Hindi Hindustani
social

hindi poem –

May 19, 2016
Spread the love

hindi poem –

Hindi Hindustani

hindi poem –

 
 
 
 
 
Hindi Hindustani
 
 
 
हंगामा नहीं होता 
गर  वो क़त्ल भी करे
हम  बदनाम हो जाते है 
गर आह भी भरे
उनके सात खून भी माफ़ है 
क्योकि वे ख़ास है 
हम ख़ुदकुशी भी करे तो  गुनहगार है 
क्योकि हम ख़ास नहीं ,आम है 
 
Hindi Hindustani







कभी- कभी ऐसा भी होता है

 हंसती है नागफनी
गुलाब रोता  है
रंजोगम न हो फिर  भी 
गमजदों सा नींद अपनी खोता  है 
 तो कोई  गम की स्याह रात  में भी
नींद चैन की  सोता है
कौड़ी जेब में ना फूटी 
शहंशाह बनके जीता है 
तो कोई शहंशाह होकर भी 
फ़क़ीर बनके जीता है
 कभी- कभी ऐसा भी होता है

Hindi Hindustani








माना  कि
 

  ऐतबार की आड़ में

 दगा होता  है
तो क्या ऐतबार  पर
 ऐतबार   करना  छोड़ दे
आंधियों के डर से 
चिड़िया घोसला 
और आदमी 
चिराग जलाना छोड़ दे 
पहचान के तो देख खुद को 
तू वो है 
जो चीर  सकता है सीना पहाड़ों का 
और आँधियों का मुँह  मोड़ दे 
 
                                        

No Comments

    Leave a Reply

    error: Content is protected !!
    error: Alert: Content is protected !!