कुछ भी नया करने से पहले उसके दोनों पहलुओं को देख लो ,बड़े नुक्सान से बच जाओगे। जोश के साथ-साथ होश भी ज़रूरी है।
वक़्त किसी का गुलाम नहीं।आपके बैठ जाने से वक्त नहीं बैठेगा ,आपके सो जाने से वक़्त नहीं सो जायेगा ,आपके अच्छा या बुरा कह देने से वक़्त अच्छा या बुरा नहीं हो जायेगा। वक़्त ना धीरे चलता है ,ना जल्दी। वक़्त -वक़्त होता है। आप वक़्त को अपने मुताबिक नहीं ढाल सकते ,आपको ही वक़्त के मुताबिक ढालना पड़ेगा।
बुरा करके अच्छा पाने की उम्मीद रखना वैसी ही बेवकूफी है ,जैसे पीतल देकर सोना पाने की उम्मीद रखना।
ताते पैर पसरिए तति लम्बी सौर -चिंता मुक्त रहने का इससे बढ़िया कोई दूसरा उपाय नहीं। आमदनी से जयादा खर्च मत करो ,वरना पछताना पड़ सकता है।अनुभवसे ,
ब्याज पर तब – तक उधर ना लो जब तक मूल सहित चुकाने की हैसियत ना हो ,वरना आज के दुःख से ज्यादा दुःख भविष्य में भोगोगे। अनुभव से
समझदार वही है, जो इशारे में समझ जाये
जन्म और मृत्यु के बीच का अंतर ही जीवन है।
सारे अवगुणों का नाश कर लोगे तो देवता बन जाओगे ,सारे दुर्गुणों को अपनालोगे तो दानव बन जाओगे ,थोड़े -थोड़े गुण ,थोड़े -थोड़े अवगुण रखोगे तो मानव रह जाओगे। सोचे -क्या बनना है ?तीन विकल्प हमारे सामने है और और सोचने के लिए ईश्वर ने दिमाग दिया है। फैसला हमें ही करना है।
मृत्यु शरीर को तो नष्ट कर सकती है ,लेकि मनुष्य के सत्कर्मों को नहीं। पुण्यतिथि पर महापुरुषों को याद करना इस बात का पुख्ता सबूत है।
काम और आराम तथा भोजन और -भजन में संतुलन बना लिया तो ज़िन्दगी का सफर आसान हो जायेगा।
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