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inspiration-motivational quotes in hindi

December 26, 2016
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प्रेरक  वचन 

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प्रेरक  वचन 

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नेकी अगर नेक करनेवाले के दिल में रहे तो नेकी है ,बाहर निकल आये तो बदी  है।

पाप वह अग्नि कुंड है जो आदर ,मान-सम्मान  और प्रतिष्ठा जैसे गुणों को भी जलाकर भस्म कर  देता है।

आग से आग भड़कती है और पाप से पाप बढता है। आग पानी से बुझती है और पाप ,पुण्य से कम  होता है।

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पाप करनेवाला मनुष्य होता है ,पाप करके प्रायश्चित करनेवाला महान होता है और पाप करके भी अहंकार करनेवाला शैतान होता है।

मनुष्य पाप  तभी करता है जब मन में पाप होता है

मनुष्य का उद्धार मरणोपरांत पुत्र द्वारा मुखाग्नि देने ,पिण्ड  दान करने या गंगा में अस्थियाँ  प्रवाहित करने से नहीं होता। मनुष्य का उद्धार उसके सत्कर्मों से होता है।



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जिस मनुष्य को अन्याय अत्याचार और अपमान पर क्रोध आता है ,यह पुरुषार्थी का गुण  है और जो इन सब को  प्रतिरोध किये बिना मूक भाव से सहन करता है ,यह क्लैब्य और पुरुषार्थहीनता का लक्षण है।


भाग्य कुछ नहीं ,पुरुषार्थ का प्रतिफल है। भाग्य पुरुषार्थ का अनुचर है। पुरुषार्थ करने से ही जीवन के मनोरथ पूर्ण होते है। भाग्य के भरोसे मनोरथ पूर्ण होने की कामना रखना हथेली पर सरसो ज़माने जैसा है। पुरुषार्थ किये बिना लक्ष्मी का वरण असंभव है।


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Hindi Hindustaniसौभाग्य और दुर्भाग्य मनुष्य की दुर्बलताएँ  है। पुरुषार्थ ही सबका नियामक है। पुरुषार्थ ही सौभाग्य को खींचकर लाता है।

ईश्वर ने सभी को सुख के पर्याप्त साधन देकर भेजा है। इस पर मनुष्य खुश न हो तो इसमे ईश्वर का क्या दोष ?


भय सिर्फ डराता है। जैसे ही भय करीब आये ,भय पर प्रहार करों ,वह स्वयं आपसे डरकर भाग खड़ा होगा।



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बुरे लोगों की दृष्टि कमज़ोर होती है ,उन्हें बुराई का आरम्भ तो दिखाई देता है किन्तु अंत नहीं। 

असाधारण लोग विवेकसे सीखते  है ,साधारण लोग अनुभव से सीखते  है ,अज्ञानी आवश्यकता से सीखते है। 

पानी को बिलौने  से मक्खन नहीं निकालता ,वैसे ही निरर्थक प्रयास करने से अभीष्ट की  प्राप्ति नहीं होती। 


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भय से ही बुराई  आती है ,भय से ही पाप उत्पन्न होता है ,और भय से ही मनुष्य का पतन होता है। 

सुख और दुःख मन से उत्पन्न स्तिथितयाँ  है। मन के हारे हार है ,मन के जीते जीत। 

भय से ही मनुष्य ईश्वरका स्मरण करता है। यदि मनुष्य सदैव ही ईश्वर का स्मरण करें तो भय होगा ही नहीं। 


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मान -सम्मान और प्रतिष्ठा बाजार में मिलनेवाली वस्तु नहीं जिसे पैसे देकर ख़रीदा जा सके। मान -सम्मान और प्रतिष्ठा सत्कर्मों का ही प्रतिफल है। 

 जैसे पेड़ पर लगे फल का गिरना और दीपक का बुझना  निश्चित है,वैसे ही जिस किसी ने जन्म लिया है ,उसकी मृत्यु होना भी निश्चित है ,फिर मृत्यु से भय कैसा ?

दूसरे के गुणों की प्रशंसा में वक़्त जाया करने से अच्छा है ,उतना ही वक्त उन गुणों को अपनाने में लगाए। 


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काबिल वह है ,जिसकी तारीफ दुश्मन भी करें। 

प्रेम वसंत बयार है और द्वेष गर्मी की लू। प्रेम वसंत फूलों को खिलाता है और द्वेष की गर्मी उसे जला  देती है।  

प्रेम में हार -जीत नहीं होती। प्रेम तो दो का एक हो जाने का नाम है। 




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  बुद्धिहीन दो पैर वाला  सिंग रहित पशु है। 

दूसरों को जानना विद्वता है किन्तु स्वयं को जान लेना बुद्धिमता है। 

बुद्धिमान के लिए कुछ भी अप्राप्य -असाध्य नहीं। 

बुद्धिमान वह है जो थोड़ा पढ़ता है ,चिन्तन अधिक करता है ,बोलता कम  है और सुनता  ज्यादा है 

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