Hindi Hindustani
12th BIHAR

Bihar board class 12 ,hindi book solution,usane kaha tha,chandradhar sharma guleri,. उसने कहा था,चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी’

September 24, 2022
Spread the love

Bihar board class 12 ,hindi book solution,usane kaha tha,chandradhar sharma guleri,.

\"\"

उसने कहा था,चन्द्रधर शर्मा ‘गुलेरी

2 . उसने कहा था  चन्द्रधर शर्मा गुलेरी

पाठ्य पुस्तक के प्रश्न उत्तर

प्रश्न 1.‘उसने कहा था’ कहानी कितने भागों में बँटी हुई है? कहानी के कितने भागों में युद्ध का वर्णन है?

उत्तरi “उसने कहा था” कहानी पाँच भागों में में बँटी हुई है । प्रथम भाग में अमृतसर का चित्रण हुआ है जहाँ कथा नायक लहना और नायिका होरा का बचपन में मिलने का वर्णन हुआ   ,शेष भागों में युद्ध भूमि ,लहना के  अतीत की स्मृतियाँ   .और कथा मे घटित घटनाओं का चित्रण हुआ हैं।

प्रश्न 2.उसने कहा था ,कहानी के प्रमुख पात्रों के बताइए ?

उत्तर-कहानी में कई पात्र हैं जिनमें से कुछ प्रमुख हैं और कुछ गौण। लहनासिंह ,कथा नायक है और  सूबेदारनी होरा कथा नायिका , शेष कथा की घटनाओं में उपस्थित पात्र है ,यथा – सूबेदार हजारासिंह, बोधासिंह (सूबेदार का बेटा), अतरसिंह (लड़की का मामा), महासिंह (सिपाही), वजीरासिंह (सिपाही), लपटन साहब आदि।

प्रश्न 3.लहनासिंह का परिचय अपने शब्दों में दें।

उत्तरदृ वह ‘उसने कहा था’ कहानी का कथा  नायक है। लहनासिंह एक वीर और साहसी  सिपाही है और पवित्र प्रेम का पुजारी भी है । कहानीकार गुलेरीजी  ने कहानी में लहना के दोनों रूपों को संजीदगी  और वास्तविक  रूप से प्रस्तुत किया  कहानी का घटनाक्रम कथा नायक लहना के इर्द –गिर्द घटित होता है, । लहनासिंह जहाँ एक ओर  वीर और साहसी  सिपाही है ,वहीँ दूसरी ओर पवित्र प्रेम का पुजारी भी है ।बचपन में जो प्रेम भाव ह्रदय में अंकुरित  हुआ था ,वह प्रेम विकसित न हो सका किन्तु प्रेम का वह कोमल भाव उसके ह्रदय में बस गया .

लहना का चरित्र एक सच्चे वीर सिपाही के गुणों से भरा हुआ है ,खंदक में पड़े रहने की अपेक्षा लड़ने की बात कहना इसका प्रमाण है ।

निर्भीक साहसी सैनिक होने के साथ –साथ वह चतुर,चालाक और प्रत्युत्पन्नमति भी है .समस्या का तुरंत समाधान खोज लेना उसके चरित्र को और भी प्रभावी बना देता है .नक़ली अफसर को पहचान लेना उसकी तीव्र बुद्धि का परिचायक है .लहना अपने वचन के प्रति दृढ प्रतिज्ञ है .अपने प्राण न्यौछावर कर वह अपना वचन निभाता है .कहानीकार ने लहना के  चरित्र को  कथा नायक के गुणों से परिपूर्ण रूप में प्रस्तुत करने का जो प्रयास किया ,उसमे कहानीकार गुलेरीजी सफल रहे है

प्रश्न 4 .“कल, देखते नहीं यह रेशम से कढ़ा हुआ सालू।” वह सुनते ही लहना की क्या प्रतिक्रिया हुई?

उत्तर- “कल, देखते नहीं यह रेशम से कढ़ा हुआ सालू।” यह सुनकर  लहना को बुरा लगा .यह वाक्य ठीक वैसा ही था जैसे किसी ने शीशे पर पत्थर से प्रहार किया हो .वह इस वाक्य से आहत हुआ था . एक लड़के को नाली में धकेल देना , एक खोमचे वाले से टकराना , एक कुत्ते कोबेवजह  पत्थर मारना  और एक स्त्री से  टकराकर अंधे की उपाधि पाना लहनाकी मनस्थिति को प्रकट करते है ।

प्रश्न 5 .“जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरनेवालों को मुरब्बे नहीं मिला करते”, वजीरासिंह के इस कथन का क्या आशय है?

उत्तर-  जिस खंदक में बटालियन के सिपाही छुपकर रह रहे थे ,वहां कड़ाके की सर्दी पद रही थी ,सर्दी इतनी  ज्यादा थी कि दांत किटकिटाने के साथ –साथ हड्डियाँ तक कंपा रही थी .लहना ने अपने गर्म कपडे बोधा को ओढा दिए थे .लहना एक जरसी पहने हुए था ,उसे भी वह बोधा को दे देना चाहता था .इस पर वजीर कह कि.“जाड़ा क्या है, मौत है और निमोनिया से मरनेवालों को मुरब्बे नहीं मिला करते .वजीर के इस कथन का आशय यह था कि यदि लहना सर्दी से अपना बचाव नहीं करेगा तो उसे निमोनिया हो जायेगा ,जिसके कारण कड़वी दवाइयाँ और इंजेक्शन लगवाने पड़ेगे .युद्ध की बजाय निमोनिया से मर गया तो कोई मैडल नहीं मिलेगा ,मैडल युद्ध करते हुए मर जाने वाले सिपाही को मिलता है

प्रश्न 6 .‘कहती है, तुम राजा हो, मेरे मुल्क को बचाने आए हो।’ वजीरा के इस कथन में किसकी ओर संकेत है।

उत्तरदृ‘कहती है, तुम राजा हो, मेरे मुल्क को बचाने आए हो।’ वजीरा के इस कथन में इंग्लॅण्ड  की फिरंगी मेम की ओर संकेत हैं।

प्रश्न 7 . लहना सिंह के गाँव में आया तुर्की मौलवी क्या कहता था?

उत्तर- लहना के गाँव में आया तुर्की मौलवी कहता था कि जर्मनी वाले ज्ञानी  पंडित हैं। वेद पढ़ पढ़कर विमान चलाने की विद्या सीख ली हैं। गायों का वध  नहीं करते.वें आ गए तो  गौ हत्या बंद कर देंगे। मंडी में बनियों को बहकाता था कि डाकखाने से रुपए निकाल लो, सरकार का राज्य जाने वाला है।

प्रश्न 9.‘लहनासिंह का दायित्व बोध और उसकी बुद्धि दोनों ही स्पृहणीय है।’ इस कथन की पुष्टि करें।

उत्तर- लहना का चरित्र एक सच्चे वीर सिपाही के गुणों से भरा हुआ है ,वीर तो वह है ही साथ ही साथ तीष्ण बुद्धि रखनेवाला भी है . कहानी में वह एक स्थान पर खंदक में पड़े रहने की अपेक्षा लड़ने की बात कहताहै ।

निर्भीक साहसी सैनिक होने के साथ –साथ वह चतुर,चालाक और प्रत्युत्पन्नमति भी है .समस्या का तुरंत समाधान खोज लेना उसके चरित्र को और भी प्रभावी बना देता है .नक़ली अफसर को पहचान लेना उसकी तीव्र बुद्धि का परिचायक है .लहना अपने वचन के प्रति दृढ प्रतिज्ञ है .अपने प्राण न्यौछावर कर वह अपना वचन निभाता है .कहानीकार ने लहना के  चरित्र को  कथा नायक के गुणों से परिपूर्ण रूप में प्रस्तुत करने का जो प्रयास किया ,उसमे कहानीकार गुलेरीजी सफल रहे है.सच्चा प्रेम वही झोटा है जो प्रतिफल की कामना न रखें .कहानी में लहना के चरित्र ने जिस सच्चाई और ईमानदारी के साथ  सिपाही की भूमिका निभाई,उतनी ही  सच्चाई और ईमानदारी एक आदर्श प्रेमी की भी भूमिका का निर्वाह किया .

प्रश्न 10.कहानी का शीर्षक ‘उसने कहा था’ क्या सबसे सटीक शीर्षक है? अगर हाँ तो क्यों,

उत्तर-कहानी का शीर्षक प्राय कहानी के मुख्य पात्र ,घटना अथवा कथाकार का व्यक्तिगत दृष्टिकोण पर आधारित होता है .सटीक शीर्षक वही होता है जो कथा वस्तु और शीर्षक दोनों के साथ सामंजस्य रखता हो .कहानी के प्रारंभ में बचपन का अबोध प्रेम कहानी के मध्य में कथा नायिका सूबेदारनी होरा द्वारा  यह कहना कि मै तेरे आगे अपना आँचल फैलाकर भिक्षा मांगती हूँ कि जैसे बचपन में तूने मुझे तांगे के नीचे आने से बचाया था .इसी तरह युद्ध में मेरे पति और पुत्र की भी रक्षा करना .कहानी  में लहना को बीमार बोधा की सुश्रूषा करते हुए दिखाया गया  और कहानी के अंत में जर्मन अफसर के षड़यंत्र से होरा के पति हजारासिंह की प्राण रक्षा करते हुए बतलाया गया है . उसने कहा अर्थात होरा ने जो कहा लहना ने अपने प्राण नयौछावर कर अपना वचन निभाया .कहानी की मूल संवेदना के साथ कहानी का शीर्षक मेल खा रहा है ,अतएव कहानी के शीर्षक को सटीक शीर्षक कहा जा सकता है .

प्रश्न 11.‘उसने कहा था’ कहानी का केन्द्रीय भाव क्या है?

उत्तर-कहानीकार ने इस प्रश्न को ढूढ़ना चाहा होगा कि आखिर सच्चा प्रेम है ?गुलेरीजी ने अपने बौद्धिक चिंतन से पाया कि सच्चा प्रेम प्रतिफल की कामना से रहित होता है .प्रेम पर अपना सर्वस्व न्यौछावर कर कर देना ही प्रेम का पवित्र  भाव है .प्रेम निश्छल और निष्कपट होता है .त्याग प्रेम भाव को महान बना देता है .कहानीकार गुलेरीजी इस कहानी के माध्यम से इसी  मान्यता को स्थापित करना चाहते थे .कहानी के अंत में कहानीकार गुलेरीजी ने लहना द्वारा वचन पालन के लिए प्राण न्यौछावर कर प्रेम की परिभाषा को रेखांकित किया है

No Comments

    Leave a Reply

    error: Content is protected !!
    error: Alert: Content is protected !!