goa statehood day-30 may
गोवा मुक्ति-संग्राम
साढ़े चार सौ साल तक पुर्तगालियोंके अधिन रहा गोवा भारत की आज़ादी के भी 14साल बाद पुर्तागालियीं की अधीनता से मुक्त हुआ . गोवा को मुक्त होने में 450 साल तक संघर्ष करना पड़ा .
पुर्तगालियों के आगमन से पूर्व गोवा पर आदिलशाह का शासन हुआ करता था।पुर्तगालियों ने पहले गोवा के हिस्से को अपने अधिकार में कर लिया ,तत्पश्चात आगामी कुछ वर्षों में गोवा की सीमाओं को अपने अधीन कर लिया.
गोवा को पूरी तरह अपने अधीन करने के बाद पुर्तगालियों ने स्थानीय लोगों के धर्म पर पाबंदियां लगाना प्रारंभ कर दिया .इससे स्थानीय लोगों पुर्तगालियों के विरुद्ध हो गए और विद्रोह करने लगे .विद्रोहियों ने कुछ पादरियों की हत्या कर पुर्तगालियों के विरुद्ध संघर्ष का शंखनाद कर दिया ..यह संघर्ष कई सालों तक चलता रहा .
1926 में तरिस्ताव दे ब्रागांझा कुन्हा ने गोवा मुक्ति आन्दोलन की बागडोर संभाली .जब आन्दोलन जोर पकड़ने लगा तो पुर्तगाली शासकों ने विद्रोहियों को कुचलने के कई कड़ी पाबंदिय लगा दी .
गोवा मुक्ति आन्दोलन को प्रबल बनाने के लिए महिलाये भी इस मुक्ति से जुड़ गयी ,जिनमे सुधा ताई जोशी,
सुशीला ताई पड़ियार ,शारदा सावलेकर ,डॉ.रत्ना खवांटे नाईक का नाम प्रमुख है.
राम मनोहर लोहिया भी गोवा मुक्ति संग्राम के नायक बनाकर सामने आये .मधु लिमये भी उनके साथ हो गए . सविनय अवज्ञा आंदोलन के माध्यम से स्थानीय लोगों के अधिकारों के लिए आवाज़ उठाई .और जब आवाज़ का असर हुआ तो पुर्तगाली शासन ने राममनोहर लोहिया को गिरफ्तार कर लिया गया और मडगांव जेल में क़ैद कर दिया .इस घटना ने आन्दोलन की आग को भड़का दिया .
15 अगस्त 1947 को देश को स्वतंत्रता मिलने के बाद देश के हर हिस्से से गोवा की आज़ादी की लिए
हज़ारों सत्याग्रही गोवा पहुँच गए .पुर्तगाली शासन ने सत्याग्रहियों के विरुद्ध हिंसात्मक कार्रवाई के आदेश जारी कर दिए जिसमे 20 सत्याग्रहियों को अपने प्राणों की आहुति देनी पड़ी .
सत्य और अहिंसा का पक्षधर भारत शांतिपूर्ण ढंग से समाधान चाहता था किन्तु पुर्तगालियों को शांति की भाषा समझ में नहीं या फिर समझाने के लिए तैयार नहीं हुए .इसी बीच पुर्तगालियों की ओर से एक हत्याकांड हुआ जिसमे 20-22 लोग मारे गए .
इस हत्याकांड ने भारत को उग्र बना दिया . कृष्ण मेनन ,जो उस समय भारत के रक्षा मंत्री थे .,तत्कालीन प्रधान मंत्री जवाहर लाल नेहरू से पुर्तगाल के विरुद्ध सैनिक कार्रवाही की अनुशंसा की .-
भारत की जल, थल, वायु तीनों भारतीय सेनाओं ने मिलकर 18 दिसबंर 1961 आपरेशन विजय शुरू कर दिया .
मात्र डेढ़ दिन में पुर्तगाली शासकों ने भारतीय सेना के सामने घुटने तक दिए ..
19 दिसंबर 1961 को गोवा पुर्तगालियों के अतिक्रमण से मुक्त हुआ और भारत का हिस्सा बन गया .सालों से चले आ रहे दमन और हिंसात्मक संघर्ष को विराम मिल गया और वहां भी तिरंगा लहराने लगा .
डॉ राममनोहर लोहिया और मधु लिमये ने पुर्तगाली शासन से गोवा को मुक्ति की जो संघर्ष प्रारंभ किया था ,उस संघर्ष ने विराम पाया .गोवा के साथ दमन और दीव को भारतीय भारत के साथ मिला लिया गया।
30 मई, 1987 को गोवा को पूर्ण राज्य का दर्जा प्राप्त हुआ और गोवा भारतीय गणराज्य का 25वाँ राज्य बना।
No Comments