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chanakya neeti-13

December 25, 2016
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चाणक्य नीति -१३ 





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चाणक्य नीति -१३ 


Hindi Hindustaniलोक -परलोक  में  दुष्ट  कर्म करते हुए  हज़ारो वर्ष  जीने  से सद्कर्म  करते  हुए  एक  मुहर्त  का  जीना कहीँ  ज्यादा  अच्छा है। 

Hindi HindustaniHindi Hindustaniभूत  का शोक  और भविष्य  की  चिंता करने से कही ज्यादा अच्छा  है वर्तमान  को भरपूर जीना। 

Hindi Hindustaniदेवता , सत्पुरुष  और पिता  प्रकृति  अर्थात  स्वाभाव से संतुष्ठ होते है  ,बंधु -बांधव खान-पान से संतुष्ठ होते है किन्तु विद्वजन  मीठे वचनों से ही संतुष्ठ  हो जाते है। 


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Hindi HindustaniHindi Hindustaniमहात्माओं  का चरित्र  विचित्र  होता  है ,धन को तृण  तुल्य समझते  है और यदि  धन उनके  पास आ  जाये  तो तिनके तुल्य धन  के  भार  से झुक  जाते  है  अर्थात  और  अधिक  विन्रम  हो  जाते है। 

Hindi Hindustaniजिसको  जिससे  मोह होता  है , उसी को भय होता है। मोह ही  दुःख  का कारण  है और  सब दुःख  का  कारण  मोह ही है।  मोह का त्याग  कर दिया  जाए  ,तो सुख ही सुख  है। 


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Hindi Hindustaniवह  मनुष्य  जो आने वाले दुःख  का सामना  करने  को पहले से ही तत्पर हो जाता है और  जो दुःख आने पर दुःख के निस्तारण   का उपाय सोच लेता  है  , दोनों प्रकार के लोग  सुखी  रहते  है लेकिन जो यह  सोचकर  प्रयत्न नही  करता कि   जो भाग्य  मे  लिखा  है  वह तो भोगना ही है , ऐसे मनुष्य कष्ट  पाते  है। 
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Hindi Hindustaniधर्म  रहित  मनुष्य जीवित  रहकर  भी मृत  तुल्य  है और धर्मपरायण  मरकर भी चिरंजीवी ही है , अर्थात देह  से भले  ही जीवित  न रहे किन्तु  सत्कर्म  के लिए  उसका  नाम अवश्य  अमर रहता है। 




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Hindi Hindustaniनीच स्वाभाव  के लोग  अच्छे  मनुष्यो  की कीर्ति  से ईर्ष्या  करते है ,ईर्ष्या की अग्नि में जलकर भी जब  उन्हें अच्छे लोगो की तरह कीर्ति  नहीं मिलती तो  नीच स्वाभाव  के लोग बाद में   अच्छे लोगों की  निंदा  करने  लगते है।  
Hindi HindustaniHindi Hindustaniविषय में आसक्त मन ही बंधन  का कारण  है ,इस बंधन से मुक्ति का उपाय है, विषय से मुक्त होना। मन से ही मनुष्य बंधन में बंधता है और मन से ही बंधन से मुक्त होता है। मन ही बंधन और मुक्ति का कारण  है। 



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Hindi Hindustaniपरमात्म का ज्ञान हो जाने पर देह का अभिमान नष्ट हो जाता है। अभिमान का नाश हो जाने पर जहाँ -जहाँ  मन जाता है ,वहाँ  -वहाँ समाधि  ही है अर्थात जिस दिन इस  नित्य शाश्वत सत्य का बोध हो जाता है कि  देह नाशवान   है और  आत्मा अविनाशी ,तो समझो यह समाधि  की अवस्था है। 
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Hindi Hindustaniसमस्त कामनाओं का पूर्ण होना विधि के अधीन है ,इसलिए पूरे प्रयत्न के उपरांत जितना मिल रहा है ,उसी में  
संतुष्ठ  हो जाना चाहिए। यही  सुखी रहने का उपाय है। 




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Hindi Hindustaniबिछड़ा हुआ बछड़ा जिस प्रकार सहस्त्रों गायों के मध्य भी अपनी ही माँ के पास पहुँच  जाता है ,उसी तरह कर्ता के कर्मों का फल भी उस तक पहुँच  जाता है।

Hindi Hindustani Hindi Hindustaniजो लक्ष्यहीन होकर जीता  है ,वह ना समाज में रहकर सुख पाता है और ना जंगल में रहकर सुख पाता  है। 

Hindi Hindustaniजैसे  धरती का खनन करने पर जल प्राप्त होता है ,वैसे ही गुरु सेवा का फल शिष्य को प्राप्त होता है। 



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Hindi HindustaniHindi Hindustaniयद्यपि फल पुरुष के कर्म के अधीन रहता है और बुद्धि कर्म के अनुसार चलती है ,फिर भी विवेकी मनुष्य सोच -विचार कर ही कार्य करते है। 

Hindi Hindustaniजिस मनुष्य ने धर्म ,अर्थ ,काम ,मोक्ष में से किसी को भी अपने पुरुषार्थ से नहीं साधा तो ऐसे मनुष्य का मानव जीवन व्यर्थ हो गया  समझा  जाना चाहिए 

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Hindi Hindustaniस्त्री ,भोजन और धन इन तीनों में जितना मिल जाये ,उतने से ही तृप्त हो जाना चाहिए किन्तु विद्या प्राप्ति ,तप  और दान इन तीनों से कभी संतुष्ठ  नहीं होना चाहिए। 

 



Hindi HindustaniHindi Hindustaniजो एकाक्षर मन्त्र  प्रदान करने वाले गुरु की वन्दना नहीं करता ,वह कुत्ते की सौ योनियाँ  भोग भी चांडाल कुल में में जन्म लेता है। 

Hindi Hindustaniधार्मिक मान्यता के अनुसार युगांत में सुमेरु पर्वत भी अस्थिर हो जाता है ,और कल्प के अंत में समुंद्र अपनी सीमा लांघने लगता है किन्तु सत्य व्रती अपने संकल्प से लेशमात्र भी विचलित नहीं होते। 


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