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May 18, 2016
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inspiration-motivational thought-जीवन है अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा

ज़िन्दगी  क्या है ?जीवन है अगर ज़हर तो पीना ही पड़ेगा 

 

 

 

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ज़िन्दगी को  एक निश्चित परिधि में नहीं  बांधा जा  सकता , क्योंकि यह  मनुष्य के व्यक्तिगत  अनुभव  के दृष्टिकोण से  भिन्न -भिन्न हो सकती  है। जो मनुष्य सुखों  में  जन्मा  हो ,सुखों में पला  हो,सुख की  छाया  में  बड़ा  हुआ  हो , जिसके  पैरो  में  न कभी दुःखों के  कांटे  चुभे हो,न जिसने  कभी अभावों  की धूप  सही हो ,उसके लिए  जीवन  की  परिभाषा  अलग  हो सकती है और  जो दुखों और अभावों  में पैदा होकर  दुःख और अभावों  में जी  रहा  हो  ,उसके  लिए जीवन का अर्थ  अलग हो सकता है. किन्तु  ऐसे मनुष्यो को यह नहीं सोचना  चाहिए कि  उसके दुखो  की रात  की सुबह  होगी ही  नहीं।रात चाहे जीतनी लम्बी हो ,अँधेरे को चीरकर सूरज आता ही है ,लेकिन यह उजाला भी  तो स्थाई  नहीं ,देखते -देखते यह दिन भी ढल गया ,फिर से रात आ गयी। यही जीवन है -सुख के बाद दुःख और दुःख के बाद सुख।

 

Hindi Hindustaniलेकिन जिसके जीवन में दुःख की रात इतनी लम्बी हो जाती है ,सुख के सूरज का इंतज़ार करते -करते धैर्य छूट जाता है और यह मान लेता है कि अब उसके जीवन में सुख का सवेरा आएगा ही नहीं।दुखों की रात में ही जिंदगी कट जाएगी। उसे आशा,विश्वास धैर्य ,ईश्वरीय आस्था जैसे शब्द अर्थहीन -बेमानी लगने लगते है। लेकिन ,याद रखो -निराशा के गहन अंधकार को दूर करने के लिए किसी चिराग की नहीं ,आशा की चिंगारी बहुत है।     यह गीत  तो आपने सुना ही होगा कि- 

दुनिया  में  अगर  आये है  तो जीना ही पड़ेगा , जीवन है  अगर ज़हर तो पीना  ही पड़ेगा, 

 लेकिन  दुखी मन से नहीं ,प्रसन्न  मन से..साकारात्मक  सोचे ,अपना  कर्म  करते  रहे  ,दुःख, कष्ट ,अभावों की  आग में जलते रहे ,आशा -विश्वास और धैर्य के साथ। जिस दिन इस आग से निकलोगे  .. कुंदन बनकर  निकलोगे ,दुनिया तुम्हारी चमक  देखेगी। समय परिवर्तनशील है  ,  गतिशील है।दुनिया के कई सफल व्यक्ति इस  बात  के   प्रमाण हैं।  कर्मयोगियो   के जीवन में  रात आ तो सकती है लेकिन ठहर  नहीं सकती।ज़िन्दगी चाहे जीतनी मुश्किलों भरी हो ,ज़िन्दगी को ललकारते हुए कहो –

 



मैने ना कभी ज़िन्दगी को तलाशा
ना मुझे कभी ज़िन्दगी की तलाश थी
जहाँ जहाँ मैं गुजरा
Hindi Hindustaniज़िन्दगी की परछाई थी 
तोड़ कर घरौंदा  मेरा
 ज़िन्दगी  मुस्कुरायी थी
जहाँ कभी आशियाना था मेरा
अब वहाँ रेत  बिखर आयी थी
धका  देकर ज़िन्दगी को मैं 
घरौंदा   खुशियों का बना लेता हूँ
बनकर लहर ज़िन्दगी
घरौंदा  मेरा बहा ले जाती है 
मगर बाकी है  रेत अब भी
Hindi Hindustani दरिया किनारे
ज़िद  है मेरी भी अब
दरिया का किनारा 
छोड़कर नहीं जाऊगा
ले लो इम्तिहाँ चाहे जितना
 मेरे सब्र  का
 रेत से अब घरौंदा  नहीं

ईंटों से  घर अपना बनाऊगा


 


 




 


 

 

 






 

 

 

  

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