‘ध्रुवयात्रा’ कहानी का सारांश
कहानी-ध्रुवयात्रा – जैनेन्द्र कुमार
ध्रुवयात्रा कहानी में जैनेन्द्र कुमार ने सामाजिक, मनोविश्लेषणात्मक, यथार्थवादी ,मानवीय संवेदना को मनोवैज्ञानिक तथा दार्शनिक दृष्टिकोण में समन्वित करके एक नई विचार धारा को प्रस्तुत किया है ।
राजा रिपुदमन बहादुर उत्तरी ध्रुवे को जीतकर यूरोप के नगरों से बधाइयाँ लेते हुए भारत आ रहे हैं । इस समाचार को सभी समाचार पत्रों ने मुखपृष्ठ पर मोटे अक्षरों में प्रकाशित किया।
उर्मिला, जो राजा रिपुदमन की प्रेमिका है और उर्मिला ने राजा रिपुदमन से विवाह किये बिना उनके बच्चे को जन्म दिया है, उर्मिला भी यह समाचार पढ़ती है । उर्मिला ने यह भी पढ़ा कि राजा रिपुदमन अब बम्बई पहुँच चुके हैं, जहाँ उनके स्वागत की तैयारियाँ की जा रही हैं, लेकिन किसी प्रकार की व्याकुलता या जिज्ञासा प्रकट नहीं करती।
राजा रिपुदमन को अपने सम्बन्ध में इस प्रकार के प्रदर्शनों में तनिक भी रूचि नहीं है। इसलिए वे बम्बई में न ठहरकर सुबह होने से पहले ही दिल्ली पहुँच गये। राजा रिपुदमन प्रशंसक उन्हें अवकाश नहीं दे रहे हैं, राजा रिपुदमन आराम के लिए कुछ दिन के लिए अन्यत्र चले जाना चाहते है
राजा रिपुदमन को अपने से ही शिकायत है। उन्हें नींद नहीं आती है। वे अपने किये पर पश्चाताप कर रहे हैं। जब उर्मिला ने उनसे शादी के लिए कहा था तो उन्होंने परिजनों के भय से उर्मिलाको शादी करने से मना कर दिया था। राजा रिपुदमन को अपना यही फैसला आज उन्हें पीड़ा दे रहा है है। राजा रिपुदमन उर्मिला को लेकर बहुत चिन्तित हैं ।
दिल्ली आकर राजा रिपुदमन मानसोपचार के लिए आचार्य मारुति से मिलते हैं ।
आचार्य मारुति राजा रिपुदमन को शारीरिक रूप से स्वस्थ बताते हुए विवाह करने की सलाह देते हैं, लेकिन रिपुदमन असमर्थता प्रकट करते हुए विवाह को बन्धन में बँधना कहते हैं। आचार्य मारुति राजा रिपुदमन को प्रेम-बन्धन में बँधने की सलाह देते हुए कहते हैं कि प्रेम का इनकार स्वयं से इनकार है।
अगले दिन राजा रिपुदमन उर्मिला से मिलते हैं और अपने बच्चे का नामकरण करते हैं। राजा रिपुदमन उर्मिला से सामाजिक परंपरा के विरुद्ध अपने द्वारा किये गये व्यवहार के लिए क्षमा माँगते हैं और अपने व उर्मिला के सम्बन्धों को वैवाहिक परिणति देना चाहते हैं। किन्तु उर्मिला राजा रिपुदमन के विवाह प्रस्ताव को अस्वीकर कर देती है और राजा रिपुदमन से जीवन में निरंतर लक्ष्य की ओर बढ़ते रहने के लिए कहती है।
उर्मिला पुत्र की ओर ईशारा करते हुई कहती है कि तुम मेरे ऋण से उऋण हो और मेरी ओर से आगामी गति के लिए स्वतंत्र हो।
रिपुदमन उर्मिला को आचार्य मारुति के विषय में बताता है।
उर्मिला आचार्य मारुति को साधारणता का अनुचर बताती है। उर्मिला कहती है कि तुम्हारे लिए स्त्रियों की कमी नहीं है, लेकिन मैं तुम्हारी बंधन में बांधनेवाली पत्नी नहीं ,प्रेमिका हूँ, और तुम्हें सिद्धि तक आकांक्षा रखती हूँ, जो मृत्यु से परे है।।
रिपुदमन आचार्य मारुति से मिलता है तथा उन्हें बताता है कि वह उर्मिला के साथ विवाह करके साथ में रहने के लिए तैयार था, लेकिन उसने मुझे ध्रुवयात्रा के लिए प्रेरित किया । अब मेरे लौट आने पर वह प्रसन्न नहीं है। वह कहती है कि यात्रा की कहीं समाप्ति नहीं होती। अब वह मुझे सिद्धि तक जाने के लिए प्रेरित कर रही है।
आचार्य मारुति रहस्य उदघाटित करते हुए कहते हैं कि उर्मिला उनकी ही पुत्री है। वे उर्मिला को विवाह के लिए समझाएँगे।
जब उर्मिला आचार्य मारुति के बुलवाने पर उनके पास जाती है तो आचार्य मारुति ,उर्मिला से राजा रिपुदमन से विवाह के लिए कहते हैं।
उर्मिला कहती है कि शास्त्र से स्त्री को नहीं जाना जा सकता उसे तो सिर्फ प्रेम से जाना जा सकता है।
आचार्य मारुति उर्मिला को रिपुदमन से विवाह के लिए समझाते हैं, लेकिन उर्मिला विवाह के लिए सहमत नहीं होती । उर्मिला स्पष्ट कहती है कि मुक्ति का पथ अकेले का है।
आचार्य मारूति उर्मिला के समक्ष इस रहस्य को प्रकट करते हैं कि वे ही उसके पिता हैं।
उर्मिला आचार्य मारूति से यह कहती हुई उनके पास से चली जाती है कि इस अभागिन को भूल जाइएगा ।
उर्मिला रिपुदमन के पास लौट आती है । रिपुदमन के पूछने पर उर्मिला बताती है कि वह आचार्य से मिल चुकी है।
रिपुदमन उर्मिला का मनोरथ पूर्ण करने के लिए दक्षिणी ध्रुव के शटलैण्ड द्वीप के लिए जहाज तय करते हैं। रिपुदमन कहते हैं कि उर्मिला रूपी स्त्री के अंदर छिपी प्रेमिका की यही इच्छा है।
किन्तु अब उर्मिला रिपुदमन को दक्षिणी ध्रुव के शटलैण्ड द्वीप जाने से रोकना चाहती है, लेकिन रिपुदमन नहीं रुकते और उर्मिला के रोकने के आग्रह को अस्वीकार कर चले जाते हैं।
रिपुदमन का ध्रुव पर जाने का समाचार अखबारमें छपी खबर से पूरी दुनिया को ज्ञात हो जाता है।
उर्मिला को भी अखबार में छपी खबर से रिपुदमन के ध्रुव पर जाने का समाचार ज्ञात होता है ।
तीसरे दिन के अखबार में राजा रिपुदमन की आत्महत्या की खबर छपती है ।
उर्मिला ने अखबार पढ़ा -राजा रिपुदमन सवेरे खून से भरे पाए गए। कनपटी के आर-पार गोली का निशान है। अखबार में विवरण एवं विस्तार के साथ उनसे संबंधित अनेक सूचनाएं थी, उर्मिला ने अक्षर-अक्षर पढा-
राजा ने अपने पत्र में लिखा था कि “दक्षिणी ध्रुव जाने में उन्हें कोई दिलचस्पी नहीं थी, फिर भी वे जाना चाहते थे क्योंकि इस बार उन्हें वापस नहीं लौटना था। लोगों ने इसे मेरा पराक्रम समझा लेकिन यह छलावा है क्योंकि इसका श्रेय मुझे नहीं मिलना चाहिए। ध्रुव पर जाने पर भी मैं नहीं बचता या फिर नहीं लौटता और आत्महत्या कर के भी नहीं लौटूंगा। मैं अपने होशोहवास में अपना जीवन समाप्त करके किसी की परिपूर्णता में काम आ रहा हूं। भगवान मेरे प्रिय के लिए मेरी आत्मा की रक्षा करें।
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