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Inspirational motivational thought in hindi

April 18, 2022
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छोटी बात -बड़ा दम

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ईर्ष्या माचिस की तीली की तरह होती है ,जो जलती तो है दूसरों को जलाने  के लिए ,लेकिन दूसरों को जलाने से पहले खुद जलती है , सोचो – दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिए अपना भी नुकसान करना कहाँ की समझदारी है ?

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ईर्ष्या माचिस की तीली की तरह

होती है ,जो जलती तो है दूसरों

को जलाने  के लिए ,लेकिन

दूसरों को जलाने से पहले खुद

जलती है , सोचो – दूसरों को नुकसान पहुँचाने के लिए

अपना भी नुकसान करना कहाँ की समझदारी है ?

बड़ा बनने के लिए ,बड़ा हासिल करने के लिए ,पहले अपनी सोच को बड़ा बनाओ क्योकि बड़ी सोच ही बड़ा काम करने के लिए प्रेरित करती है,यह बात सही है ।किन्तु  ऐसा करते हुए अपनी क्षमता और सामर्थ्य को ना  भूले अन्यथा असफलता और निराशा ही हाथ लगेगी। नकारात्मक सोच इतनी हावी हो जाएगी कि आप नई सोच के दरवाज़े  ही बंद कर देंगे। सलाह  या अच्छी बात समझाने वाला  व्यक्ति बुरा लगने लगेगा। आप वर्तमान की अच्छी-बुरी स्थितियों के साथ समझौता कर लोगे। यह सोचकर आगे के प्रयास  बंद कर देंगे कि मेरे भाग्य में इतना ही लिखा है। फिर से सोचो कि इस स्थिति तक आपको किसने पहुँचाया ?शायद अंगुली खुद की ओर ही उठेगी।

कुछ भी नया करने से पहले उसके दोनों पहलुओं को देख लो ,समझ लो ,भविष्य में होने वाले बुरे परिणामों से बच जाओगे

जो नहीं हो सकता ,वह होगा भी नहीं। पत्थर उछाल कर आकाश में छेद नहीं किया जा सकता ,पत्थर को मुट्ठी में भींचकर पानी नहीं निचोड़ा जा सकता ,समुन्दर को पिया नहीं जा सकता और फूंकमार पर्वत को उड़ाया  नहीं जा सकता ,सही है। लेकिन जो किया जा  सकता है ,जिसका होना संभव है ,उसमे अपनी पूरी क्षमता झोंक दो ,लेशमात्र भी कमी मत रहने दो ,सफलता निश्चित है।

ईश्वर प्रत्येक मनुष्य को जीवन में एक सुअवसर ज़रूर देता है ,जिसका लाभ उठाकर मनुष्य धन ,वैभव ,सम्मान और वह सब कुछ जो वह पाना चाहता है ,प्राप्त कर सकता है। बस ,ज़रुरत सुअवसर के बीज को बोकर उसे सींचने भर की है।

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असफलता की चिंता न करो ,यह स्वाभाविक है। ये असफलताएं ही तो मनुष्य को कर्म के प्रति प्रेरित करती है। जीवन में यदि संघर्ष न हो तो यह जीवन रसहीन और रंगहीन हो जायेगा।संघर्ष  जीवन का काव्य है।आदर्श युक्त लक्ष्य सामने रखकर हज़ार बार प्रयत्न करो ,हज़ार बार असफल होते हो तो भी एक बार फिर प्रयत्न करो ,लेकिन यह भी याद रखो कि  तुम छाछ में से मक्खन निकलने का निरर्थक प्रयत्न तो नहीं कर रहे ?-महर्षि अरविन्द 

असली सवाल यह है कि  तुम भीतर से क्या हो ?यदि तुम भीतर से गलत हो ,तो तुम जो भी करोगे ,वह गलत परिणाम ही देगा और यदि तुम भीतर से  सही  हो तो परिणाम भी सही होगा। बुराई  के बीज बोकर अच्छाई की फसल पाने की कामना मूर्खता ही है। -ओशो

मन में आया छोटा सा भी बुरा विचार  एक चिंगारी की तरह है ,जो देखते ही देखते जंगल में लगी आग की तरह फ़ैल जाती है ;जिस पर काबू  पाना मुश्किल होता है। बेटिओ को गर्भ में मारने  से कही ज्यादा  अच्छा है ,बुरे विचारों को जन्म लेने  से पहले ही मार दो। दोनों पापों से बच जाओगे।

क्रोध ,नफ़रत ,अहंकार ,मोह और आसक्ति वे  भाव है ,जो मनुष्य की सोचने-समझने कीशक्ति ख़त्म कर देते है और वह खुद अपना ही विनाश करने लगता है -स्वेट मार्डन

आ राम  का मतलब है ,राम को बुलाना- पुकारना। जब राम आ जाएंगे तो आराम ही आराम  मिलेगा ,वरना मित्रों ,सब विराम  ही रहेगा, यह सत्य मानो।

जीवन में कुछ भी आकस्मिक नहीं  होता। होने  से पहले संकेत मिलता है। हम ही उस संकेत को समझ नहीं पाते। जो समझ लेता है ,समझकर  सावधान हो जाता है ,वह बड़े नुकसान से बच जाता है

.प्रेम और मोह में अंतर होता है ,इसे एक समझना अज्ञानता से ज्यादा मूर्खता है। प्रेम निष्काम होता है और प्रतिफल की अपेक्षा नहीं रखता ,जबकि मोह सकाम होता है और प्राप्ति की अपेक्षा रखता है। सच्चा प्रेम सूर्य के समान आत्मा को विकसित कर देता है और मोह मन को पाले के समान ठिठुराकर संकुचित कर देता है- स्वामी रामतीर्थजी

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