how to create positive thinking

how to create positive thinking
how to create positive thinking
हम अपने आसपास बहुत से ऐसे लोगों को देखते है ,जो थोड़ी सी कठिनाई से भी परेशान हो जाते है और बहुत से लोग ऐसे भी होते है जिनका जीवन परेशानियों से घिरा होने के उपरांत भी सहज और सामान्य नज़र आते है .कठिनायों में परेशान हो जाना अथवा सामान्य बने रहने का कारण कोई और नहीं बल्कि स्वयं होते है .मनुष्य के परेशान अथवा सामान्य होने का कारण होता है –मनुष्य की स्वयं की नकारात्मक अथवा साकारात्मक सोच .
क्या है सकारात्मक और नकारात्मक सोच ?
सकारात्मक और नकारात्मक सोच का अर्थ है कि हम विषम स्थिति को किस दृष्टिकोण से देखते है .
यदि मनुष्य जीवन में आनेवाली परेशानियों को इस दृष्टि से देखें कि जीवन है तो परेशानी भी आएगी और परेशानी आएगी तो उसका सामना भी करना पड़ेगा .कोई भी स्थिति स्थाई नहीं होती .परेशानी जैसे आई है ,कुछ समय बाद चली भी जाएगी .यदि मनुष्य इस दृष्टिकोण से सोचे तो यह साकारात्मक सोच होगी ,
इसी स्थिति के लिए कोई व्यक्ति यह सोचे कि अब क्या होगा ? यह स्थिति नकारात्मक कहलाएगी
स्थिति एक ही है और एक ही स्थिति एक के लिए साकारात्मक है तो दूसरे के लिए नकारात्मक ,सकारात्मक अथवा नकारात्मक दृष्टि से उत्पन्न भाव अथवा विचार है
सकारात्मक सोच का अर्थ है सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ जीवन की चुनौतियों का सामना करना।
सकारात्मक व्यक्ति चुनौतियों का सामना करने पर ध्यान केंद्रित करता है।
सकारात्मक होना मनुष्य की मानसिक, भावनात्मक और शारीरिक स्थिति को प्रभावित करता हैं। यहां हम बात करेंगे कि सकारात्मक होना क्यों महत्वपूर्ण है:
साकारात्मक सोच का व्यक्ति स्थिति को को नियंत्रण में कर अपनी नकारात्मक सोच को सकारात्मक सोच में बदल देता
सकारात्मक बनने के लिए आपको जीवन में अच्छे विचारों को अपनाना होगा। अच्छा सोचना होगा।
यदि जीवन में कभी अनैच्छिक स्थिति आ जाए या कुछ अप्रिय घटित हो जाए तो इस प्रकार सोचे -सब ठीक हो जाएगा ,आज नहीं तो कल ….मै इस स्थिति से बाहर निकलने के लिए अपना प्रयास करना जारी रखूंगा, कुछ समय बाद मेरा भविष्य बहुत अच्छा होने वाला है।
जो लोग जीवन के प्रति अधिक सकारात्मक दृष्टिकोण रखते हैं ,उन पर तनाव हावी नहीं हो पता हैं,
सकारात्मक सोच से आपके आस-पास के लोग आपसे प्रभावित होते हैं । हमेशा अच्छा सोचे ,प्रसन्न रहे , अच्छे स्वास्थ्य और सफलता के बारे में सोचें ,ऐसा करने पर लोग आपकी सराहना करेंगे और आपके आस-पास रहना चाहेंगे। सकारात्मक दृष्टिकोण आनंद का वातावरण पैदा करता है।
सकारात्मक सोच तनाव, चिंता और अवसाद को कम कर सकती है। जब आप सकारात्मक सोचते हैं, तो आप नकारात्मक विचारों को पीछे छोड़कर बहुत आगे निकल चुके होते हैं।
बहुत अधिक सोचना भी नकारात्मक विचारों को बढ़ा सकता है । जब मनुष्य ज्यादा व्याकुल होता है ,तब रात को ठीक से सो नही पता और जागते हुए दिमाग में मंथन चलता रहता है। उस समय नकारात्मक विचार पूरी तरह तर्कसंगत व तार्किक लगने लगते है और मनुष्य इसी सच मानने लगता हैं।
अविश्वास की भावना भी नकारात्मकता को बढाती है . जब हम किसी पर अविश्वास करने लगते है, तो हमें ऐसा लगाने लगता है कि हम उनके साथ जो साझा करते हैं या जो हमारे लिए महत्वपूर्ण है वह उस व्यक्ति के पास सुरक्षित नहीं है।नकारात्मकता से बचने के लिए आपका विश्वासी होना भी अनिवार्य है . विश्वास सभी रिश्तों का एक महत्वपूर्ण और कोमल पहलू है. अविश्वास -विश्वास ही हमें कमजोर और साहसी बनाता है .
सकारात्मक मानसिकता असफलताओं और चुनौतियों से लड़ने में मदद करती है। सकारात्मक मानसिकता समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करने के बजाय समाधान खोजने के प्रेरित करती है।
रिश्तों को बढ़ाने और उसे मज़बूत करने में सकारात्मक मानसिकता की अहम भूमिका है: सकारात्मक लोग आम तौर पर अधिक सुलभ, सहानुभूतिपूर्ण और सहायक होते हैं।
चिकित्सा विज्ञानं के अनुसार सकारात्मक सोच निम्न रक्तचाप, हृदय रोग के जोखिम को कम कर मजबूत प्रतिरक्षा प्रणाली को विकसित कर शारीरिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है:
सकारात्मक मानसिकता के लोग प्राय: तनाव मुक्त होते है .तनाव मुक्त रहना खुशी बढ़ाने वाले कारकों में से एक है: सकारात्मक सोच आपको अपने जीवन के साथ खुश और अधिक संतुष्ट महसूस करने में मदद कर सकती है। सकारात्मक मानसिकता नकारात्मकता को अपने नज़दीक नहीं आने देती .इस कारण मनुष्य ज्यादा अच्छे से जीवन में विचारों पर ध्यान केंद्रित कर सकता है
कुल मिलाकर, सकारात्मक होना आपके मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकता है, आपके रिश्तों को बढ़ा सकता है, और आपकी खुशियाँ बनाये रख सकता है।
एक सकारात्मक सोच मानसिकता बनाना चुनौतीपूर्ण हो सकता है, लेकिन यह लगातार प्रयास और अभ्यास के साथ संभव है।
नकारात्मक विचारों को चुनौती दें: । नकारात्मक विचारों को सकारात्मक विचारों में बदलने की कोशिश करें।
सकारात्मक पर ध्यान केंद्रित करें: अपने जीवन के सकारात्मक पहलुओं को पहचाने । यह आपकी मानसिकता को सकारात्मकता की ओर स्थानांतरित करने में मदद कर सकता है।
अपने आस पास सकारात्मकता का घेरा बनाये . अपने आप को सकारात्मक मानसिकता रखनेवाले लोगों के करीब रखें , प्रेरणादायक पुस्तकें पढ़ें, ऐसी फिल्में देखें जिसमे मुसीबतों से जूझते हुए अंत में विजय दिखाई गई हो. यें कुछ ऐसे तरीकें है जो सकारात्मक सोच को मजबूत करने में मदद करती है।
माइंडफुलनेस का अभ्यास करें: माइंडफुलनेस आपको अपने विचारों और भावनाओं के बारे में अधिक जागरूक होने में मदद कर सकती है। यह आपको वर्तमान में बने रहने और नकारात्मक सोच से बचने में भी मदद कर सकता है।
याद रखें कि सकारात्मक सोच वाली मानसिकता बनाना एक लम्बी और जटिल प्रक्रिया हो सकती है,विपरीत स्थितियों को ठीक होने में समय लग लगता है , आशावादी बनकर प्रयत्न और मेहनत करनी पड़ती है। लगातार अभ्यास और समर्पण के साथ, आप एक सकारात्मक मानसिकता विकसित कर सकते हैं .ऐसा करके आप आनंद पूर्ण जीवन जी सकते है ।
आशावादी सोच रखने और अति आशावादी होने में अंतर है .अति आशावादी होना अत्यंत घातक भी हो सकता है , विशेष रूप से उन लोगों के लिए जो चिंता और अवसाद से ग्रस्त हैं। अनुसंधान से पता चलता है कि सकारात्मक सोच रखकर विपरीत स्थितियों को बदलने का आत्मविश्वास रखने वालों को तो लाभ हो सकता है, किन्तु आत्मविश्वास की कमी वाले लोगों के लिए उल्टा पड़ सकता है।
जब भी आपको महसूस हो कि आप नकारात्मक विचारों के बीच फंस रहे हैं, कुछ ऐसे काम करें जिनसे आपको खुशी महसूस हो। टहलें, म्यूजिक सुनें, कोई मज़ेदार टीवी शो देखें या फिल्म देखने जाए , कुछ हल्का-फुल्का पढ़ें। इससे आपका ध्यान बुरे ख्यालों से दूर होगा और आपका मन शांत रहेगा।
सकारात्मक दृष्टिकोण रखनेवाले लोगों के लिए असफलता, सफलता ,सुख-दुःख जीवन चक्र का एक हिस्सा है, इसलिए वे हारकर भी निराश नहीं होते ,ऐसे लोग जीतने की कला जानते हैं और उनका सम्मान दुनिया के हर क्षेत्र में होता है। ऐसे लोग ही तनाव रहित होकर जीवन का आनंद लेते है .
यदि आप भी नकारात्मक विचारों से दूर होने का रास्ता तलाश रहे हैं ,तो अब तक की बातों को कहानी की पढ़कर भूलें नहीं ,बल्कि इन बातों पर अमल करें ..
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