inspirational thought in hindi

१-अनमोल वचन
२-प्रेरक प्रसंग
३-महात्मा भर्तृहरि के प्रेरक विचार
प्रेरक विचार
inspirational thought in hindi
सबसे दुखी कौन ?
ईर्ष्यालु ,क्योकि वह अपने दुःख से तो भरा ही होता है साथ ही दूसरों की खुशियाँ उसके दुःख को और दुगना कर देती है।
ईर्ष्यालु अपना दुःख तो बर्दाश्त कर लेता है किन्तु दूसरो का सुख उससे बर्दाश्त नहीं होता।
आग से जला मनुष्य राख हो जाता है किन्तु इर्ष्या की आग में जलनेवाला जिंदा रहकर भी मरता रहता है और मरकर भी जीवित रहता है।
यदि लोग आपसे ईर्ष्या करते है ,तो यह इस बात का संकेत है कि आपमें अवश्य कुछ अच्छाई है और आपकी अच्छाई ही लोगों की ईर्ष्या का कारण है।
एक प्रसंग याद आ रहा है –एक आदमी केकड़ों से भरी टोकरी के समीप सो रहा था- .निश्चिन्त और बेखौफ होकर .टोकरी भी खुली हुई .एक अन्य आदमी वहा आया और उसने सोये हुए आदमी को जगा कर कहा –भाई ,तुम केकड़ों से भरी टोकरी के समीप सोये हुए हो ,क्या तुम्हे डर नहीं लगता ?सोये हुए आदमी ने उठकर कहा –डर तो लगता है .लेकिन जिस स्थिति में यह केकड़े है ,इस कारण डर नहीं लग रहा . आप टोकरी में ध्यान से देखिये ,एक केकड़ा ऊपर चढ़ने की कोशिश कर रहा है तो दूसरा उसकी टांग पकड़ कर खींच रहा है .कोई किसी को ऊपर चढ़ने नहीं देना चाहता .यही स्थिति हम मनुष्यों की भी है .कोई किसी को अपने से आगे निकालने देना नहीं चाहता .सब आगे वाले को पीछे धकेल कर खुद आगे निकल जाने की होडा-होडी में लगे हुए है .
जिस किसी ने जन्म लिया ,उसकी मृत्यु निश्चित है ,जो फल पेड़ पर लगा है ,वह टपकेगा भी और जो दीपक जला है ,वह बुझेगा भी ,इस शाश्वत सत्य से सभी जन परिचित है .यह भी जानते है कि जीवन कमल पत्र पर पड़ी जल बूँद के समान है .इस सत्य से परिचित होकर भी यदि मनुष्य सावधान न हो तो उसे अज्ञानी नहीं तो और क्या कहा जाये ?क्षण भंगुर जीवन के लिए मनुष्य भले बुरे का विवेक भूलकर न मालूम कितने पाप कर्मो का संग्रह करता चला जाता है .जबकि महाकाल देवता सपासप कोड़े चला रहे है .न मालूम कब किस पर किस समय महाकाल देवता का कोड़ा पड़ जाये ,पता नहीं .कब किसकी फोटो पर माला चढ़ जाये ,पता नहीं।
काल अर्थात मृत्यु अटल सत्य है .शेष सब मिथ्या है .भ्रम है ,जब मरना निश्चित है तो तैयारी के साथ मरो .शास्त्र नीति और धर्माचरण करते हुए सात्विक भाव से जीवन व्यतीत करो।








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