Hindi Hindustani
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chanakya neeti-14

December 27, 2016
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चाणक्य  नीति -१४ 

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चाणक्य  नीति -१४ 








 

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Hindi Hindustaniअन्न ,जल और प्रिय वचन ये तीनो ही पृथ्वी के  तीन रत्न है  किन्तु  मूर्ख पत्थर  के टुकड़े को भी रत्न  समझते  है।

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Hindi Hindustaniदरिद्रता , रोग , दुःख , बंधन और विपति  ये मनुष्य  के कर्मों  का ही फल  है।

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Hindi Hindustaniमानव देह  दुर्लभ  है।  धन ,मित्र , स्त्री , धरा  ये सब  पुनः प्राप्त  हो  सकते है किन्तु मानव  देह  पुनः  प्राप्त  नही  होगी।


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Hindi Hindustaniयदि  पृथक – पृथक  मिलकर  एक  हो जाए  तो  वह शक्ति  रूप  धारण  कर  लेता  है।  मामूली   दिखने  वाले  तिनके – तिनके  मिलकर वर्षा  जल  रोकने  का  सामर्थ्य  पा लेते  है, तो  बहुत  सारे  लोग  मिलकर  शत्रु  पर विजय  पा  ले तो इसमें  आश्चर्य  क्या ?



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Hindi Hindustaniतेल  जल में  गिरकर  फ़ैल  जाता है ,गोपनीय वार्ता  दुर्जन के कानो मे  पड़कर  फ़ैल  जाती  है , दान  उदारहस्त  के हाथों  मे  पड़कर  फैल  जाता है और शास्त्रो का  ज्ञान  बुद्धिमान  के पास  आकर  गुणात्मक होकर  फैल  जाता  है।  अर्थात किसी के  स्वभाव  को   नियंत्रित  नही  किया जा सकता।


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Hindi Hindustaniनिदित कृत्य करने के पश्चात्   मनुष्य  जिस तरह पछ्ताता  है , यदि  मनुष्य निंदित  कृत्य करने  से पूर्व विचार कर ले ,तो  पाप  कर्म  हो ही क्यों ?


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Hindi Hindustaniदान  , तप  ,शौर्य  ,विद्वता  ,सुशीलता  और नीति  में  मुझसे अन्य कोई  श्रेष्ठ नही यह कभी नहीं समझना  चाहिए  क्योकि पृथ्वी  पर एक से बढ़कर एक श्रेष्ठतर से श्रेष्ठतम  और भी है।

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 Hindi Hindustaniजिससे अभीष्ट की कामना हो ,उससे उसी वाणी में बात करनी चाहिए जिसे सुनकर वह प्रसन्न हो जाये। जैसे मृग को रिझाने के लिए शिकारी मृग को प्रिय लगनेवाले स्वर में गान करता है। फिर आसानी से उसे अपना शिकार बना लेता है। 

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Hindi Hindustaniकोयल वसंत के आने तक मौन धारण किये रहती है और वसंत ऋतु  आने पर ही कूकती है ,वैसे ही मनुष्य को भी जब तक आवश्यक ना हो चुप ही रहना चाहिए और उपयुक्त अवसर की प्रतीक्षा करनी चाहिए। उपयुक्त अवसर पर बोलना ही बुद्धिमता है। 

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Hindi Hindustaniकुछ व्यक्ति और वस्तुओं की अत्यधिक निकटता या अत्यधिक दूरी दोनों ही हानिकारक होती है।  अत्यधिक  शक्ति सम्पन्न , स्त्री और अग्नि इसी प्रवृति के है। इनके साथ मध्यम मार्ग अपनाने में ही समझदारी है। 

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Hindi Hindustaniअग्नि ,जल ,स्त्री ,मूर्ख  ,सांप और शक्ति संपन्न इन छह से सदैव सावधान रहना चाहिए क्योकि  ये कभी भी प्राणघातक हो सकते है। 


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Hindi Hindustaniजीवन उसी का सार्थक है जो सात्विक और धर्मानुकूल आचरण का  निर्वाह करता है। गुण -धर्म से रहित जीवन पशु तुल्य ही है। जन्मना ,विकसित  होना ,अपने समान  सन्तति  उत्पन्न करना और अंत में मर जाना यह तो पशु प्रवृति है। 

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Hindi Hindustaniकुसंगति का त्यागकर सत्संगति करे ,धर्मानुकूल आचरण कर करें। भौतिक सम्पदा को नाशवान जानकार प्रभु स्मरण करना -यही  सार्थक जीवन का लक्षण है। 


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Hindi Hindustaniबुद्धिमान का लक्षण है कि वह स्तिथि की अनुकूलता और अपनी स्थापित छवि के अनुकूल वाणी का प्रयोग करता है तथा अपने सामर्थ्य के अनुसार क्रोध प्रकट करता है ,क्योकि वह जनता है कि अपने से अधिक शक्तिशाली के समक्ष अभद्र वचन प्रयोग और क्रोध प्रकट करने पर लज्जित होना पड़  सकता है। 

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Hindi Hindustaniदृष्टि भेद के कारण एक अचेत स्त्री के तीन प्रकार हो सकते है। योगी के लिए वह शव रूप है ,कामासक्त के लिए उपभोग की वस्तु है  और कुत्ते के लिए भोजन अर्ताथ भावना के अनुकूल दृष्टि भी बदल जाती है। 

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Hindi Hindustaniगृह कलह ,स्त्री प्रसंग और निंदित वचन ये ऐसी बातें है जो किसी अन्य के सामने प्रकट नहीं करनी चाहिए। 


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Hindi Hindustaniभविष्य में कठिनाई का सामना ना करना पड़े इसके लिए मनुष्य को पर्याप्त धन और अन्न का संचय कर लेना चाहिए।धर्मानुकूल आचरण करते हुए ज्ञानियों के बताये मार्ग का अनुसरण करते रहना चाहिए। 

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Hindi Hindustaniएक ही कर्म से सारे संसार को वश में करना चाहते हो तो पहले मन को वश में कर लो।  

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