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कविता के बहाने,बात सीधी थी,कुंवर नारायण,प्रश्न-उत्तर
कविता के बहाने ,बात सीधी थी ,कुंवर नारायण ,प्रश्न-उत्तर
प्रश्न ‘कविता एक उड़ान हैं चिड़िया के बहाने’-पक्ति का भाव बताइए।
उत्तर – इस पंक्ति का अर्थ यह है कि कवि आकाश मे उड़ती चिड़िया से अभिप्रेरित हुआ .कवि ने चिड़िया से प्रेरणा लेकर कल्पना के पंख लगाकर उड़ना सीखा और कल्पना की ऊँची-ऊँची उड़ान भरने लगा ।
प्रश्न – कविता की उड़ान कहाँ तक है ?
उत्तर- कवि की उड़ान मनुष्य के ह्रदय में व्याप्त मनोभाव से लेकर बाह्य संसार जहाँ तक फैला हुआ है ,वहाँ तक है .जैसे आकाश अनंत है ,वैसे ही कवि की कल्पना का आकाश अनंत और सीमा रहित है .
प्रश्न कविता की उडान व चिडिया की उडान में क्या अंतर हैं?
उत्तर – चिड़िया की उड़ान एक सीमा तक होती है, परंतु कविता की उड़ान अनंत होती है। चिड़िया की उड़ान सीमित है और कविता की उड़ान असीमित है .
प्रश्न –चिड़िया और कविता में क्या साम्य है ?
उत्तर – चिड़िया पंखों से उड़ान भरती है तो कविता कल्पना के पंख लगाकर उड़ती है।
प्रश्न-‘कविता एक खिलना हैं, फूलों के बहाने’ का क्या तात्पर्य है ?
उत्तर – खिला हुआ फूल ही कवि की प्रेरणा बनता है .कवि ने दूसरे के ह्रदय को प्रफुल्लित करने का गुण फूल से ही सीखा .कवि के मन में भाव फूलों को देखकर ही विकसित हुए ।
प्रश्न- कविता रचने और फूल खिलने में क्या साम्यता हैं?
उत्तर – जिस प्रकार फूल अपनी सुगंध मन को प्रफुल्लित करता है, उसी प्रकार कविता भी पाठक और श्रोता मन को प्रफुल्लित कराती है ।
प्रश्न- बिना मुरझाए महकने से क्या आशय हैं?
उत्तर – बिना मुरझाए महकने से आशय है कि कविता कालजयी होती है और अनंतकाल तक
कविता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता .
प्रश्न- ‘कविता का खिलना भला कूल क्या जाने ‘-पंक्ति का आशय स्पष्ट कीजिये ।
उत्तर – इस पंक्ति का आशय यह है कि फूल के खिलने व मुरझाने की सीमा है, एक अवधि के बाद फूल मुरझा जातां है किन्तु कविता कालजयी होती है और अनंतकाल तक कविता का अस्तित्व समाप्त नहीं होता .
प्रश्न – कविता को किसके समान बतलाया है और क्यों?
उत्तर – कविता को बच्चों के खेल के समान बतलाया गया है क्योकि कवि की कविता भी बच्चों के खेल के समान निश्छल ,निष्कपट ,निष्पक्ष और भेद रहित होती है
प्रश्न- कविता और बच्चों के खेल में क्या समानता हैं?
उत्तर – बच्चों का खेल भी निश्छल ,निष्कपट ,निष्पक्ष और भेद रहित होता है और कवि की कविता भी निश्छल ,निष्कपट ,निष्पक्ष और भेद रहित होती है
प्रश्न- कविता की कौन-कौन-सी विशेषताएँ बताई गई हैं?
उत्तर – कविता चिड़िया की भांति उड़ सकती ,फूल की तरह खिल सकती है और बच्चों के खेल के समान शब्दों और भावों का खेल खेलती है ।
प्रश्न – सब घर एक कर देने से क्या आशय है ?
उत्तर – कवि और बच्चा सभी घरों को एक समान समझता है ,दोनों ही भेद-भाव से परे होते है ।दोनों ही अलग-अलग को एक सूत्र में बाँध देते है .
प्रश्न- कविता के बहाने कविता का केन्द्रीय भाव अपने शब्दों में लिखिए
उत्तर- कवि ने चिड़िया की उड़ान देखकर कल्पना के पंख लगाकर उड़ना सीखा ,फूलों को देखकर खिलना सीखा किन्तु चिड़िया की उड़ान की सीमा है, फूल के खिलने के साथ उसका मुरझाना निश्चित है, लेकिन बच्चे के सपने असीम हैं। बच्चों के खेल में किसी प्रकार की सीमा का कोई स्थान नहीं होता। कविता भी शब्दों का खेल है और शब्दों के इस खेल में जड़, चेतन, अतीत, वर्तमान और भविष्य-सभी उपकरण मात्र हैं। इसीलिए जहाँ कहीं रचनात्मक ऊर्जा होगी, वहाँ सीमाओं के बंधन खुद-ब-खुद टूट जाते हैं। वह सीमा चाहे घर की हो, भाषा की हो या समय की ही क्यों न हो।
प्रश्न : ‘सब घर एक कर देने के माने’ से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर –बच्चें स्वाभाव से निश्छल, निष्कपट और निष्कलंक होते है . बच्चों में भेदभाव का कोई स्थान नहीं होता अर्थात बच्चें धर्म ,जाति,भाषा के बंधन से मुक्त होते है.एक साथ खेलकर अलग-अलग धर्म,जाति और भाषा को एक सूत्र में बाँध देते है .कविता का भी यही गुण होता है .
प्रश्न :चिड़िया की उड़ान और फूल के खिलने का कविता के साथ साम्य स्थापित कीजिये
उत्तर –उड़ना चिड़िया का गुण है और खिलना फूल का गुण है .कवि की कविता भी कल्पना की उड़ान उड़ती है और फूल की तरह विकसित होकर खिलती है .
प्रश्न : कवि की कविता और बच्चों के खेल में साम्य स्थापित कीजिये .
उत्तर – बच्चें स्वाभाव से निश्छल, निष्कपट और निष्कलंक होते है . बच्चों में भेदभाव का कोई स्थान नहीं होता अर्थात बच्चें धर्म ,जाति,भाषा के बंधन से मुक्त होते है.एक साथ खेलकर अलग-अलग धर्म,जाति और भाषा को एक सूत्र में बाँध देते है .कविता का भी यही गुण होता है .कवि की कविता भी बच्चों की तरह ही निश्छल, निष्कपट और निष्कलंक और धर्म ,जाति,भाषा के बंधन से मुक्त होती है . कविता और बच्चें दोनों ही घर ,भाषा और समय की सीमा से मुक्त होते है ।
प्रश्न 4: ‘बिना मुरझाए महकने के माने’ से क्या आशय हैं?
उत्तर –फूल खिलता अवश्य है किन्तु एक अवधि के पश्चात् मुरझा भी जाता है अर्थात फूल का अस्तित्व अल्प काल के लिए होता है किन्तु कवि की कविता कालजयी होती है .दीर्घावधि तक उसका अस्तित्व और प्रभाव बना रहता है .
प्रश्न : कविता ,फूल और चिड़िया से किस प्रकार भिन्न है ?
उत्तर –चिड़िया की उड़ान की अपनी एक सीमा और फूल के खिलने की एक सीमा है किन्तु कविता किसी भी तरह के बंधन से मुक्त होती है .
लघु उत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न- ‘भाषा के चक्कर में पड़ने ” से क्या तात्पर्य है ?
उत्तर –‘भाषा के चक्कर’ से तात्पर्य है-भाषा को क्लिष्ट शब्द प्रयोग से अलंकृत और चमत्कारिक बनाना ।
प्रश्न- जरा टेढ़ी फँस गई ,से क्या आशय है ?
उत्तर – जरा टेढ़ी फँस गई से आशय है कि सामान्य सी बात भाषा के चक्कर में उलझकर जटिल –कठिन हो गई।
प्रश्न – कवि ने बात को पाने के क्या-क्या प्रयास किया?
उत्तर – कवि ने बात को प्राप्त करने के लिए भाषा को उलटा-पलटा, तोड़ा-मरोड़ा घुमाया-फिराया ।
प्रश्न – बात और भी पेचीदा हो गई ,से क्या आशय है ?
उत्तर – बात और भी जटिल होने से आशय है- काव्य का कथ्य पहले की तुलना में और भी अधिक जटिल ,कठिन हो जाना .
प्रश्न- कवि को क्या करना चाहिए था ?
उत्तर – कवि को धैर्य पूर्वक विचार करना चाहिए था ।
प्रश्न- ‘पेंच को खोलने की बजाय कसने’-से क्या आशय है ?
उत्तर – ‘पेंच को खोलने की बजाय कसने’से आशय है- कविता को सरल ,सहज और सुबोध बनाने की अपेक्षा और अधिक जटिल ,कठिन और अलंकृत बना देना .
प्रश्न- करतब किसे कहा गया है?
उत्तर चमत्कृत भाषा प्रयोग को करतब कहा है।
प्रश्न- कवि अपने काव्य में काव्य चमत्कार क्यों दिखलाना चाहता है ?
उत्तर – कवि अपने काव्य में काव्य चमत्कार इसलिए दिखलाना चाहता है ताकि इस काव्य चमत्कार से एक विशिष्ठ वर्ग से उसे मान-सम्मान और प्रतिष्ठा होक साथ-साथ श्रेष्ठ कवि का दर्जा प्राप्त हो सकें .
प्रश्न- बात की चूड़ी मर जाने और बेकार घूमने से कवि का क्या आशय है ?
उत्तर – बात की चूड़ी मर जाने और बेकार घूमने से कवि का आशय यह है कवि जिस उद्देश्य से काव्य सृजन करना चाहता है , किन्तु जटिल,कठिन और अलंकृत भाषा प्रयोग से कवि का यह प्रयास समाज के बड़े वर्ग अर्थात जन सामान्य तक पहुँच ही नहीं पाया .वैसे भी कवि की कविता मनुष्य के ह्रदय को स्पर्श का न कर पाए तो कवि का काव्य सृजन करना व्यर्थ है .
प्रश्न- कवि ने कवि की कविता को कैसा बतलाया ?
उत्तर – ऊपर से ठीक-ठाक ,पर अंदर से न तो उसमें कसाव था और न ताक़त अर्थात बाह्य रूप से काव्य शिल्प की दृष्टि से तो कविता जान पड़ती है किन्तु पाठक या श्रोता के ह्रदय तक नहीं पहुँच पाई .
प्रश्न- भाषा को सहूलियत से बरतने का क्या अभिप्राय हैं?
उत्तर – ‘भाषा को सहूलियत से बरतने’ का अभिप्राय यह है कि भाषा भाव अथवा विचारों के सम्प्रेषण का माध्यम है न कि बौद्धिक अथवा पांडित्य प्रदर्शन का .साहित्य सृजन समाज के बड़े वर्ग द्वारा समझी जानेवाली भाषा में किया जाना चाहिए .
प्रश्न- उक्त काव्यांश में बच्चा किसे कहा गया है ?
उत्तर – उक्त काव्यांश में भाषा को मानवीकरण करके बच्चा कहा गया है ?
प्रश्न- बात सीधी थी पर कविता का प्रतिपाद्य अपने शब्दों में लिखिए
उत्तर- कवि का मानना है कि बात और भाषा स्वाभाविक रूप से जुड़े होते हैं। किंतु कभी-कभी भाषा के मोह में सीधी बात भी टेढ़ी हो जाती है। मनुष्य अपनी भाषा को टेढ़ी तब बना देता है जब वह आडंबरपूर्ण तथा चमत्कारपूर्ण शब्दों के माध्यम से कथ्य को प्रस्तुत करने का प्रयास करता है। अंतत: शब्दों के चक्कर में पड़कर वे कथ्य अपना अर्थ खो बैठते हैं। अत: अपनी बात सहज एवं व्यावहारिक भाषा में कहना चाहिए ताकि आम लोग कथ्य को भलीभाँति समझ सकें।
लघूत्तरात्मक प्रश्न
प्रश्न :कवि के अनुसार कोई बात पेचीदा कैसे हो जाती हैं?
उत्तर – जब साहित्यकार के मन में एक विशिष्ठ वर्ग से मान ,सम्मान और प्रतिष्ठा प्राप्ति का प्रलोभन जाग्रत हो जाता है ,तब ऐसा साहित्यकार जन सामान्य द्वरा समझी जानेवाली भाषा की उपेक्षा कर किसी विशिष्ठ वर्ग द्वारा समझी जानेवाली भाषा को अपने काव्य सृजन में प्रयुक्त करता है , ऐसी स्थिति में कोई बात पेचीदा हो जाती हैं .
प्रश्न : किस कारण कवि की कविता टेढ़ी पड़ गई ?
उत्तर – कवि द्वारा कथ्य की अपेक्षा भाषा को महत्वपूर्ण मानने के कारण कवि की कविता टेढ़ी पड़ गई .
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