विचारों का झरना –inspiration-motivational quotes in hindi -4
विचारों का झरना
धूप का ऐसा तना वितान , अंधेरा कठिनाई मे फँसा
भागने की जब मिली न राह , आदमी के भीतर जा बसा ॥
दुनिया में मुफ्त में कुछ नहीं मिलता। हर चीज की कीमत चुकानी पड़ती है। मुफ्त में अगर कुछ मिलता है तो वह है –धोखा। यदि कोई मुफ्त में कुछ दे तो सावधान हो जाना चाहिए।
गंजों के शहर में सिर पर बाल उगाने वाला तैल ही बिक सकता है ,कंघे नहीं
यदि किसी को तैरना ना आता हो और यह जानकार भी वह नदी में कूद जाये ,तो ईश्वर बचाने नहीं आएगा
ज्यादा समझदारी से बढ़कर कोई अन्य नासमझदारी की बात नहीं होती
सोये हुए कुत्ते ,शेर ,और साँप को जगाना जान-बूझकर खतरा मोल लेना है
बुद्धिमान वहाँ शासन करते है जहाँ मूर्खों की संख्या ज्यादा होती है
ईश्वरीय और प्रकृति के नियम के अतिरिक्त संसार में कुछ भी स्थायी नहीं है
ज़रुरत से ज्यादा दौलत मूर्खों को नष्ट कर देती है और समझदार को मुसीबत और संशय में डाल देती है
धन-दौलत से सम्पन्न धर्म गुरुओं की चौखट पर लोग चलकर जाते है ,सच्चे धर्म गुरुओं को लोगों की चौखट पर चलकर जाना पड़ता है
क्रोध पर काबू कर लेना आपका गुण कहलायेगा किन्तु सिद्धान्तों के साथ समझौता करना आपका अवगुण प्रमाणित होगा
यदि आप एक ही कर्म से सारी दुनिया को अपने काबू में करना चाहते हो तो दूसरो की बुराई करने वाली जुबान पर लगाम लगा दीजिये
जीवन आज और अभी है। भूत और भविष्य में नहीं। जो जीवन को भूत और भविष्य में ढूढता है वह आज के सुख से स्वयं को वंचित कर लेता है। भूत और भविष्य में जीवन ढूढना पत्थर में चेहरा देखना और पत्थर के पिघलने का इंतज़ार करने जैसा है
जीवन का महत्व इसलिए है कि मृत्यु है। मृत्यु ना हो तो ज़िन्दगी बोझ बन जाएगी। इसलिए मृत्यु से डरो नहीं ,उसे मित्र बनाओ –रजनीश
मृत्यु का यह रहस्य नहीं है कि वह अवश्य आएगी लेकिन कब आएगी यह पता नहीं होना ,रहस्य है।
ईर्ष्या उस माचिस की तीली के सामान है जो जलती तो है दूसरो को जलाने के लिए किन्तु पहले खुद जलती है
जिसकी बुद्धि मलिन हो चुकी हो ,उसे शास्त्र भी भले-बुरे का ज्ञान नहीं करा सकते
दुर्जन यदि मीठा भी बोले तो विश्वास मत करो क्योकि उसकी जुबान पर तो शहद लगा हो सकता है किन्तु भीतर ज़हर भरा रहता है
जैसे में धूप में रखे बर्तन का पानी भाप बनकर उड़ जाता हैऔर बर्तन रह जाता है वैसे ही आलस्य में पड़े मनुष्य का सुख उड़ जाता है सिर्फ कष्ट रुपी शरीर रह जाता है
क्रोध मूर्खता से शुरू होकर पश्चाताप पर जाकर ख़त्म होता है
दुःख ,दर्द ,चिता ,परेशानियां परिस्तिथि से लड़ने से दूर नहीं होती । वे दूर होगी अपने भीतर की दुर्बलता को हराने से ,जिसके कारण वे पैदा हुई है
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