह हो जायेगा ?
ऐसा कहने वालो का तर्क तो सही है। मैं या कोई और खाने की थाली सजा कर आपके सामने परोसने नहीं आएगा। इसके लिए तो कर्म ही करना पड़ेगा। ज़रुरत और सुविधाओं के लिए धन का संग्रह इस ढंग से करे कि किसी का शोषण न हो ,जो धर्म ,न्याय और नैतिक मूल्य के अनुकूल हो.
कमाए ,खूब कमाए ,इतना कमाए कि असहाय और ज़रूरतमन्दों की मदद कर सके ,जिसे आध्यात्मिक अर्थ में
दान कहा जाता है।
याद रखे -मृत्यु शरीर को मार सकती है ,लेकिन मनुष्य के सत् कर्म को नहीं
शरीर से तो हम इस दुनिया में नहीं रहेंगे ,लेकिन नाम अमर रहेगा
सत् कर्म से कमाया नाम ही सबसे बड़ी पूँजी है। नाम कमाए धन नहीं।
सब मिट जायेगा -नाम का निशान रह जायेगा
जो दुनिया को याद दिलाता रहेगा कि अमुक नाम का इंसान कभी इस दुनिया में आया था।
अंत में ,कवि पुंगव मैथिली शरण गुप्त का अमर सन्देश स्मरण करे –
विचार लो कि मर्त्य हो,न मृत्यु से डरो कभी
मरो परन्तु यो मरो कि याद करे सभी
हुई न यो सुमर्त्यु तो वृथा मरे, वृथा जिए
मरा नहीं वही कि जो जिया न आपके लिए
वही पशु प्रवृति है कि आप आप ही चरे
वही मनुष्य है जो मनुष्य के लिए मरे
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