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chanakya neeti-4

November 1, 2016
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चाणक्य – नीति – 4 

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चाणक्य – नीति – 4 

 


Hindi Hindustaniत्याग कर देना चाहिए ऐसे धर्म का जिसमे दया -ममता ना हो ,त्याग कर देना चाहिए ऐसे गुरु का जो स्वयं विद्या हीन  हो , त्याग कर देना चाहिए ऐसी स्त्री का जो सदैव क्रुद्ध रहती हो ,त्याग कर देना चाहिए ऐसे भाई-बंधुओं का जिनमे प्रेम -भाव ना हो। 

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Hindi Hindustaniप्रत्येक मनुष्य को निम्न लिखित बातों पर विचार करते रहना चाहिए –
मेरा समय कैसा चल रहा है ?
मेरे  कितने मित्र है और कैसे है ?
वह जगह कैसी है जहाँ मैं रहता हूँ ?
मेरी आय कितनी है और खर्च कितना है ?
मुझमे कितना सामर्थ्य है ?

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इनका पितृ तुल्य सम्मान किया जाना चाहिए –
 जन्मदाता 
जनेऊ धारण करानेवाला ब्राह्मण 
विद्या देनेवाला गुरु 
अन्न दाता 
भयमुक्त रखनेवाला 


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Hindi Hindustaniपुत्र हीन  के लिए घर शून्य है   ,जिसका कोई  भाई-बंधु नहीं उसके लिए संसार शून्य है ,मूर्ख का ह्रदय शून्य होता है किन्तु दरिद्र के लिए सब कुछ ही शून्य है।  



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Hindi Hindustaniबिना अभ्यास के शास्त्र विष समान  है ,भोजन पचने  से पूर्व फिर से भोजन करना विष समान  है ,दरिद्र का समाज में रहना विष समान  है तथा वृद्ध के लिए युवती  विष समान  है। 

 

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Hindi Hindustaniपांच  बातें पूर्व निर्धारित है -आयु ,कर्म ,धन ,विद्या ,और मृत्यु। इन पांचों पर मनुष्य का कोई वश नहीं।


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Hindi Hindustaniजो मनुष्य सद्पुरुषों के सानिध्य में रहते है तथा उनके के जीवन से प्रेरणा लेकर वैसा ही सदाचरण करते है ,ऐसे मनुष्य स्वयं तो मान पाते ही है ,साथ अपने कुल का भी मान बढ़ाते है।


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Hindi Hindustaniसद्पुरुष दर्शन ,ध्यान ,और स्पर्श से अपने सानिध्य में आये मनुष्यों का वैसे ही पालन करते है जैसे मछली अपने बच्चों को देखकर ,मादा कछुआ ध्यान से तथा मादा पंछी स्पर्श से अपने बच्चों का पालन करते है।


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Hindi Hindustaniमनुष्य को समस्त करणीय कर्म स्वस्थ रहते हुए ही कर लेने चाहिए क्योकि मृत्यु का कोई भरोसा नहीं ,ना मालूम कब आ जाये ?सत्कर्म करने के लिए समय या अवसर की प्रतीक्षा नहीं करनी  चाहिए। कर लिया जो काम ,भज लिया वो राम।


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Hindi Hindustaniविद्या असमय फल देनेवाली कामधेनु गाय के समान है। विद्या प्रवास में  माता के समान रक्षा और कल्याण करनेवाली है। विद्या गुप्त धन है जिसे कोई चुरा नहीं सकता।

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Hindi Hindustaniबहुत सारे कंकर -पत्थर एकत्र करने से अच्छा है एक हीरा रखना। ठीक वैसे ही ढेर सारी गुणहीन संतान से अच्छा है एक सुयोग्य पुत्र का होना


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Hindi Hindustaniदीर्घ आयु वाले मूर्ख पुत्र की अपेक्षा अल्पायु सुयोग्य पुत्र कहीं ज्यादा अच्छा है। सुयोग्य पुत्र की मृत्यु का शोक  कुछ समय तक कष्ट देगा किन्तु मूर्ख पुत्र का जीवित रहना जीवन पर्यन्त कष्ट देता रहेगा।


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Hindi Hindustaniनिम्न लिखित ये ६ बातें मनुष्य को बिना अग्नि के ही जलाती रहती है –
1.अनुचित स्थान, 2.दुष्ट की सेवा की विवशता ,3.अरुचिकर  भोजन ,4.मानसिक संताप देनेवाली स्त्री ,5.मूर्ख पुत्र , 6.युवावस्था में विधवा होना

 



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Hindi Hindustaniअयोग्य संतान से कोई लाभ प्राप्त नहीं होता जैसे बाँझ या दूध न देनेवाली गाय  से जैसे कोई लाभ प्राप्त नहीं होता। 


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Hindi Hindustaniघर लौटे मनुष्य को सुयोग्य संतान ,सुशील  पत्नी और स्वजनों से आत्मीयता प्राप्त होने पर सुख शांति मिलती है। 







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अकेले किया जाना वाला कार्य अकेले द्वारा तथा समूह द्वारा किया जानेवाला कार्य समूह में ही सुचारू रूप से संपन्न होता। अकेले के कार्य को अनेक करें तथा समूह के कार्य को एक करें तो निश्चित रूप से कार्य बिगड़ेगा। 


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श्रेष्ठ पत्नी वह है जो मन ,वचन ,कर्म में समान  हो पति के प्रति प्रेम रखती हो और सत्य ना छुपाये 

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