inspirational-motivational thought in hindi
inspirational-motivational thought in hindi
inspirational-motivational thought in hindi-बोली एक अमोल है जो कोई बोले जाने
बिल्कुल अंधा है क्या ?
देख कर नहीं चल सकता क्या ?
आँख है या बटन ?
भेजे में भूसा भरा है क्या ?
तू सुधर नहीं सकता ,गधा है ,गधा ही रहेगा
हाथ टूट गए है क्या ,जल्दी-जल्दी हाथ चला
एक -भाई साब ,थोड़ी जगह दे दीजिये
दूसरा -क्यों,बिना टिकट सफर कर रहा हूँ क्या ?आगे बहुत जगह है ,आगे निकल जाओ
तीसरा -टिकट ख़रीदा है तो क्या पूरी ट्रैन /बस खरीद ली है क्या?
चौथा -ट्रैन/बस क्या तेरे …...
औक़ात क्या है तेरी ,दो कौड़ी के आदमी
हाथ-पैर टूट गए है क्या ?कमा के खाओ ,कमा के ,चले आते न मालूम कहाँ -कहाँ से ,भिखारी कही के
समाज सेवा का ठेका नहीं लिया है मैंने ,जो आपकी मदद करूँ
ऐसे न मालूम कितने वाक्य हम बोलते -सुनते है। कहने वाला कह जाता है, लेकिन वह यह नहीं जानता कि उसके यह वाक्य किसी के दिल को तीर की तरह भेद गए है
कितना दिल दुखा होगा सुनने वाले का
कितना अपमानित हुआ होगा वह कहने वाले ने सोचा भी ना होगा
कहने वाला अपने अहंकार के कारण अपने को कितना ही बड़ा समझ ले ,किन्तु सच यह कि ऐसा कहते हुए उसने अपने आपको इनसानियत की नज़रों में बहुत छोटा बना लिया।
किसी का दिल दुखाना पाप है ,घोर पाप
मीठा तो बोला ही जा सकता है ,मेरे भाई। …. पैसा थोड़े ही लगता है मीठा बोलने का। यह तो आपने पढ़ा या सुना ही होगा कि बन्दूक से निकली गोली और मुंह से नकली बोली वापस नहीं आती।
मधुर वचन है औषधि, कटु वचन है तीर।
प्रायः सभी घरों में एक चाकू होता है और उसका उपयोग फल या सब्जी कटाने के लिए होता है किन्तु उसके गलत प्रयोग से हम अपनी अंगुली भी कटा बैठते है और इसी चाकू का अविवेक और क्रोध से प्रयोग कर दूसरों को हानि भी पंहुचा सकते है। यही बात वाणी पर भी लागू होती है। हम वाणी में मिठास लाकर शत्रु को भी अपना बना सकते है तो कडुवा बोल कर अपनो को पराया भी बना सकते है। चाकू बुरा है ना वाणी ;उसके प्रयोग का तरीका उसे अच्छा या बुरा बनाता है। बाणों से बिंधा हुआ और फरसे से कटा हुआ वन फिर से अंकुरित हो सकता है किन्तु कठोर वाणी का घाव कभी नहीं भरता।
हमारे यहां कहावत भी है कि –
जुबां हाथी पर बिठा भी सकती है तो सर भी कटवा सकती है। अरे,हम किसी को गुड ना दे सके तो गुड जैसी मीठी बात तो कर ही सकते है
कठोरता से बोला गया वचन ,झूठ बोलना ,निंदा करना ,व्यर्थ और विवाद पैदा करनेवाले वचन ,ये सभी वाणी के दोष बताये गए है ,तो सच बोलना ,मीठा बोलना ,मौन रहना वाणी के गुण है।
मनुष्य को चाहिए की ईश्वर द्वारा दी गयी इस वाणी के वरदान का बहुत सोच -समझकर उपयोग करें। क्योकि– बोली इक अमोल है जो कोई जाने बोल।
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