inspiration-motivational thought
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मनुष्य जीवन दुर्लभ है ,मनुष्य जीवन परमात्मा का उपहार है ,वरदान है
संसार के सभी जीवों में मनुष्य ही श्रेष्ठ है
परमात्मा को कोटि -कोटि धन्यवाद देने जैसा
परमात्मा द्वारा सृजित अनुपम श्रेष्ठ कृति है मनुष्य जीवन
पूर्वजन्म के सत्कर्म का संचित फल है मनुष्य जीवन
किन्तु ,लगातार मिलने वाले दुखों से मनुष्य जीवन के प्रति नकारात्मक सोच बना लेता है। जीवन पहाड़ सा लगने लगता है ,दुःख समुन्द्र की गहराई जितने गहरे जान पड़ते है। जीवन वरदान नहीं ,अभिशाप लगने लगता है। कभी विधाता ,तो कभी भाग्य को कोसता है। लेकिन लगातार मिलाने वाला सुख भी तो जीवन नहीं है। सुख -दुःख से मिलकर ही तो जीवन बनता है। किनारे ही तो नदी को सागर तक ले जाते है। सोचे ,किनारे ना होते तो क्या होता ?जीवन में केवल सुख ही सुख होते ,तो जीवन कैसा होता ?
सफलता तो पानी है
क्योकि सफलता नहीं, तो ज़िन्दगी पानी -पानी है
अरे नहीं ,सफलता तो पानी है ,
आनी है और बह जानी है
बस रह जानी कहानी है
यही तो ज़िन्दगानी है
गिरना है,उठाना है फिर चलना है
इसी में तो जवानी की रवानी है
डा. राधा कृष्ण जी ने कितना सच कहा है कि जीवन ताश के पत्तो की तरह हैं.. हमने न ताश के खेल का आविष्कार किया न ताश के नमूने बनाए। हमने खेल के नियम भी खुद नहीं बनाए ,ताश के पत्तों के बटवारें पर भी हमारा कोई नियंत्रण नहीं। पत्ते बाँट दिए जाते है -वे अच्छे हो या बुरे ,खेलना हमें ही पड़ता है। हम अपनी कुशलता से ख़राब पत्तों के बावजूद जीत भी सकते है और अपनी अकुशलता से अच्छे पत्तों के होते हुए हार भी सकते है. ज़िंदगी भी इसी तरह है ,हम अपनी कुशलता से दुःख भरे जीवन को सुखमय बना सकते है और अपनी अकुशलता से सुखमय जीवन को दुःखमय बना सकते है। हम अपने दुख का कारण खुद होते है ,सच तो यह है कि दूसरों को ज़िम्मेदार बता कर हम अपनी कमजोरिओ को छिपाते है।
ज़िन्दगी खेल है-शतरंज और ताश का। जैसे शतरंज खेल में खिलाडी सारे दाव -पेंच लगाकर प्रतिद्वंदी को मात दे देना चाहता है ,लेकिन प्रतिद्वंदी बाज़ी जीत ले जाता है। आपने तो बहुत कोशिश की थी जीतने की ,लेकिन सारी कोशिशों के बावजूद भी हार गए न। ज़िन्दगी भी कुछ ऐसी ही है.सारी कोशिशों के बाद भी हम मुसीबतों और परेशानियों से हार जाते है। इसका मतलब यह तो नहीं कि यह ज़िन्दगी की आखरी लड़ाई थी जिसे हम हार गए हो। लड़ाई अभी बाकी है और चलती रहेगी। ज़िन्दगी की आखरी साँस तक।इसे तब तक लड़ते रहना है जब तक आखरी साँस बाकी है।
ज़िन्दगी इतनी मुश्किलों से भरी हुए नहीं है ,जितना हमने उसे बना दिया है।
मेरी ज़िन्दगी अच्छी नहीं है ,अगर नहीं है तो ऐसा सोचो – मेरी ज़िन्दगी आज नहीं तो कल ज़रूर अच्छी हो जाएगी।
ज़िन्दगी में ख़ुशी नहीं है कोई बात नहीं ,मैं खुश हूँ … बहुत खुश हूँ ,, ऐसा कहकर अपने आप को बे-वकूफ बना लो खुश रहने का इससे बढ़िया कोई उपाय नहीं
ज़िन्दगी ज़ीने के दो ही तरीके है –
ज़िन्दगी जैसी चल रही है वैसी ही चलने दो
या फिर जैसी नहीं और जैसी चाहिए उसके लिए कोशिश करो
ज़िन्दगी है खेल
कोई पास ,कोई फ़ैल
खेल इसे तू खेल
ज़िन्दगी है रेल
इसमे बहुत है ठेलम-तेल
वक़्त पर गए तो मिल जाएगी
वरना छूट जाएगी




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